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“छात्राओं के साथ यौन शोषण के बाद क्या वापस स्कूल जा पाएंगी लड़कियां?”

Teacher teaching in a remote area

Teacher teaching in a remote area

Trigger Warning: Mention of sexual violence.

गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया। उनको एक अच्छा मार्गदर्शक माना गया है लेकिन आज के गुरु शिक्षा के मंदिर में गुरु शिष्य के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला आगरा में सामने आया है। जहां एक सरकारी स्कूल में शिक्षक की अश्लील हरकतों और आपत्तिजनक बातों से परेशान होकर 67 छात्राओं ने स्कूल जाना बंद कर दिया। अभिभावकों ने स्कूल पर ताला जड़ दिया है। जब थाने में सुनवाई नहीं हुई तो डीएम तथा कमिश्नर से कार्यवाही की मांग की। जिस पर कमिश्नर कमिश्नर के आदेश पर मुकद्मा दर्ज हुआ। चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस के साथ छात्राओं ने जिला मुख्यालय पर आकर अधिकारियों को आपबीती सुनाई।

जिला मुख्यालय पर डीएम को सुनाई आपबीती

यौन हिंसा का है आरोप

शमशाबाद के लहरा गांव स्थित कंपोजिट विद्यालय में तैनात शिक्षक आशुतोष शर्मा जूनियर की छात्राओं से आपत्तिजनक तरीके से बात करता है। तलाशी के बहाने छात्राओं के शरीर पर हाथ फेरता है, ऊपर जेब में हाथ डालता है और फिर ऐसी बातें करता है जो शिक्षक और विद्यार्थी के दायरे से बाहर हैं या अश्लील अर्थ का इंगित कर रहे हैं। आरोप है कि कथित रूप से रिवाल्वर दिखाकर धमकाता है। छात्राओं ने इसकी शिकायत शिक्षिका और परिजनों से की। 112 की टीम शिक्षक को पकड़कर थाने भी ले गई लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया।

पुलिस की कार्रवाई न होने पर गुस्साये अभिभावक

थाने में तहरीर भी दी गई लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। आक्रोशित ग्रामीणों ने विद्यालय में तालाबंदी भी कर दी। छात्राओं तथा उनके परिजनों ने बाल अधिकारों की संरक्षण पर कार्य करने वाले चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस से संपर्क कर पूरी बात बताई तथा लिखित रूप में मदद मांगी। जिस पर नरेश पारस छात्राओं और उनके अभिभावकों को लेकर जिला मुख्यालय पहुंचकर डीएम नवनीत चहल से मिले। छात्राओं में जिलाधिकारी को पूरी बात बताई तथा कार्यवाही की मांग की। छात्राओं ने डीएम को बताया कि शिक्षक उनको परेशान करता है जिसके चलते तथा जूनियर की सभी 35 छात्राओं ने स्कूल आना बंद कर दिया। पिछले चार दिनों से कोई भी छात्रा विद्यालय नहीं जा रही है। जिलाधिकारी ने कार्यवाही का आश्वासन दिलाया। कमिश्नर डॉ. प्रीतेन्दर सिंह के आदेश पर थाना शमशाबाद में मुकदमा दर्ज हुआ लेकिन बेटियों के कदम शिक्षा के मंदिर की ओर नहीं मुड़े। 67 छात्राओं सहित 123 बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया।

परिजन बच्चों को लेकर चिंतित

चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस पीड़ित छात्राओं से मिलने विद्यालय गए लेकिन वहां कोई भी बच्चा नहीं मिला। गेट पर ताला लगा था। गांव में बच्चियों की काउंसलिंग की तो उन्होंने कहा कि आशुतोष शर्मा जब तक विद्यालय में रहेंगे तब तक वह स्कूल नहीं जाएंगे। उनसे डर लगता है। वह अश्लील हरकत करते हैं तथा रिवाल्वर दिखाते हैं। नरेश पारस ने बच्चियों की काउंसिलिंग करते हुए उनकी हिम्मत पर शाबाशी देते हुए कहा कि उनको न्याय दिलाने के लिए यथासंभव प्रयास करेंगे। उधर एसीपी सौरभ दीक्षित तथा थानाध्यक्ष आलोक कुमार दीक्षित ने गांव पहुंचकर बच्चियों के बयान दर्ज किए। वहीं दूसरी ओर गांव में पुलिस के लगातार आने से छात्राएं डरी और सहमी हुई हैं। पुलिस को देख कर वह घरों में छिप जाती हैं। छात्राएं खुद को असहज महसूस कर रही हैं। दूरदराज गांव से निकलकर छात्राएं आरोपी शिक्षक पर कार्रवाई कराने के लिए अडिग रही। परिजनों पर आरोपी शिक्षक और समाज का बहुत दबाव है। लगातार नरेश बच्चों की काउंसलिंग करते रहे। गांव जाकर बालिकाआों तथा उनके परिजनों को समझाया। उन्हें हिम्मत देते रहे। अस्पताल में मेडिकल तथा कोर्ट में बयान दर्ज कराने के लिए हर जगह साथ रहे। परिजनों ने बताया कि उन पर समझौते का दबाव बनाया जा रहा है। उन्हें डराया जा रहा है लेकिन बेटियां अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं। 

आरोपी शिक्षक है फरार

अभिभावकों ने बताया कि पुलिस ने उन्हें कोर्ट में बयान देने के लिए अकेले भेज दिया। उनसे कहा गया कि पुलिस सीधे कोर्ट पहुंच जाएगी। सुबह कोर्ट पहुंचकर परिजन बच्चों बाहर नाश्ता करा रहे थे तभी कुछ एक्टिवा सवार महिला पुरूष आ गए। उनके फोटो वीडियो बनाने लगे। परिजन बच्चों को गाड़ी में बैठाकर तुरंत सुरक्षित स्थान पर चले गए। सूचना पर नरेश पारस भी आ गए। परिजनों को समझाया बुझाया। इसी बीच एक संदिग्ध व्यक्ति कोर्ट में भी पहुंच गया। परिजनों द्वारा जानकारी करने पर वह भाग गया। परिजन भयभीत हो गए। सुरक्षा का खतरा सताने लगा। कुछ ही देर में पुलिस आ गई। पुलिस ने बालिकाओं के बयान दर्ज कराए। आरोपी शिक्षक अभी फरार है। परिजनों का कहना है शिक्षक आशुतोष शर्मा को कोर्ट के आसपास देखा गया है। आरोपी शिक्षक की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है।

शिकायत दर्ज करने वाली शिक्षिका क्यों हुई भूमिगत

छात्राओं ने अपने साथ होने वाली यौन हिंसा की जानकारी शिक्षिका को दी थी, जिन्होंने स्कूल में पुलिस बुलाई। थाने में तहरीर भी दी लेकिन मुकद्मा दर्ज नहीं हुआ। इसके बाद शिक्षिका अचानक भूमिगत हो गई। उन्होंने छात्राओं का साथ छोड़ दिया तथा आकस्मिक अवकाश लेकर छुट्टी चली गईं। छात्राओं ने संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन कोई सहयोग नहीं मिला। छात्राएं खुद को अकेला समझने लगीं। उनको थाने तथा कोर्ट के अकेले ही चक्कर काटने पड़े। शिक्षिका की चुप्पी बहुत सवाल खड़े कर रही है। छात्राओं के हक की लड़ाई की शुरूआत करने वाली अचानक चुप क्यो हो गई ? उन्होंने खुद की तहरीर पर मुकद्मा दर्ज कराने की भी पैरवी नहीं की। स्कूल से जुड़े लोग दबी जुबान में इसका कारण प्रलोभन और दबाव बता रहे हैं। फिलहाल छात्राएं अकेली मोर्चे पर डटीं हैं। 

 पॉक्सों जैसी गंभीर धाराओं में मुकद्मा दर्ज होने के बावजूद भी रसूखदार शिक्षक अभी तक पकड़ा नहीं गया है। बच्चियों तथा उनके परिजनों पर समझौता करने का लगातार दबाव बनाया जा रहा है। बेटियों की हिम्मत भी जबाव देने लगी है। ऐसे कौन सी लड़की शोषण के विरूद्ध आवाज उठा पाएगी ? क्या इन बच्चियों को न्याय मिल पाएगा ? क्या ये सुरक्षित माहौल में स्कूल जा पाएंगी ?

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