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हिन्दी कविता: हद हो गई भाई माधो!

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अब तो हद हो गई भाई माधो

देखो दमन नीतियां शुरू हो गई भाई माधो

एक जली थी चिंगारी, जो दावानल बन गई

नहीं हिलाए हिली, कुछ ऐसे अचल बन गई

दंभी तानाशाहों के यूं सिर हो गई भाई माधो

क्रांति-शिखर पर जो गई भाई माधो

उसे शिखर से गिराने हेतु अब अफवाहें उड़ाएं 

झूठ सहारे चलने वाले एड़ी चोटी जोर लगाएं

लेकिन और ऊंचाई पर ऐसे वो गई भाई माधो

डोले सत्ता उनकी रो गई भाई माधो

वक्त आ गया कि शोषण को जड़ से मिटाओ

उठो, क्रांतिवीरों ऐसे तुम चुप ना रह जाओ

जागो, क्यों तुम्हारी चेतना खो गई भाई माधो

अब तो हद्द हो गई भाई माधो!

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