Site icon Youth Ki Awaaz

“मणिपुर हिंसा: देश का कानून अंधा ही नहीं और अपंग भी है”

Manipur Violence

Manipur Violence

पिछले कुछ दिनों से मणिपुर बहुत ज्यादा चर्चा में बना हुआ है। कुकी और मैतेई के बीच चल रहे आरक्षण की वजह से दोनो जातियों के लोगो में विवाद बहुत ज्यादा ही बढ़ गया है। वैसे तो विवाद सदियों से चला आ रहा है और मुझे पुरी उम्मीद है आगे भी हमेशा रहने ही वाला जब तक इंसान का अस्तित्व है इस दुनिया में। दुनिया के हर एक कोने में विवाद है, भारत – पाकिस्तान में विवाद है, इसराइल फलिस्तीन में विवाद है, रूस यूक्रेन में विवाद है, हिंदू मुस्लिम में विवाद है, चीन भारत में विवाद है, शिया सुन्नी में विवाद है, लोकतांत्रिक देश जैसे अमेरिका और एक पार्टी वाले देश चीन, रूस और तानाशाही देश उत्तर कोरिया के बीच विवाद है।

हर तरफ नजर घुमा कर देखे तो विवाद ही विवाद है। लेकिन मणिपुर में जो विवाद है वो साधारण नही लग रहा है, हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो बहुत वायरल हुई थी, जिसमे एक निर्वस्त्र औरत के पीछे सैकड़ों लोग भाग रह है और उस निर्वस्त्र स्त्री को यू ही बिना कपड़ो के सड़को पे घुमाया जा रहा है। मार पीट, खून खराबा, दंगा, हिंसा सब अपनी जगह है। वैसे तो यह भी किसी रूप से स्वीकार के योग्य नहीं है लेकिन फिर भी ये घटना जो पूरे हिंदुस्तान ने देखी कि एक निर्वस्त्र स्त्री को यूं ही सड़क पर घुमा रहे है, और कोई इसका विरोध नही कर रहा है। सब बस तमाशा देख रहे है, ये सचमुच बहुत गलत हुआ।

मुझसे इससे महाभारत के उस समय की याद आती है जब पांडव और कौरव के बीच चौसर का खेल खेला जा रहा था, और जब पांडव में सबसे श्रेष्ठ और बड़े धर्मराज युधिष्ठिर सब कुछ हार गए और आखिर में द्रौपदी को भी जुआ में दांव पे लगाकर हार गए और फिर जब दुर्योधन के कहने पर दुशासन द्रौपदी को साड़ी खींच रह था तब कोई कुछ नही बोला। वो दया याचना मांगती रही, रोती रही, इज्जत की दुहाई देती रही, लेकिन कोई कुछ नहीं बोला। चाहे भीष्म पितामह हो, चाहे द्रोणाचार्य, चाहे कृपाचार्य, सिर्फ एक शख्स जिसने इसका विरोध किया वो थे संजय और जिसने खेल की मंशा को समझ कर एक बार सिर्फ रोकने का प्रयास किया वो थे द्रोण लेकिन जब चीर हरण हो रहा था सब मूक थे, सिर्फ आरोप लगाते है एक दूसरे पे, आखिरकार भगवान को आना पड़ा और लाज बचाई द्रौपदी की।

लेकिन यहा ये सब नही हुआ, ना कोई संजय बनने के लिए आगे आया, ना ही एक बार भी भीष्म पितामह की तरह रोकने का प्रयास किया, सब मूक बने हुए थे।  ये जो भी हुआ है बहुत गलत हुआ है। सरकार और मणिपुर के लोगो को जिसने में भी यह कथित शर्मनाक हरकत की है उसे दर्द से भरी हुई सबसे दर्दनाक सजा देनी चाहिए, वो भी ऐसा करने कि दोबारा किसी में हिम्मत न हो। हमारे देश में मुझे लगता है कानून सिर्फ अंधा ही नही अपंग भी है, जिसको या तो सुधार की सख्त जरूरत है या कानून होने का ढोंग नही करना चाहिए। हर राज्य में प्रशासन योगी आदित्यनाथ जी जैसा होना चाहिए, ताकि कोई भी गलती करने से पहले सौ बार सोचे। 

Exit mobile version