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“दरार पड़ते और खिसकते पहाड़ों के लिए हम जिम्मेदार हैं”

Joshimath cracks

Joshimath cracks

भारत विविध प्रकार का देश माना जाता है यहां अनेक प्रकार के लोगों के साथ – साथ हर मौसम का मजा ले सकते हैं। मैदानी क्षेत्र की गर्मी, पहाड़ों की सर्दी, समुद्र की ठंडी हवा का आनंद ले सकते हैं। लेकिन बढ़ती जनसंख्या और विकास से हमारी धरती कांप उठी है। प्रकृति से छेड़छाड़ का खामियाजा हम इंसानों को ही झेलना पड़ता है। आज प्रकृति एक चिंता का विषय बन गए है। कहीं पानी की कमी की किल्लत है तो कहीं पहाड़ों में भूस्खलन है, तो कहीं दरार देखने को मिल रही है।

मानव जीवन पर एक बड़ा खतरा देखने को मिल सकता है। पहाड़ बहुत ही नाजुक होते हैं।  विकास के नाम पर ये बड़े – बड़े होटल खोल दिए जाते हैं ताकि  घूमने आ रहे पर्यटकों को सारी सुविधा मिल सकती हो जो उन्हें मैदानी इलाकों में उपलब्ध  होती है। अगर हम कुल्लू मनाली , शिमला जैसे पहाड़ी इलाकों की बात करें, एक वक्त पर पहाड़ों में जरूरत से ज्यादा भीड़ पर्यटक घुमने आते हैं जिससे भीड़ बढ़ जाती है। विकास तो तेजी से हो रहा है। लेकिन हम कहीं न कहीं प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहें है जिससे धीरे – धीरे भूस्खलन और दरारें देखी जा सकती है।

भारत के आधे से ज्यादा पहाड़ आज खतरे में है। हाल ही में जोशीमठ के आस – पास के इलाकों में घरों में दरारे देखी गई थी और वहां के लोग अपने बसा – बसाया घर छोड़ने पर मजबूर है। वहां के कई मकानों को असुरक्षित घोषित कर दिया गया है और लोगों को वहाँ से निकलकर एक सुरक्षित जगह जाने को कहा गया है। इतनी बड़े दारार वाले घरों में देखने को मिल रही जो बेहद चिंता का विषय बना हुआ है। जोशीमठ का प्राकृतिक सौंदर्य से लोग आकर्षित होते और वहां घूमने आते रहते है। इसी में प्राकृति के साथ छेड़छाड़ के चलते लोगों के घरों में दरार आने लागि।

वहीं एक और पर्यटक स्थल पर खतरा आ गया है। वो है चमोली की गोपीनाथ मंदिर। यहाँ भी दरारें आ गई है और मंदिर एक तरफ झुक चुका है। गर्भगृह में पानी का रिसाव हो रहा है और वहाँ के कुछ पत्थर अपनी जगह से हिलकर बाहर निकल गए हैं। गोपीनाथ मंदिर के आस-पास इसके प्रभाव देखे जा सकते हैं। दरारों की वजह से प्रशासन जल्द ही कोई सख्त कदम उठएगी ताकि वहाँ के लोग सुरक्षित रह सकें।

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