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हिन्दी कविता: रहीसी

Human relationship

Human relationship

वो कहानी ही क्या , जो सुनानी पड़ जाए,

बीता हो कुछ! , कुछ और बनानी पड़ जाए,

जो खुद मशहूर नहीं, वो बतानी पड़ जाए ,

रहीसी ही फिर क्या रहीसी, गर दिखानी पड़ जाए।

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