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मिशाएला डिप्रिंस: वह ब्लैक बैले डान्सर जिन्होंने नस्लवाद के बावजूद रचा इतिहास

michaela deprince

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America is not ready for a black girl Ballerina

पर ब्लैक बैले डांसर मिशाएला डिप्रिंस ने खुद की काबिलियत को साबित किया। हाँ, यह मिशाएला की जीवन यात्रा है जिसने हमें अपनी मेहनत, यक़ीन और विश्वास से चकित कर दिया। साल 1995 में पश्चिम अफ्रीका के छोटे से देश रिपब्लिक आफ सियरा लियोन (Sierra Leone) जब गृह युद्ध की लपटों में भभक रहा था तब एक छोटी -सी बच्ची माबिंटी बनगुरा (Mabinty Bangura) अपने माँ और पिता को खोने के बाद अनाथालय में मासूम बच्चों के साथ सहमी हुई रह रही थी।

मिशाएला का माँ-बाप खोने के बाद का बचपन

माबिंटी अपने अकेलेपन से जूझ रही थी। उसके शरीर पर सफेद दाग ( Vitiligo) थे जिससे अनाथालय के कर्मचारी ही नहीं बल्कि बच्चे भी उससे दूर रहते थे। लोग इसे दैवीय अभिशाप का नतीजा समझते और उन्हें शैतान की औलाद कहते। माबिंटी इस उपेक्षा और तिरस्कार से आहत हो सुबकती रहती। पर शायद ही कोई उसके दुखों को समझता। इसी बीच एक दिन वो धमाकों से बचते- बचाते शरणार्थी शिविर में पहुँच गई।  

मिशाएला के गोद लिया जाना

हजारों शरणार्थियों के बीच माबिंटी खुद को बिल्कुल अकेली पाती। उन्हीं दिनों एक यहूदी महिला इलेनी अपने पति चार्ल्स डीप्रिंस के साथ अमेरिका से आई और कैम्प के बच्चों से मिली। सबसे गुमसुम बच्ची माबिंटी को इलेनी ने गोद लिया और साथ ही मिया नाम की बच्ची को भी गोद लिया। और इस तरह इलेनी और चार्ल्स के परिवार में 11 बच्चें जिनमें 9 बच्चें गोद लिए हुए थे, सभी न्यू जर्सी में एक सुखद पारिवारिक वातावरण में पलने बढ़ने लगें।

मिशाएला के बैले डांसर बनने की इच्छा 

माबिंटी बनगुरा को नए नाम ‘मिशाएला डीप्रिंस’ कह के पुकारा जाने लगा। मिशाएला को खूब प्यार मिला और माँ भी उसकी बातों को समझने लगीं। मिशाएला ने एक बैले डांसर बनने की इच्छा अपनी माँ इलेना से जाहिर की, जो कभी 3 बरस की उम्र में एक Ballerina की फोटो मैगज़ीन पर छपे देखकर उसके दिलो-दिमाग पर छा गई थी। मिशाएला एक बैले डांसर बनना चाहती थी और खूब नाम कमाना चाहती थी। माँ इलेना ने उन्हें Rock school of Dance, Philadelphia में भेजा। मिशाएला ने फिर Keystone National High School से भी Online कोर्स किया। आगे चलकर मिशाएला ने स्कालरशिप के जरिए अमेरिका बैले थिएटर के Jacqueline Kennedy Onassis School of Ballet में ट्रेनिंग लिया। वे हालेम के डांस थिएटर में शामिल हो गईं, जहाँ वह कंपनी की सबसे कम उम्र की सदस्य थीं। पहली बार जब वह डच नेशनल बैले में शामिल हुईं तो वह अफ्रीकी मूल की एकमात्र नर्तकी थीं। उन्होंने टीवी शो “Dancing with the stars में भी प्रदर्शन किया था।  

खद की पहचान ढूंढती मिशाएला

ब्लैक होने की वजह से नस्ली भेदभाव से भी उन्हें गुजरना पड़ा। लेकिन वो अपने इरादों पर डटी रहीं और इसे पेशेवर कैरियर बनाया। उनकी माँ ने कदम – कदम पर उनका साथ दिया। मिशाएला अपने सफेद दागों को छिपाने के लिए माँ से ऐसे कपड़े बनवाने कहतीं जो उनके सफेद दाग को छिपा सके ताकि लोगों का ध्यान उनके डांस पर जाए और वो तालियों की गूँज में खुद को ढ़ूंढ़ सके। और खुद के लिए एक मुक़ाम बना सकें.

जब मिशाएला के जीवन पर बना बायोपिक

मिशाएला डीप्रिंस के शो अमेरिका के शहरों में होने लगे। उनकी मेहनत और हौंसले ने पुरानी कड़वी यादों के साए से भी उनको अलग कर दिया। 2011 में बैले डांसर की डाक्यूमेंट्री First Position में मिशाएला के जज़्बे को बखूबी पेश किया गया। यह बैले कंपनी या स्कूल में जगह पाने के लिए छह युवा नर्तकियों की कहानी है। अपनी माँ इलेना के साथ मिशाएला ने किताब भी लिखी- Taking Flight :From War Orphan to Star Ballerina. मैडोना ने मिशाएला के जीवन और कैरियर पर बायोपिक बनाने का निर्णय लिया है।

सचमुच एक शरणार्थी से अपने लिए एक अलग मुक़ाम बनाना कतई आसान नहीं। फिर भी इस पीड़ा से गुजरते हुए अपने ही नहीं बल्कि आस-पास संतुलन बनाते हुए जिंदगी जीना वैसे ही है जैसे ओस की मृदुलता को हर वक़्त चाहना। मिशाएला जब कहती हैं,

“We were blessed, and with blessing comes responsibility… “

तो यकीनन इंसान होने पर गर्व होता है। साथ ही ऐसे जीवन यात्रा में विश्वास होता है जो रचनात्मकता के नए नक्शे में मनुष्य को बसा लेता है!

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