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“लोकतंत्र का दुरुपयोग बंद करने के लिए भारत में ज़रूरी है अनिवार्य मतदान”

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(Photo by Sheeraz Rizvi/Hindustan Times via Getty Images)

लोकतंत्र एक ऐसी प्रणाली है जिसमे लोग स्वयं यह चुनते है कि कौन उन पर शासन करेगा। लोकतंत्र में शासन की सर्वोच्च सत्ता जनता के हाथों में समाहित होती है। जनता ही शासन में सक्रिय भूमिका निभाती है। जनता को सरकार का निर्माण करने के साथ-साथ शासन की जन विरोधी नीतियों तथा कानूनों का संवैधानिक ढंग से विरोध करने का अधिकार भी प्राप्त है । भारत में जब जनता देश का राजा चुनती तो वे सिर्फ उनका प्रतिनिधित्व कौन करेगा यह नहीं देखती बल्कि 5 साल देश की अर्थ व्यवस्था, रक्षा स्वास्थ, शिक्षा खेल और भी चीजों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करती है।

भारत में चुनाव को सिर्फ एक प्रक्रिया के तौर पर नही बल्कि एक त्योहार की तरह मनाया जाता है। लेकिन क्या सही मायने में भारत की जनता इस त्योहार में शत प्रतिशत तरीके से भागीदारी लेती है? इस का जवाब है नहीं। 2019 में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में 542 निर्वाचन क्षेत्रों में 67.11% मतदान हुआ जो अब तक का सर्वाधिक मतदान प्रतिशत है। 2014 के 65.95% मतदान की तुलना में 1.16% अधिक मतदान हुआ। 74 साल बाद भी देश के 33 प्रतिशत लोग अभी भी वोट नहीं दे रहे है। इसके कई कारण हो सकते हैं। लेकिन हमें देश की जनता को जागरूक करना होगा। उन्हें ये बात बतानी होगी कि वोटिंग सिर्फ उनका अधिकार नहीं बल्कि उनका कर्तव्य है।

आज भारत में वोटिंग सबका अधिकार तो है लेकिन अनिवार्य नहीं है। वोटिंग अनिवार्य न होने के क्या नुकसान है और उसे अनिवार्य करके कैसे जन जन को देश के विकास में भागीदार बना सकते है आइए जानते हैं। कई देशों में जहां मतदान करना विकल्प है, शोधकर्ताओं ने पाया है कि मतदान का प्रतिशत 50 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंचता है। कम मतदान अक्सर अयोग्य उम्मीदवारों को जीत हासिल करने का कारण बन जाता है। भारत के कई हिस्सों में मतदाताओं में उदासीनता एक बड़ी समस्या बन गई है। स्थानीय और केंद्र सरकारें लोगों को वोट देने के लिए प्रोत्साहित करने वाले अभियान बनाने के लिए भारी मात्रा में धन और संसाधन खर्च कर रही है। यदि मतदान अनिवार्य कर दिया जाए, तो इस व्यय को समाप्त किया जा सकता है।

वोटिंग अनिवार्य करने वाले देशों में एक सबसे बड़ा उदाहरण है ऑस्ट्रेलिया। इसने अपने सभी नागरिकों के लिए मतदान अनिवार्य किए जाने के वर्ष से प्रत्येक चुनाव में 90% से अधिक मतदान होने की सूचना दी है। वोटिंग प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए स्थानीय और केंद्र सरकारें बड़ी संख्या में डाक मतदान प्रक्रिया, ऑनलाइन मतदान पद्धति का इस्तेमाल कर सकती है। 

कई बार लोग द्वारा वोट देने के लिए पर्याप्त समय नहीं होने का हवाला देते हैं। यह सबसे आम बहानों में से एक के रूप में दिया जाता है। अगर पूरा देश क्षेत्रीय या केंद्र सरकार के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है, तो चुनाव भारतीय आबादी की सच्ची उम्मीदों और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करेंगे। नजरिया बदलिए जनाब, नजारे अपने आप बदल जाएंगे। जब मतदाता होंगे जागरूक तो मतदान के प्रति जो देश की स्थिति अपने आप बदल जाएगी।

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