असम में लगभग 3000 लोगों को पुलिस ने POCSO एक्ट लगाकर गिरफ्तार किया है और जबरन जेल में डाल दिया गया है। जिन मामलों में पुलिस ने इन लोगों को गिरफ्तार किया है, वो 1 साल से भी ज्यादा पुराने मामले हैं। वहीं दूसरी ओर हमारे देश के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पहलवान पिछले कई महीने से धरने पर बैठी हुई थी। भारतीय जनता पार्टी के सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रही थी। महिला पहलवानों ने बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है, जिसमें एक नाबालिग है जिस आधार पर बृजभूषण पर POCSO एक्ट भी लगा है। लेकिन अभी तक बृजभूषण की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। यहाँ तक की सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद ही FIR भी दर्ज हो सकी।
असम का क्या है मामला
असम में हुई गिरफ्तारी के कुछ मामलों में परिवार का एक मात्र कमाने वाला भी जेल के अन्दर डाल दिया गया है और उसके परिवार के बाकी सदस्यों की भूखे मरने की नौबत आ गयी है। सरकार की इस कार्रवाई के चलते एक महिला ने कथित रूप से सुसाइड कर लिया। महिला को डर था कि उसकी बचपन में शादी कराने के आरोप में उसके पिता की गिरफ्तारी हो सकती है। आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक सुसाइड का ये मामला असम (Assam) के मानकाचर की है। 27 साल की मृतक महिला का नाम सीमा खातून था। सीमा के पिता ने उनकी शादी बचपन में ही करा दी थी। 2 साल पहले सीमा के पति की कोविड-19 से मौत हो गई थी। तब से सीमा अपने पिता के साथ रहती थीं। रिपोर्ट के मुताबिक सीमा को डर था कि बाल विवाह के मामलों में पुलिस की कार्रवाई में उनके पिता की भी गिरफ्तारी हो सकती है। बाल विवाह के खिलाफ चल रही पुलिस कार्रवाई के डर से उन्होंने ये कदम उठाया। सीमा की मौत के बाद 4 फरवरी को इलाके के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।
सिर्फ घर के पुरुषों पर कार्रवाई क्यों
माजुली जिले में 55 साल की निरोदा डोले ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा, “केवल आदमियों को ही क्यों पकड़ा जा रहा? हम और हमारे बच्चे कैसे जिंदा रहेंगे? हमारे पास आय का कोई साधन नहीं है।” बारपेटा जिले की एक महिला ने कहा कि उनका बेटा एक नाबालिग लड़की के साथ भाग गया था। महिला का सवाल था, “मेरे बेटे ने गलती की, लेकिन मेरे पति को क्यों गिरफ्तार किया?” मोरीगांव की मोनोवारा खातून ने कहा, “मेरी बहू 17 साल की थी जब उसकी शादी हुई थी। अब वह 19 साल की है और पांच महीने की गर्भवती है। उसकी देखभाल कौन करेगा?”
क्या कहता है कानून
मानवाधिकार वकील देबस्मिता घोष ने कहा कि एक बार शादी हो जाने के बाद कानून इसे वैध मानता है और ऐसी शादी से हुए बच्चों को सभी कानूनी अधिकार मिलते हैं। उन्होंने कहा कि कानून कहता है कि बाल विवाह तभी अमान्य है जब वह व्यक्ति जिला अदालत में याचिका दायर करता है जो शादी के वक्त नाबालिग था और अगर याचिकाकर्ता नाबालिग है तो याचिका उसके अभिभावक के जरिए दायर की जा सकती है। घोष ने कहा कि अगर ऐसा व्यक्ति याचिका दायर करता है जो शादी के वक्त नाबालिग था तो यह उस व्यक्ति के बालिग होने के दो साल के भीतर दायर की जानी चाहिए। घोष ने कहा ज्यादातर गिरफ्तारियों में दंपति अब वयस्क होंगे और अगर उन्होंने अपनी शादी निरस्त करने क लिए कोई याचिका दायर नहीं की तो सरकार को उनकी निजी जिंदगी में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। प्रख्यात विद्वान मनोरमा शर्मा ने कहा कि बाल विवाह बंद होने चाहिए। लेकिन यह एक सामाजिक बुरायी है, कानून एवं व्यवस्था की कोई समस्या नहीं है।
अभी भी जेलों में बंद लोग
हालांकि गुआहाटी कोर्ट ने इस तरह से से आम लोगों को परेशान करने के लिए पुलिस को फटकार भी लगाई है। लेकिन बहुत से लोग अभी भी जेलों में बंद हैं। सोचने वाली बात ये है कि एक तरफ एक नाबालिग महिला पहलवान कह रही है कि बृजभूषण ने उसका यौन उत्पीडन किया गया है तो पुलिस ये मानने को भी तैयार नहीं है। FIR करने तक को भी तैयार नहीं है। वहीं हम देखते हैं कि इसी देश के एक दूसरे हिस्से में बिना किसी शिकायत के लगभग 1 साल से भी ज्यादा पुराने मामलों में 3000 लोगों को जबरन गिरफ्तार कर लिया है।
गिरफ्तार हुए ज्यादातर लोग हाशिये पर जी रहे
ज्यादातर लोग जो गिरफ्तार किये गए हैं, उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति बहुत बढ़िया नहीं है। ज्यादातर गरीब मजदूर और निचले तबके के लोग हैं। उनकी शिक्षा और रोजगार की स्थिति भी बेहद खराब है। उनकी स्थिति को सुधारने के भी बहुत बढ़िया इंतज़ाम इस देश की सरकार ने नहीं किया है। वो पीढ़ी दर पीढ़ी से ही इसी हालत में जिंदगी जी रहे हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी से ही अपने पुराने रीती रिवाजों का पालन करते आये हैं।
सरकार बाल विवाह को रोक क्यों नहीं पाई
अब ऐसे में किसी देश की सरकार को करना तो ये चाहिए था की उनके बीच शिक्षा का प्रचार प्रसार करती और रोजगार का कुछ इंतज़ाम करती और उनकी स्थिति की ठीक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाती। लेकिन सरकार ने सीधे उन गरीब मजदूरों को गिरफ्तार करके जेलों में बंद कर दिया है। उनका मुकदमा लड़ने वाला भी कोई नहीं हैं। रोटी कमाने वाला जेल में बंद है और उनके बच्चे भूखे मर रहे हैं। उन परिवारों की महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं और अपने परिवार के कमाने वाले इकलौते सदस्यों की गिरफ्तारी का विरोध कर रही हैं।