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हिन्दी कविता: हे कान्हा तुम समझते हो मेरी बात!

Lord Krishna

अधूरे रिश्तों को सजाने,

खोए हुए सपनों को पाने,

जीवन के महकते गुलाबों में खोने,

तुम्हारे समक्ष हम शर्माने

आगे बढ़ते वक्त का हाथ पकड़ते,

हम किसी दुख में टूट जाते,

अज्ञात काले अंधेरों में खो जाते,

तब, तुम थे जो मेरे गहराई में चिपके रहते।

हे कान्हा! तुम मुझे हकीकत से रूबरू कराते,

मेरे बड़े सपने को साकार करते,

और समझाते कि जीवन का महत्व क्या होता।

मेरे अंदर की खूबियों को उजागर करते।

तुम किसी रूप में मेरे ही नकल करते,

इससे मुझे अपना असली रूप मिलता 

सावधानी से मेरी मुश्किलें हल करते।

हे कान्हा! तुम समझते हो मेरी हर दिलचस्प बात,

तुम मेरे शांत सादगी को एहसास कराते,

तुम मुझे सही समय पर सुझाव सुझाते 

मुझे सच्चाई से रूबरू करवाते।

तुम मेरे जीवन में एक आईना हो,

जो मेरे अंदर की हर खूबी को उजागर करता हो,

हे माधव तुम ही सही दिशा में चलने की सलाह देता हो,

तुम मेरे ही तरह यहीं पल रुकते हो।

इसलिए, कृष्ण, तुम मेरे लिए एक आईना हो,

जो मुझे खुलकर जीने की सलाह देता हो,

मेरे जीवन में हमेशा सहयोग करता हो,

तुम मेरे ही तरह यहीं पल रुकते हो।

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