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जनरल बिपिन रावत: आज भी हैं अंनत प्रेरणा का स्त्रोत

General Bipin Rawat

General Bipin Rawat

भारत माता के शीश मुकुट की शान हूं मैं, करोड़ों भारतीय का अभिमान हूं मैं, 

वैसे तो बहुत दयावान हूं मैं, पर दुश्मन के मौत का सामान हूं मैं ,

मां भारती की रक्षा में प्राण निछावर करता, देश का वीर जवान हूं मैं।

अगर हम किसी भी देश की सुरक्षा की बात करें तो उसमें सेना का कितना महत्वपूर्ण योगदान होता है। उसे शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल सा प्रतीत होता है। अर्थात उनके त्याग और बलिदान की व्याख्या के लिए शब्दों की कमी पड़ जाए कि किस तरह वह हमारे लिए अपने परिवार वालों से दूर रहकर हमारी रक्षा करते हैं। 

चुनौतियों से भरा सेना का काम

हम होली के रंगों से अपने जीवन को रंगीन और दिवाली के दीपों से अपना भविष्य उज्जवल करना चाहते हैं। किंतु उनके लिए भारत माता की सेवा में तत्पर रहना ही होली और अपने कर्तव्यों के लिए अग्रसर रहना ही दिवाली है। सेना की बागडोर संभालने के लिए 1 लीडर की आवश्यकता होती है जो कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अपने साथियों को सकारात्मक रख उचित निर्णय ले सके। 

सेना का महत्वपूर्ण चेहरा थे बिपिन रावत

जी,हां हम बात कर रहे हैं दृढ़ संकल्प और सशक्त व्यक्तित्व की पहचान भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत की। इनका जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के गढ़वाल में एक सेना परिवार में हुआ। उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत जो कि खुद भी लेफ्टिनेंट जनरल पद से पौड़ी गढ़वाल जिले से रिटायर हुए। सैन्य परिवारिक माहौल होने के कारण विपिन सिंह रावत बचपन से ही सैन्य सेवा में अपना योगदान देना चाहते थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के कैबरिन हाल स्कूल और शिमला सैंट एडवर्ड स्कूल से हुई।

पांचवी बटालियन से सैन्य जीवन शुरू किया

बिपिन रावत ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में दाखिला लिया। वेलिंगटन स्थित डिफेंस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। कुछ इस प्रकार रहा उनका पूरा शैक्षणिक जीवन काल। वो कहते हैं ना कि पूत के पांव पालने में नजर आ जाते हैं। उन्होंने न केवल अपने सपने साकार की अपितु सेना में उच्चस्तरीय पद भी हासिल किया। 16 दिसंबर 1978 को गोरखा 11 राइफल्स की पांचवी बटालियन के साथ उन्होंने अपने सैन्य जीवन की शुरुआत की। यहां से उन्होंने बहुत कुछ सीखा और फिर मेजर के पद पर जम्मू और कश्मीर में एक कंपनी की कमान संभाली। उन्होंने करनल के रूप में किबिथू में एलएसी (LAC) के साथ अपनी बटालियन की कमान संभालने को मिली।

चीफ़ ऑफ स्टाफ का पदभार ग्रहण किया

इसके बाद बिपिन रावत ने उरी में 19वी इन्फेंट्री डिवीजन के कमांडिंग जनरल की भूमिका ग्रहण की। तभी उन्हें मेजर जनरल के पद पर पदोन्नत किया गया। एक लेफ्टिनेंट जनरल के तौर पर पुणे के दक्षिणी सेना की कमान संभाली 2016 को भारत सरकार द्वारा बिपिन  रावत ने 26 चीफ़ ऑफ स्टाफ का पदभार ग्रहण किया। पुलवामा आतंकी हमले वर्ष 2019 में पाकिस्तान के बालाकोट में जैस मोहम्मद को निशाना बनाकर किए गए हवाई हमलों का निरीक्षण किया। उनके इन उपलब्धियों के लिए परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक सेना, पदक विशिष्ट सेवा पदक, और मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

अंत के बाद भी अंनत प्रेरणा का स्त्रोत

8 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु की कुन्नूर में हेलीकॉप्टर हादसे में बिपिन रावत का निधन हो गया। इस दुर्घटना में उनके साथ ही उनकी पत्नी समेत अन्य 12 लोगों ने भी अपनी जान गंवा दी। आज भले ही वह हमारे बीच ना रहे किंतु उनका पूरा जीवन काल हमारे लिए प्रेरणादायी है। हमें उनके व्यक्तित्व से खुद को तराशने की आवश्यकता है। अपने शब्दों के अंत में केवल इतना कहना चाहती हूं- 

“चला गया वह वीर अमरपुर साहस से सब अरिदल, जीत उनका चित्र देखकर दुश्मन अब भी होते हैं भयभीत।”

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