कुछ दिन पहले बोर्ड परीक्षा के परिणाम आये और 80 से 90 प्रतिशत लाने वाले बच्चे भी अवसाद में चले गए। सोशल मीडिया पर बच्चों की मार्कशीट का प्रदर्शन करने वाले पेरेंट्स ये भूल गए कि जो बच्चे पास हुए है या पास नहीं हो पाए, उनके लिए आप एक ऐसी लकीर खींच रहे हैं जहां वो आत्महत्या जैसा कोई कदम उठा लें।
माँ-बाप न पड़े नंबरों की दौड़ में
नम्बरों की दौड़ में अपने बच्चों को भगाने से पहले क्या आपने सोचा कि अगर ये 100% या 99% लाने वाले बच्चे किसी प्रतियोगी परीक्षा में दौड़ में पीछे रह गए तो क्या वो उस हार को पचा पाएंगे। अपने बच्चों को हारना भी सिखाना होगा क्योंकि जिसने हार को स्वीकार कर लिया वो जिन्दगी में जरूर सफल होगा। बस अपने मूल्यों पर ध्यान दें और मेहनत पर डटे रहिए।
कैसे राहुल गांधी मिसाल हैं
मेरा मानना है कि आप राहुल गांधी से सीखिए। कहने को वो आपकी नजर में ‘पप्पू’ है। आपके लिए मीम बनाने का सबसे पहला चेहरा है। लेकिन क्या आपने कभी गौर से सोचा कि राहुल कितना मजबूत है। इस राहुल ने हर रास्ते पर सिर्फ हार ही देखी है। बचपन में दादी की हत्या, किशोरावस्था में पिता का शव तक नसीब न होना और सारी मीडिया, विपक्षियों द्वारा दिन-रात उसकी छोटी-छोटी बातों को मॉर्फ करके जनता के बीच उसे मूर्ख साबित करने की कोशिश करना। सारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार के मंत्रियों द्वारा सिर्फ राहुल का नाम लेकर उसे जोकर, बेवकूफ, और नकारा साबित करने की कोशिश करते रहना।
कभी उन पर केस, कभी ED औऱ CBI द्वारा लगातार 50 घंटे तक सवाल पूछना, ट्विटर और फेसबुक पर IT सेल द्वारा राहुल के खिलाफ गलत नैरेटिव सेट करना, उनकी सदस्यता रद्द करना। ऐसे कई चीजें हैं जो काफी है एक इंसान को टूटने के लिए। लेकिन शायद दृढ़ निश्चय और माँ के संस्कार ऐसे है कि राहुल कभी टूटता नहीं। वो मुस्कुराया तब भी जब मेहनत करने के बाद हार मिली। वो मुस्कुराते हुए हर जगह दिखे। तब भी जब उनकी इमेज ऐसी बनाई गई। जनता उसे सिर्फ पप्पू के आगे कुछ न समझे चाहे जनता के हर घर में किसी अपने का नाम पप्पू ही क्यों न हो।
बेबाक राहुल का अंदाज
पप्पू का मतलब आपकी नजर में जोकर, मूर्ख,नकारा हो सकता है। एक अच्छा पढ़ा-लिखा आदमी जो जो देश विदेश की यूनिवर्सिटी से डिग्री कर के आया है, जिसे मार्शल आर्ट में महारत है, जो पानी के अदंर भी घंटों रह सकता है, जो प्लेन उड़ा सकता है। जो इकोनॉमी पर बात कर सकता है, रघुराम राजन का इंटरव्यू ले सकता है, जिसे जितनी अच्छी हिंदी आती है उतनी अच्छी इंग्लिश आती है। जो मीडिया के हर सवाल का बेबाकी से सामना करता हैं प्रेस कॉन्फ्रेंस करता है।
छवि बिगाड़ने की कोशिश के बीच राहुल का यात्रा
उसे हजार करोड़ों रूपये लगाकर पप्पू साबित किया जाता है। लेकिन वो फिर भी हार नहीं मानता। वो बापू के विचारों पर चलता है पूरे देश को जोड़ने के लिए पैदल मीलों चलता है मीडिया, जनता, सरकार मजाक उड़ाती है लेकिन फिर वो चलता जाता प्यार की मशाल लिए, नफरत को हराते हुए। लोग जुड़ते है उस पर विश्वास भी करते हैं लेकिन मीडिया सरकार फिर मजाक उड़ाती है कि पप्पू कुछ भी कर ले अंत में हारेगा। पर वो कहता है मैं चुनाव हार जाऊँ कोई फर्क नहीं। पर मैंने लोगों के दिलों को जीता है। मुझे फर्क नहीं पड़ता कि जनता दुनिया सरकार मुझे क्या कहती है। लड़ने की हिम्मत है। हार से कुछ सीखने का जज्बा है। बस यही चाहिए जिंदगी में।
हार नहीं कोशिश जरूरी है
आज वो जीत गया सिर्फ वो नहीं जीता, हर वो शख्स जीता है जिसने हार को जीत में बदलने का सपना देखा है। जो हार का अवसाद में नहीं गया, चाहे वो परीक्षा में कम नम्बर आने की हार हो या नौकरी में सफलता न पाने की हार। जिसने हार से लड़ना सीख लिया वो ज़िंदगी की हर बाजी जीत गया। तो बच्चों नम्बर की दौड़ में खुद को मत दौड़ाओ। तुम बस मेहनत करो चलते रहो विश्वास के साथ सच्चाई के साथ जीत जरूर होगी।कनार्टक की जनता को धन्यवाद जिसने आज ये साबित कर दिया कि 100% लाने वाला बच्चा ही सफल नहीं होता। फेलियर झेल चुका बच्चा भी जिंदगी में सफल हो सकता है। तो बच्चों हारने पर टूटिये मत जिंदगी में हारने के मौके आये तो राहुल को देखिए। देखिए कैसे हार का सामना करके भी मजबूत बना जा सकता है। अपनी मंजिल पर पहुँचा जा सकता है। आपकी जीत निश्चित है।