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क्या हरियाणा में भाजपा और जेजेपी का छूटेगा गठबंधन?

Jannayak Janata Party leader Dushyant Chautala and Amit Shah

Jannayak Janata Party leader Dushyant Chautala and Amit Shah

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी गठबंधन के बीच कड़वाहट बढ़ती जा रही है। दोनों पार्टियों के नेताओं की बीच ज़ुबानी जंग भी तेज़ हो गई है। विवाद के केंद्र में एक विधानसभा सीट उचाना कलां है। जो चौधरी बीरेंद्र सिंह और चौटाला परिवार के बीच सियासी जंग का अखाड़ा रहा है।

क्या है इस सीट का इतिहास

मौजूदा परिस्थितियों की बात करने से पहले, आपको इस हॉट सीट का इतिहास और बीरेंद्र चौधरी की चौटाला परिवार के बीच राजनीतिक अदावत के बारे में बताते हैं। जाटलैंड कहे जाने वाले जींद जिले की इस सीट पर चौधरी बीरेंद्र का एकछत्र राज रहा है। चौधरी बीरेंद्र सिंह इस सीट पर 1977 से लेकर 2005 तक कांग्रेस के टिकट पर 5 बार विधायक रहे हैं। उनकी पत्नी प्रेमलता 2014 में इस सीट से एक बार विधायक रह चुकी हैं।

बीरेंद्र सिंह और चौटाला परिवार के बीच राजनीतिक द्वेष

अब आपको बीरेंद्र सिंह और चौटाला परिवार के बीच राजनीतिक अदावत के बारे में बताते हैं। 2009 के विधानसभा चुनावों में उचाना सबसे हाई प्रोफाइल सीट थी। यहां कांटे की टक्कर में ओमप्रकाश चौटाला ने बीरेंद्र सिंह को सिर्फ 621 वोटों से चुनाव हरा दिया था। इसके बाद इस सीट पर दोनों के बीच राजनीतिक लड़ाई होती रही है। 2014 में इस सीट पर एक बार फिर से चौधरी परिवार और चौटाला परिवार आमने सामने था। इस सीट ने बीजेपी के टिकट पर बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता मैदान में थीं, तो वहीं दादा की विरासत बचाने के लिए दुष्यंत चौटाला INLD से चुनाव मैदान में थे। इस चुनाव में प्रेमलता ने दुष्यंत को 7480 वोटों से हराकर मुकाबले को 1-1 की बराबरी पर ला दिया था। इसके बाद 2019 के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर प्रेमलता और दुष्यंत आमने-सामने थे। पार्टी में टूट के बाद दुष्यंत अपनी नई पार्टी जेजेपी से चुनाव मैदान में उतरे और प्रेमलता को बड़े अंतर से हरा दिया। इस चुनाव में दुष्यंत ने प्रेमलता को 47452 वोटों से हराया था।

दोनों परिवारों में राजनीतिक टक्कर

इसके अलावा इन दोनों परिवारों के बीच लोकसभा चुनावों में भी टक्कर हो चुकी है। 2019 के लोकसभा चुनावों में हिसार सीट पर बीरेंद्र सिंह के बेटे ब्रिजेंद्र सिंह मैदान और दुष्यंत चौटाला आमने-सामने थे। इस चुनाव में बीरेंद्र सिंह के बेटे ब्रिजेंद्र सिंह ने दुष्यंत चौटाला को 3 लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया था।

भाजपा और जेजेपी के बीच नया विवाद

हालांकि विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा और जेजेपी के गठबंधन की सरकार बनी और दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम बने। अब ताजा विवाद उचाना कलां सीट पर दावेदारी को लेकर हो रहा है। चौधरी बीरेंद्र की पत्नी प्रेमलता ने इस सीट पर अपना दावा किया है। उनकी इस दावेदारी को भाजपा के कई नेताओं का समर्थन भी हासिल है। भाजपा के हरियाणा प्रभारी बिप्लब देव ने तो बकायदा प्रेमलता को अगला विधायक तक बता दिया, जो सीधे-सीधे दुष्यंत चौटाला को चुनौती देने जैसा है।

क्या बीजेपी गठबंधन के बिना बनाएगी सरकार

बिप्लब के बयान पर दुष्यंत ने पलटवार करते हुए कहा था कि किसी के पेट में दर्द है, दर्द की दवाई तो मैं नहीं दे सकता। इसके बाद बिप्लब देव ने फिर दुष्यंत चौटाला पर पलटवार किया और कहा कि जेजेपी ने बीजेपी को समर्थन देकर कोई एहसान नहीं किया है। वहीं जेजेपी प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने कहा था कि “ये बयान गलत है और गठबंधन के खिलाफ है।” इसके अलावा भी इन दोनों पार्टियों के बीच कई बार ज़ुबानी जंग सामने आई। प्रेमलता ने दुष्यंत पर आरोप लगाया था कि उचाना में दुष्यंत ने जो भी वादे किए थे, वह पूरे नहीं किए, इसलिए वह फील्ड में उतरी हैं। वहीं उनके पति बीरेंद्र सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा कि बीजेपी 2019 में अल्पमत में थी। तब स्थाई सरकार के लिए पांच साल का गठबंधन था। आगे जो चुनाव होगा, उसमें गठबंधन नहीं होगा। बीजेपी के कार्यकर्ताओं से लेकर मुख्यमंत्री तक या फिर संगठन अध्यक्ष इस गठबंधन को नहीं चाहते।

कुल मिलाकर दोनों पार्टियों के बीच कड़वाहट बढ़ रही है। सियासी गलियारें में इस कड़वाहट के बाद लोग गठबंधन टूटने तक के कयास लगा रहे हैं। हालांकि भाजपा के लिए यह कोई नई बात नहीं होगी। इससे पहले भी भाजपा की कई राज्यों में सहयोगी पार्टियों से गठबंधन टूट चुका है, इनमें कई सहयोगी ऐसे थे, जो दशकों तक भाजपा के साथ रहे थे। इनमें महाराष्ट्र में शिवसेना, बिहार में JDU, पंजाब में अकाली दल और आंध्र प्रदेश में TDP के साथ बीजेपी का गठबंधन टूट चुका है। इसके अलावा भाजपा को हरियाणा में कई और चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है। जिसमें किसानों-पहलवानों का मुद्दा शामिल है। वहीं उचाना विधानसभा सीट किसको मिलेगी यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना तो तय है कि बीरेंद्र सिंह और चौटाला परिवार दोनों में कोई इस सीट पर समझौता करने के मूड में नहीं है।

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