वो सर्दियों की धूप
वो गर्मियों की रात
चांदनी रात में
जंगल का शोर
खेत में नाचता सुंदर सा मोर
साथ-साथ चलता वो चंदा मामा
दादी का वो कहानियां सुनाना
वो पुराना सा स्कूल
उतरती हुई रंग की परतें
उसके पीछे वो सूखा तालाब
किनारों पर इमली के पेड़
चहचहाती चिड़ियों की आवाजें
वो छोटी सी खिड़की से
आती हुई ठंडी हवाएं
एक प्यारी सी सड़क थी
जंगल से होकर
मेरे गांव में जाती थी
दोपहर में अक्सर
वो वीरान नज़र आती थी
बराबर में वो सरसों के फूल
जामुन के पेड़ से खाते थे खूब
आज भी याद है वो प्यारी सी सड़क
जिसपर सीखी थी साइकिल चलानी
उसपर ही बांधकर गठरी थी लानी
मुझे याद है वो प्यारी सी सड़क!