Site icon Youth Ki Awaaz

कैसे परिवहन और अन्य अभावों के बावजूद कोमल ने अपनी पढ़ाई जारी रखी?

girls from the village, gandwa

कोमल एक 21 वर्षीय खुशमिजाज लड़की है। फिलहाल वह राजस्थान के अलवर जिले में स्थित तिजारा प्रखण्ड के अपने गाँव गंडवा से 35 किलोमीटर दूर तिजारा के कॉलेज से स्नातक कर रही है। कोमल अपने माता-पिता की इकलौती बेटी है। उसके माता-पिता को उस पर गर्व है कि वह कॉलेज की शिक्षा हासिल करने वाली अपने गांव की पहली लड़कियों में से एक है। हालाँकि, कॉलेज तक की उनकी यात्रा काफी चुनौतीपूर्ण रही। अगर देखा जाए, तो यह मुख्य रूप से सुरक्षित और नियमित परिवहन उपलब्धता तक पहुंच न होने के कारण हुआ है, जो न सिर्फ़ इस गाँव बल्कि पास ही बसे इंडोर गाँव के लिए भी लगातार चिंता का विषय रहा है।

कॉलेज में अब तक कोमल का आना-जाना एक निजी स्कूल बस या उसके पिता के उपलब्धता पर निर्भर है। या तो कभी बस उसे टपुकारा बाईपास तक छोड़ती है, जहाँ से उसे कोई ऑटो करना होता है। या कभी वह उस बस से जाती है जो उसे उसके कॉलेज से लगभग एक किमी दूर छोड़ती है। तब वह दूर-दराज इलाकों के अपने कुछ दोस्तों के साथ चलते हुए कॉलेज पहुँचती है। आम तौर पर उसे सिर्फ कॉलेज जाने में ही 1.5 से 2 घंटे लग जाते हैं और प्रति दिन 120-150 रुपए खर्च होते हैं। उसने गांव के प्राथमिक विद्यालय में 5वीं तक पढ़ाई की, जिसमें कि शिक्षक और छात्र का अनुपात 1:200 था और वह अब भी कुछ ऐसा ही देखती है वहाँ।

कोमल कहती हैं कि वह इस स्कूल में भी मुश्किल से पढ़ना-लिखना सीख पाती थी क्योंकि वह इसमें नियमित रूप से नहीं जा पाती थी। एक कृषि प्रधान परिवार और समुदाय से होने के कारण और अपने गाँव में कोई रोल-मॉडल न होने के कारण, वह घर के कामों में लगी रहती थी और बस अपने बचपन का आनंद ले रही थी। इसके बाद छठी कक्षा में उसने अपने परिवार के समर्थन से प्रेरित होकर एक बेहतर जीवन जीने का फैसला लिया। उसने अपने माता-पिता के लिए कुछ करने के लिए अच्छी तरह से पढ़ाई करने का फैसला किया। उसने सारे कलाँ (जो कि गंडवा गाँव से 5 किमी से ज्यादा दूर है, यहाँ पर गंडवा से सारे कलाँ को जोड़ती हुई सड़क कुछ 5-6 साल पहले ही बना है) के एक सरकारी स्कूल में प्रवेश लिया। यहाँ शिक्षक और छात्र अनुपात कुछ बेहतर था। दृढ़ संकल्प से कोमल ने हर दिन स्कूल जाने की कोशिश की। लेकिन, किसी वाहन के आभव में और प्रतिदिन 10 किमी पैदल चलने के कारण वह बहुत ज्यादा थक जाती। उसके किशोर शरीर को भी कुछ दिन आराम की आवश्यकता थी।

उसके लिए महज स्कूल जाना और आना ही एक चुनौती थी। इसलिए उसने स्कूल जाना छोड़ दिया। लेकिन उसके माता-पिता के दोबारा समझाने और राजी करने पर, उसने तिजारा के एक निजी स्कूल में 7वीं कक्षा में दाखिला ले लिया। अब वह अपने मामा के साथ रहने लगी। स्कूल में कबबही भी अच्छी पढ़ाई, प्रशिक्षण और प्रोत्साहन की कमी में उसके आत्मविश्वास और क्षमताओं पर असर पड़ा। वह खुद पर अविश्वास करने लगी। ऐसे में जब उसने दसवीं की परीक्षा दी, तो नंबर अच्छे न होने की वजह से उसने फिर से पढ़ाई छोड़ दी। अपने कहानी बताते हुए वह कहती है कि अगर कोई माध्यमिक स्कूल नजदीक होता जिसे पैदल तय किया जा सकता हो, तो वह उसके लिए बहुत आसान होता।

यह पूछे जाने पर कि क्या वह सरकार की किसी ऐसी नीति के बारे में जानती हैं जो यातायात को आसान बनाती है, कोमल बताती है कि अब उन्हें राजस्थान सरकार की ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना के बारे में पता है। हालांकि, उसे शंका है कि क्या यह पास प्राथमिक विद्यालय के लिए लागू होता है या नहीं। राजस्थान के आरटीई नियमों के तहत, राजस्थान सरकार द्वारा लड़कियों को अनिवार्य स्कूली शिक्षा प्रदान करने के लिए परिवहन वाउचर योजना साल 2017-18 में शुरू की गई थी। सरकारी स्कूलों में माध्यमिक और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में पढ़ रही लड़कियों को विशेष रूप से लाभान्वित करने के उद्देश्य से इस योजना में स्कूल से 5 किमी की दूरी के भीतर रहने वाली लड़कियों को शामिल किया गया है। यह कक्षा 1 – 8 के सभी छात्राओं को लाभान्वित करेगा। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों की कक्षा 1 – 5 के लड़कियों को भी शामिल किया गया है जो 1 किमी से अधिक दूरी पर रहते हैं। वहीं उच्च प्राथमिक यानि छठी कक्षा से आठवीं तक लड़कियों को शामिल किया गया है जो स्कूल से 2 किमी से अधिक दूर रहते हैं। 

Exit mobile version