कुछ वर्षों पहले तक कोमल के पिताजी किसी प्राइवेट कंपनी में सेल्स मैनेजर की पोस्ट पर तैनात थे। तब कोमल बारहवीं कक्षा में पढ़ रही थी। घर के आर्थिक हालात सामान्य थे और सब कुछ ठीकठाक से चल रहा था। परंतु एकाएक कोरोना महामारी और लॉकडाउन की विषम परिस्थितियों के कारण कोमल के पिताजी की नौकरी चली गई। देखते ही देखते कुछ ही महीनों में परिवार के आर्थिक हालात इस कदर बिगड़ गए कि उसको मजबूरीवश अपना ट्यूशन तक छोड़ना पड़ गया। परन्तु आज वही 20 वर्षीय कोमल अपनी एजुकेशनल वेबसाईट और ब्लॉग्स के जरिए न सिर्फ हजारों रुपए प्रतिमाह कमा रही है, बल्कि अपने घर वालों की आर्थिक सहायता भी कर रही है। आइए जानते है कि यह सब आखिर कैसे हुआ?
कैसे कोमल ने इंटरनेट का सदुपयोग किया
आज कोमल स्नातक के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही है। लेकिन जिस समय कोमल के पिताजी की नौकरी गई उस समय वह 12वीं कक्षा की छात्रा थी। कोरोना महामारी के समय उसे ना सिर्फ अपना कोचिंग सेंटर छोड़ना पड़ा बल्कि अपनी पढ़ाई को पूरा करने के लिए उसे अब फोन और इंटरनेट जैसे साधनों पर भी आश्रित होना पड़ा। लेकिन उसने अपनी इच्छाशक्ति के दम पर इंटरनेट के माध्यम से ही अपनी तैयारियां की और काफी अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण भी हुई।
आज कोमल का कहती है कि चूंकि प्रारम्भ में बेशक इंटरनेट के प्रति उसका झुकाव मजबूरीवश ही था। परंतु सही मायने में इंटरनेट के माध्यम से उसकी शिक्षा की गुणवत्ता में और अधिक सुधार आया। उसे एक ही विषय पर भिन्न-भिन्न वेबसाईट और स्रोतों के माध्यम से अनेकों ऐसी जानकारियां प्राप्त हुई, जो सिर्फ किसी एक ही वेबसाईट या व्यक्ति के माध्यम से मिल पानी लगभग नामुमकिन थी।
ऑनलाइन शिक्षा दे ही है कोमल
एक स्टूडेंट के लिए इंटरनेट कितना महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, यह सब कोमल ने लॉकडाउन के दौर में अच्छे से सीख लिया था। परन्तु कोमल का मानना था कि इंटरनेट की इस उपयोगिता को बाकी विद्यार्थियों के बीच भी ले जाने की आवश्यकता है। इसलिए, उसने कुछ ही दिनों के भीतर अपनी स्वयं की एक एजुकेशनल वेबसाईट तैयार की, जिसके माध्यम से आज वह न सिर्फ 800 से भी अधिक बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा ही प्रदान कर रही है बल्कि वह विद्यार्थियों से संबंधित अनेकों विषयों पर चार से पांच ब्लॉग्स भी लिख रही है, जिसके माध्यम से वह लाखों बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता को सुधारने में भी मदद कर रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि अपनी वेबसाईट और ब्लॉग्स तैयार करने के लिए भी उसने किसी अन्य व्यक्ति कि सहायता नहीं ली, बल्कि इंटरनेट के माध्यम से जानकारियां जुटाकर ही उसने यह सब कार्य स्वयं ही पूरा किया था।
विद्यार्थियों के लिए इंटरनेट मूलभूत जरूरत
एक स्टूडेंट के लिए इंटरनेट तक पहुंच ना सिर्फ एक मूलभूत जरूरत ही है बल्कि हम उसके सपनों को एक हकीकत में भी तब्दील कर सकते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण कोमल है। परन्तु आजकल कोमल जैसी ना जाने कितनी ही लड़कियां इसी तरह से अपने खुद के पैरों पर खड़ा होकर महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक प्रबल उदाहरण पेश कर रही है। वैसे तो हम बचपन से ही सुनते आए हैं कि शिक्षा एक ऐसा हथियार है जिसके दम पर आप पूरी दुनिया को बदल सकते हैं। परंतु यदि आज उसी शिक्षा के स्तर में इंटरनेट रूपी सुधार की बात की जाए, तो हम देखते हैं कि वर्तमान शिक्षा के स्वरुप में और भी अधिक निखार निकलकर सामने आया है। इंटरनेट स्वयं अपनेआप में आज किसी आधुनिक उपकरण से कम नहीं है। उसने शिक्षा के स्तर को काफी तेज रफ्तार प्रदान करने का काम किया है। आज इंटरनेट के माध्यम से शिक्षा जगत का पूरा स्वरूप ही बदल चुका है। आप चंद सेकण्ड्स में ही इंटरनेट की सहायता से किसी भी विषय में जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। अपने कोर्स की पढ़ाई से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी तक कर सकते हैं। इससे विद्यार्थियों को बहुत अधिक मदद मिलती है।
इंटरनेट से हो सकती है अच्छी शिक्षा तक पहुँच
इंटरनेट के माध्यम से शिक्षा काफी आसान हुई है। हम अपने दौर में प्राय: विद्यार्थियों से किसी शिक्षक विशेष के संदर्भ में यह शिकायत करते हुए सुनते थे कि फलाने शिक्षक ठीक से नहीं पढ़ाता या उसका पढ़ाया हुआ हमें समझ में नहीं आता। परन्तु दुर्भाग्यवश उस दौर में शिक्षकों को बदलना इतना आसान नहीं होता था। या यूँ कहा जाए कि लगभग नामुमकिन ही था। परन्तु आज विद्यार्थियों के पास बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं। आप अपनी रूचि के अनुसार विषय का चुनाव कर सकते हैं। इंस्टिट्यूट का चुनाव कर सकते हैं। यहां तक कि शिक्षकों का भी चुनाव कर सकते हैं। आज झारखंड जैसे पिछड़े राज्य में बैठकर भी कोई भी विद्यार्थी बड़ी ही आसानी से दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों के शिक्षकों के माध्यम से अपनी पढ़ाई कर सकता है, जो शायद इंटरनेट के बिना संभव नहीं हो पाता। सबसे बड़ी बात यह है कि इंटरनेट ने शिक्षा जगत में लोगों के समय को बचाने में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डिजिटल शिक्षा के माध्यम से पढ़ाई करने पर आने-जाने का महत्वपूर्ण समय भी बचता है। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि ऑनलाइन शिक्षा अथवा इंटरनेट के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में बहुत अधिक व्यापक बदलाव आए हैं। आज पिछड़े हुए क्षेत्रों में भी इंटरनेट की उपलब्धता के कारण विद्यार्थियों को एक उत्तम शिक्षा प्राप्त हो रही है। इसके वजह से उनके जीवन में ना सिर्फ रोजगार की संभावनाओं में वृद्धि हो रही है बल्कि देश की तरक्की में भी कोमल जैसी तमाम महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान दिखाई पड़ता है।
आज भी मौजूद है डिजिटल डिवाइड
जिस प्रकार से शिक्षा के क्षेत्र में इंटरनेट की भूमिका बढ़ती जा रही है, उस हिसाब से आज प्रत्येक स्टूडेंट के लिए इंटरनेट तक पहुंचना एक मूलभूत आवश्यकता बन चुकी है। परंतु वहीं दूसरी ओर यदि आंकड़ों पर गौर किया जाए, तो वो बेहद ही चिंताजनक दिखाई देते हैं। UNESCO की स्टेट एजुकेशन रिपोर्ट 2021 के अनुसार भारत के स्कूलों में कंप्यूटिंग उपकरणों की उपलब्धता केवल 22 प्रतिशत ही पाई गई है। शहरी और ग्रामीण स्कूलों के बीच अगर इसकी तुलना करें तो ये आंकड़ा मात्र 43% और 18% ही है। वहीं पूरे भारत में केवल 19% स्कूल ही ऐसे हैं, जहां पर इंटरनेट कनेक्टिविटी की व्यवस्था मौजूद हैं। अब तक की बातों से यह तो आसानी से समझा जा सकता है कि आखिर किस तरह से आज के समय में स्टूडेंट के लिए इंटरनेट तक पहुंचना उसकी एक मूलभूत आवश्यकता बन चुकी है। परंतु अब ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि हम इसे एक हकीकत में किस प्रकार से तब्दील कर सकते हैं?
इंटरनेट की सही जानकारी है जरूरी
आज देशभर के विद्यार्थियों के बीच इंटरनेट के महत्व एवं उपयोगिता तथा उसके सही इस्तेमाल आदि के बारे में अधिक से अधिक जानकारियां फैलाने की आवश्यकता है। हालांकि डिजिटल एंपावरमेंट फाउंडेशन और वाया न्यूज़ दीदी जैसे कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और गैर सरकारी संगठन इस दिशा में काफी महत्वपूर्ण एवं सराहनीय कार्य कर रहे हैं। परंतु सामाजिक एवं राजनीतिक स्तर पर भी और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। इंटरनेट जैसी महत्वपूर्ण एवं मूलभूत आवश्यकता को पूरा करने के लिए देश की सरकारों को देशभर के तमाम गैर सरकारी संगठनों और आईटी सेक्टर की कंपनियों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। साथ ही साथ युवाओं और खासकर स्टूडेंट्स के डिजिटल अधिकारों, इंटरनेट पर उनकी सुरक्षा और इस डिजिटल दुनियां तक उनकी पहुंच के बारे में जागरूकता फैलाने की भी बहुत अधिक आवश्यकता है।
डिजिटल भारत का मतलब सिर्फ डिजिटल लेन-देन नहीं
भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अभी कुछ ही दिनों पहले यह सूचना दी थी कि भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था में काफी सराहनीय काम कर रहा है और विश्व स्तर पर डिजिटल लेन-देन के मामले में भारत आज पूरी दुनिया में शीर्ष पर है। दुनियाभर के लगभग 40% डिजिटल लेन-देन अकेले सिर्फ भारत में ही होते हैं। परंतु सिर्फ डिजिटल लेन-देन के माध्यम से ही डिजिटल क्रांति के सपने को साकार नहीं किया जा सकता। इसके लिए सरकार को अभी और भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।
कुछ दिनों पहले ही भारत सरकार के सूचना मंत्रालय ने देश के लोगों को यह भरोसा दिलाया है कि बहुत ही जल्दी भारत में 6G की व्यवस्था भी सुचारू रूप से जारी हो जाएगी, जिसे दुनिया के अन्य देशों को भी प्रदान किया जाएगा। यदि ऐसा होगा तो यह देश के इंटरनेट जगत में काफी मदद पहुंचाएगा। परंतु इस बात पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है कि इंटरनेट का यह फायदा देश के एक बड़े और जरूरतमंद वर्ग अर्थात स्टूडेंट तक अवश्य पहुंचे। आज के समय में स्टूडेंट तक इंटरनेट पहुंचना उनकी एक मूलभूत आवश्यकता बन चुकी है। बिना सभी वर्गों के सामूहिक प्रयासों के उस हक़ीक़त को तब्दील नहीं किया जा सकता।