किसी ने कभी भी नहीं सोचा था कि एक दिन सारा काम इंटरनेट से ही हो जाया करेगा। इंटरनेट हमारे जीवन के लिए इतना आवश्यक हो गया है कि इसके बिना अब इस समाज में कोई भी कार्य नहीं हो सकता है। आजकल के समय में कुछ भी हो इंटरनेट से हम आसानी से ढ़ूंढ सकते हैं। हमें कुछ भी जानकारी ढूंढनी हो तो हम इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। जिससे देश आगे भी बढ रहा है क्योंकि इंटरनेट एक रोजगार का माध्यम भी बन गया है। पिछड़े हुए गांव में जहां अभी तक नेटवर्क तक सुविधा नहीं है, वहां के लोगों के लिए इंटरनेट बस शब्द की तरह रह गया है। जिससे लोग बोलते तो है इंटरनेट से सब काम होते हैं, पर उन गांवों में नेटवर्क ही नहीं हो तो लोगों के लिए जनसंचार का कोई भी महत्वपूर्ण काम बिना इंटरनेट के संभव नहीं हो सकता है। अभी भी लोगों को फोन से कॉल करना नहीं आता है। तो वह काम कैसे करेंगे? कहीं तो भारत डिजिटल इंडिया बन गया तो कहीं अभी भी लोग नेटवर्क से नहीं जुड़े हैं, तो वहां कैसे इंटरनेट से काम होगा? आज के समाज में इंटरनेट ही लोगों को चला रहा है।
इंटरनेट के माध्यम से आत्मनिर्भर हो सकते हैं लोग
ऐसे ही एक बुजुर्ग व्यक्ति भगवान राम का कहना है, “हमारे जीवन में पहले इंटरनेट का उतना उपयोग नहीं था। पर अब इस समाज में तो बिना इंटरनेट के कोई काम नहीं होता है। हमें अब कोई भी कार्य करना हो तो सब इंटरनेट पर ही हो रहा है। जो हमारी तो समझ से ही बाहर है। कोई फार्म ऑनलाईन करना हो या बैंक में काम हो, और अब पैसे भी देने हों तो भी ऑनलाइन ही काम हो सकता है। इसकी कमी के कारण कोई भी कॉल या जरूरी सूचना किसी दूसरे व्यक्ति को देनी हो तो परेशानी का सामना करना पड़ता है।” गांव की बालिका संध्या कहती हैं, “जो काम हम अपने फोन से, इंटरनेट से कर सकते हैं, पर पहले हमें अपने स्कूल का काम, पासबुक का काम, कोई भी फार्म भरना होता तो पहले तो हमे घर से बाहर ज्यादा रहने नहीं देते थे। पर जब भी देते थे तो टाईम से हमे घर पैदल गरुड़ से 30 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। अब हमें कोई भी काम हो हम अपने फोन से इंटरनेट के जरिए आसानी से कर सकते हैं। जिस काम में हमें 10 दिन या एक महीना लगता था अब उतना समय नहीं लगता। आज के समय में मैं खुद अपना काम इंटरनेट के जरिए आसानी से कर सकती हूं। हमें खुद आत्मनिर्भर बनना है तो खुद ही सब काम करना पड़ता है।”
कुछ गाँव है इंटरनेट की सुविधा से वंचित
गांव की दूसरी किशोरी रजनी कहती हैं, “हमें अपने स्कूल का काम ऑनलाइन मिलता है। हम उसे नहीं कर पाते हैं क्योंकि हमारे यहां नेटवर्क नहीं आता है। कभी हमारे पास वो काम ही नहीं आ पाता है, कभी कुछ समझ न आए तो भी हमें इंटरनेट का सहारा लेना पड़ता है। पर हमें तो इंटरनेट का इतना ज्ञान है जिससे हम काम कर पाते हैं। सरकार की ओर से चलाई जा रही गौरा कन्या धन का फार्म ऑनलाइन करने में भी इंटरनेट का प्रयोग होता है। पर हमारे पास इसकी कोई सुविधा नहीं है और बाहर हमें नहीं जाने देते हैं। कभी तो हमारी फार्म भरने की तारीख भी निकल जाती है। हमारा फार्म नहीं भरा पाता है। हमें भी कंप्यूटर और इंटरनेट का ज्ञान होता तो हम खुद अपना फार्म समय पर भर लेते। पर हमारे लिए इंटरनेट खाली एक माध्यम है जो हम सुनते हैं, पर उसका पूरा ज्ञान नहीं है।”
गांव के एक युवक करण कहते हैं, “हमें अपना काम इंटरनेट के जरिए करना पड़ता है, तो हमें गरुड़ जाना पड़ता है। हमारे पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है। कभी हमें फार्म ऑनलाइन भरना हो तो गरुड़ जाना पड़ता है ताकि आखिरी तारीख न निकल जाए। एक काम में एक या दो दिन का समय नहीं, एक एक हफ्ते निकल जाते हैं। हम लड़के भी कुछ करना चाहते हैं। इंटरनेट के माध्यम न होने की वजह से काम से हम पीछे रह जाते हैं क्योंकि न हमें कंप्युटर का ज्ञान है और न ही इंटरनेट का ज्ञान है। आज के समय में इंटरनेट के बिना कुछ भी कार्य करना संभव नहीं है। हमें अपने दोस्तों से बात करनी हो तो भी हमें इंटरनेट की आवश्यकता पड़ती है। अगर हमें बचपन से सिखाया जाता तो हम भी अपना काम कर सकते थे। समय पर हमारा भी सब काम हो जाता और हम ग्रामीण भी समय के साथ चलते नज़र आते।”
गांव की औरत दीपा देवी का कहती हैं, “हमें तो आज तक फोन चलाना भी नहीं आता तो इंटरनेट की इस दुनिया में हमारा जीवन बिताना मुश्किल है। आज सब कार्य इंटरनेट से होते हैं। हमने भी इंटरनेट का ज्ञान लिया होता तो हमें भी इंटरनेट के इस कार्य़ से कोई परेशानी नहीं होती। हम खुद साक्षर होते। अपने बच्चों को भी सीखाते। हमारी तरह हमारे बच्चे भी इंटरनेट से अंजान हैं। हम कब तक इंटरनेट के कार्य के पूरे नहीं होने से पिछड़ते रहेंगे? हमें भी खुद आत्मनिर्भर बनना है। आखिर हमें कब तक सहना होगा? कब हमें इंटरनेट का पूरा ज्ञान मिलेगा?”
तानिया आर्य, चोरसौ, गरुड़, उत्तराखंड चरखा फ़ीचर