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Hindi Citation Format: हिन्दी दृष्टान्त प्रारूप

Author: Raju Ram

अनुक्रमणिका(TABLE OF CONTENTS)

अध्याय- पहला: भारतीय स्रोत (NATIONAL SOURCES) 4

I.      संविधान (CONSTITUTION) 4

i.      प्रस्तावना (Preamble) 4

ii.     अनुच्छेद (Articles) 4

iii.     अनुसूची (Schedule) 4

iv.     संविधान संशोधन (Constitutional Amendment) 5

II.     कानून और नियम (Statutes and Rules) 5

i. कानून (Statutes) 5

ii.     नियम (Rules) 6

III.       मामले/आदेश और अन्य न्यायिक दस्तावेज (CASE/ORDERS AND OTHER JUDICIAL DOCUMENTS) 6

i.      न्यायालय के मामले (Court Cases) 6

ii.     अधिकरण के मामले (Cases of Tribunals) 7

IV.       पुस्तक और नियत कालीन सामग्री (BOOKS AND PERIODICAL MATERIALS) 7

i.      पुस्तक (Books) 8

ii.     पुस्तक (E- Books) 8

V.     समाचार पत्र/पत्रिका के लेख/रिपोर्ट (NEWSPAPER/MAGAZINE’S ARTICLE/REPORT) 9

i.      समाचार पत्र लेख (Newspaper Article) 9

ii.     रिपोर्ट (Report) 9

iii.     पत्रिका का लेख (Magazine’s Article) 9

iv.     जरनल के लेख (Journal Article) 10

v.     कार्यपत्र (Working Paper) 10

vi.     ऑनलाइन लेख (Online Article) 11

vii.       ब्लॉग लेख (Blog Article) 11

VI.        विधायी और आधिकारिक प्रक्रियाएं (LEGISLATIVE AND OFFICIAL PROCEEDINGS) 12

VII.       प्रेस विज्ञप्ति (PRESS RELEASE) 12

अध्याय- दूसरा: अंतर्राष्ट्रीय स्रोत (INTERNATIONAL SOURCES) 14

I.      संयुक्त राष्ट्र महासभा/सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव (RESOLUTION OF UNITED NATIONS) 14

II.     संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट (UN REPORTS) 14

III.    अंतर्राष्ट्रीय केस/मामले (INTERNATIONAL CASES) 15

IV.        संधि/सम्मेलन (TREATIES AND CONVENTIONS) 15

अध्याय – तीसरा: चिन्ह एवं संकेत (SIGNS AND SIGNALS) 16

I.      उपरोक्त (SUPRA) 16

II.     देखें (SEE) 17

III.    पूर्वोक्त/गत (IBID) 17

IV.        नीचे (INFRA) 18

V.     पूर्ण विराम (FULL STOP) 18

अध्याय- पहला: भारतीय स्रोत (NATIONAL SOURCES)

घरेलू स्रोतों का दृष्टान्त (citation)  देने के लिए निम्नलिखित प्रारूप का प्रयोग करें-

I.     संविधान (CONSTITUTION)

सबसे पहले प्रस्तावना/अनुच्छेद/अनुसूची में से जिसका दृष्टान्त (citation) देना है उसको लिखें और इसके बाद अल्पविराम का प्रयोग करें फिर ‘भारतीय संविधान, सन 1950’ लिखें। और अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें।

    i.     प्रस्तावना (Preamble)

अगर आपको संविधान की प्रस्तावना का दृष्टान्त (citation) देना है तो सबसे पहले ‘प्रस्तावना’ शब्द लिखें। इसके बाद अल्पविराम का प्रयोग करें, फिर ‘भारतीय संविधान, सन 1950’ लिखकर अंत में पूर्ण विराम लिखें। जैसे –

   ii.     अनुच्छेद (Articles)

अगर संविधान के किसी अनुच्छेद का दृष्टान्त (citation) देना है उस अनुच्छेद नंबर का उल्लेख करें और फिर अल्पविराम का उपयोग करें। इसके बाद ‘भारतीय संविधान, सन 1950’ लिखें। जैसे–

  iii.     अनुसूची (Schedule)

अगर संविधान की किसी अनुसूची का दृष्टान्त (citation) देना है तो इस प्रकार से लिखें-

अगर संविधान की किसी अनुसूची का दृष्टान्त (citation) देना है तो उस अनुसूची में क्रमांक के साथ प्रविष्टि का उल्लेख करें। उसके बाद अल्पविराम का प्रयोग करें। फिर उसकी सूची का नाम लिखें तत्पश्चात अल्पविराम का प्रयोग करें। उसके बाद फिर अनुसूची लिखकर अल्पविराम का प्रयोग करें। फिर ‘भारतीय संविधान, सन 1950’ लिखें। जैसे –

  iv.     संविधान संशोधन (Constitutional Amendment)

अगर संविधान संशोधन अधिनियम की किसी धारा का दृष्टान्त (citation) देना है तो उस धारा का उल्लेख करके अल्पविराम का प्रयोग करें और फिर संशोधन अधिनियम की संख्या लिखें। उसके बाद ‘भारतीय संविधान, सन 1950’ लिखें। जैसे –

•     धारा 38, 42वां संविधान संशोधन अधिनियम, सन 1976।

II.          कानून और नियम (Statutes and Rules)

i. कानून (Statutes)

यदि अधिनियम/विधेयक/नियम/परिपत्र/आदेश का दृष्टान्त (citation) देना है तो सबसे पहले अधिनियम/विधेयक/ नियम/ परिपत्र /आदेश का नाम लिखें, इसके पश्चात अल्पविराम का प्रयोग करें। इसके बाद अधिनियम/विधेयक/ नियम को पारित करने का वर्ष लिखकर अल्पविराम का प्रयोग करें। इसके बाद उस अधिनियम/विधेयक/नियम/परिपत्र/आदेश की धारा/नियम/अनुसूची/ अनुच्छेद लिखें और अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें। जैसे- अगर आपको भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 का दृष्टान्त (citation) देना है तो आप इस प्रकार से लिखें –

अगर आपको  सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 के नियम 11 (क) का दृष्टान्त (citation)  देना है तो आप इस प्रकार से लिखें-

अगर आपको किसी अधिनियम में संशोधन का दृष्टान्त (citation) देना है तो आप इस प्रकार से लिखें-

अगर यही संशोधन अध्यादेश द्वारा लाया जाता है तो इसे इस प्रकार दृष्टान्त (citation) देना है-

   ii.     नियम (Rules)

अगर आपको निधि नियम का दृष्टान्त (citation) देना है तो आप इस प्रकार से लिखें-

III.          मामले/आदेश और अन्य न्यायिक दस्तावेज (CASE/ORDERS AND OTHER JUDICIAL DOCUMENTS)

    i.     न्यायालय के मामले (Court Cases)

यदि मामले/आदेश और अन्य न्यायिक दस्तावेज ​का दृष्टान्त (citation) देना है, सबसे पहले याचिकाकर्ता/वादी को प्रतिवादी से अलग करने के लिए ‘बनाम’ का उपयोग करते हुए प्रकरण के नाम का उल्लेख करें। प्रकरण के नाम के बाद अल्पविराम का प्रयोग करें। उसके बाद परिच्छेद नंबर/पृष्ठ संख्या को कोष्ठक में लिखें एवं उसके तत्पश्चात औपचारिक दृष्टान्त (citation) लिखें और अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें। जैसे –

   ii.     अधिकरण के मामले (Cases of Tribunals)

सबसे पहले दृष्टान्त (citation) में याचिकाकर्ता/वादी को प्रतिवादी से अलग करने के लिए ‘बनाम’ का उपयोग करते हुए प्रकरण का नाम लिखे। प्रकरण के नाम के बाद अल्पविराम का प्रयोग करें। उसके बाद परिच्छेद नंबर/पृष्ठ संख्या को कोष्ठक में लिखें एवं फिर अधिकरण का नाम और मामले की प्रकृति का उल्लेख करें। उसके तत्पश्चात औपचारिक दृष्टान्त (citation), यदि हो तो, अन्यथा मामले की दिनांक लिखें और अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें। जैसे –

IV.          पुस्तक और नियत कालीन सामग्री (BOOKS AND PERIODICAL MATERIALS)

                 i.          पुस्तक (Books)

अगर किसी पुस्तक का दृष्टान्त (citation) देना हो तो सबसे पहले लेखक का नाम लिखें और उसके बाद अल्पविराम का प्रयोग करें और  फिर पुस्तक का नाम लिखें। इसके बाद कोष्ठक में प्रकाशन का नाम, संस्करण (Edition), और वर्ष अगर दिया हो तो उसको भी लिखें। उसके बाद कोष्ठक के बाहर पृष्ठ संख्या जहां से आप कुछ सन्दर्भ देना चाहते हो उसका उल्लेख करें और अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें। जैसे –

        ii.     ई-पुस्तक (E- Books)

अगर आपको किसी ई-पुस्तक का दृष्टान्त (citation) देना चाहते हो, तो सबसे पहले लेखक का नाम लिखें और लेखक और पुस्तक का नाम अल्पविराम का प्रयोग करते हुए अलग करें। इसके बाद कोष्ठक में प्रकाशन का नाम, संस्करण(EDITION), और वर्ष अगर दिया हो तो लिखें। उसके बाद कोष्ठक के बाहर पृष्ठ संख्या जहां से आप कुछ साईट (cite) करना चाहते हो उसका उल्लेख करें। इसके बाद लिंक का संदर्भ देना होता है और अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें। जैसे-

V.     समाचार पत्र/पत्रिका के लेख/रिपोर्ट (NEWSPAPER/MAGAZINE’S ARTICLE/REPORT)

समाचार पत्र/पत्रिका के लेख/रिपोर्ट को दृष्टान्त (citation) देने के लिए सबसे पहले लेखक का नाम, इसके बाद अल्पविराम का प्रयोग करें। इसके तत्पश्चात लेख/रिपोर्ट का नाम एवं उसके बाद  अल्पविराम का प्रयोग करें। फिर समाचार पत्र का नाम/पत्रिका का नाम/रिपोर्ट के मालिक का नाम लिखें। इसके बाद अल्पविराम का प्रयोग करते हुए कोष्ठक में पृष्ठ क्रमांक, अगर दिया हो तो, उसको भी लिखें। इसके बाद में संस्करण वर्ष के साथ (तारीख यदि उपलब्ध हो तो) का उल्लेख करें। इसके बाद ‘यहाँ पर उपलब्ध हैं’- लिखकर लिंक को कॉपी कर दे और अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें।

    i.     समाचार पत्र लेख (Newspaper Article)

समाचार पत्र लेख का दृष्टान्त (citation) इस तरह से दें, जैसे –

     ii.          रिपोर्ट (Report)

रिपोर्ट का दृष्टान्त (citation) इस तरह से दें, जैसे –

  iii.     पत्रिका का लेख (Magazine’s Article)

पत्रिका के लेख का दृष्टान्त (citation) इस तरह से दें,जैसे –

  iv.     जरनल के लेख (Journal Article)

सबसे पहले लेखक का नाम (यह एक या इससे ज्यादा भी हो सकते है), लेखक के नाम के बाद अल्पविराम का प्रयोग करें उसके बाद लेख का नाम लिखें। इसके बाद जरनल (Journal) का नाम एवं कोष्ठक में जरनल की पृष्ठ संख्या लिखे, उसके बाद अल्पविराम का प्रयोग करें उसके बाद अंक (volume)/ साल (दिनांक अगर लिखी हो तो) लिखते हुए अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें। जैसे-  

   v.     कार्य-पत्र (Working Paper)

कार्य-पत्र को दृष्टान्त (citation) देने के लिए सबसे पहले लेखक का नाम एवं, लेख/रिपोर्ट का नाम/ समाचार पत्र का नाम/पत्रिका का नाम अल्पविराम से अलग करते हुए लिखें। उसके पश्चात उनके प्रकाशक का नाम लिखे। फिर अल्पविराम का प्रयोग करें। उसके बाद कोष्ठक में पृष्ठ क्रमांक लिखें, उसके पश्चात कार्य-पत्र (Working paper) की संख्या, दिनांक (कोष्ठक में) लिखें। और अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें। जैसे –

  vi.     ऑनलाइन लेख (Online Article)

सबसे पहले लेखक का नाम, अगर नाम नहीं दिया हुआ है तो मंच (जैसे कोई वेबसाइट आदि) का नाम लिखें, इसके बाद अल्पविराम का प्रयोग करते हुए लेख का नाम लिखें। फिर अल्पविराम का प्रयोग करें। उसके बाद वेबसाइट/समाचार पत्र/ पत्रिका का नाम लिखें। फिर कोष्ठक में संस्करण/चरण दिनांक का उल्लेख करें(अगर दिया हो तो)। इसके बाद ‘यहाँ पर उपलब्ध हैं-‘ लिखकर लिंक को कॉपी कर दे । जैसे-

  vii.          ब्लॉग लेख (Blog Article)

लेखक नाम लिखें, इसके बाद अल्पविराम का प्रयोग करते हुए लेख का नाम लिखें। फिर अल्पविराम का प्रयोग करें। उसके बाद ब्लॉग का नाम लिखें। फिर कोष्ठक में दिनांक का उल्लेख करें(अगर दिया हो तो)। इसके बाद ‘यहाँ पर उपलब्ध हैं’ लिखकर लिंक को कॉपी कर दे। और अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें। जैसे-

VI.     विधायी और आधिकारिक प्रक्रियाएं (LEGISLATIVE AND OFFICIAL PROCEEDINGS)

विधायी और आधिकारिक प्रक्रियाएं आदि का दृष्टान्त (citation) देते समय सबसे पहले वाद विवाद का नाम (सदन के नाम के साथ) लिखें। उसके बाद अल्पविराम का उपयोग करें। उसके बाद मुद्दे के शीर्षक का नाम लिखें। इसके बाद अल्पविराम का प्रयोग करते हुए सत्र क्रमांक (यदि हो तो) दिनांक का उल्लेख करें। उसके तत्पश्चात ‘यहाँ पर उपलब्ध है’ लिखकर लिंक कॉपी करें (अगर ऑनलाइन उपलब्ध हैं तो)। और अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें। जैसे-

VII.     प्रेस विज्ञप्ति (PRESS RELEASE)

प्रेस विज्ञप्ति का दृष्टान्त (citation) देने के लिए सबसे पहले विज्ञप्ति का नाम लिखकर अल्पविराम लगायें। उसके बाद विज्ञप्ति जारी करने वाले संस्थान का नाम लिखे, फिर अल्पविराम का प्रयोग करें। उसके बाद दिनांक का उल्लेख करें। इसके बाद ‘यहाँ पर उपलब्ध है’ लिखकर लिंक कॉपी करें (अगर ऑनलाइन उपलब्ध हैं तो)। और अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें। जैसे-

अध्याय– दूसरा: अंतर्राष्ट्रीय स्रोत (INTERNATIONAL SOURCES)

अंतर्राष्ट्रीय स्रोत को निम्नलिखित तरीके से प्रदर्शित करें-

I.     संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव (RESOLUTION OF UNITED NATIONS)

अगर संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव का दृष्टान्त (citation) देना हो तो सबसे पहले संस्थान के नाम के साथ प्रस्ताव का क्रमांक लिखें। इसके बाद अल्पविराम का प्रयोग करें। इसके तत्पश्चात प्रस्ताव का नाम लिखकर अल्पविराम का प्रयोग करें। इसके बाद परिच्छेद संख्या, दिनांक का उल्लेख करें। इसके बाद ‘यहाँ पर उपलब्ध है’ लिखकर लिंक को कॉपी कर दें। और अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें। जैसे-

II.     संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट (UN REPORTS)

अगर संयुक्त राष्ट्र की किसी रिपोर्ट का दृष्टान्त (citation) देना हो तो सबसे पहले रिपोर्ट का मसौदा तैयार करने वाली समिति/आयोग आदि का उल्लेख संयुक्त राष्ट्र के नाम के साथ करें। इसके तत्पश्चात अल्पविराम का प्रयोग करके रिपोर्ट का नाम लिखे। इसके बाद अल्पविराम का प्रयोग करते हुए प्रस्ताव क्रमांक लिखें एवं कोष्ठक में दिनांक का उल्लेख करें। इसके बाद ‘यहाँ पर उपलब्ध है’ लिखकर लिंक को कॉपी कर दें। और अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें। जैसे-

III.     अंतर्राष्ट्रीय केस/मामले (INTERNATIONAL CASES)

यदि आपको किसी अंतर्राष्ट्रीय केस/मामले का दृष्टान्त (citation) देना हो, तो सबसे पहले प्रकरण का नाम लिखकर अल्पविराम का प्रयोग करें। इसके बाद प्रकरण के क्रमांक का उल्लेख करें। इसके बाद जिस न्यायालय ने निर्णय दिया है उसका नाम वर्ष के साथ लिखें। और अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें। जैसे-

IV.     संधि/सम्मेलन (TREATIES AND CONVENTIONS)

यदि कोई अंतर्राष्ट्रीय संधि का दृष्टान्त (citation) देना हो तो सबसे पहले संधि के हस्ताक्षर कर्ता देशों के नाम लिखें। उसके बाद अल्पविराम का प्रयोग करते हुए संधि का नाम लिखें। अल्पविराम का प्रयोग करने के बाद संधि पर हस्ताक्षर करने की दिनांक का उल्लेख करें उसके बाद संधि के  औपचारिक दृष्टान्त (citation) का उल्लेख करें। और अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग करें। जैसे-

अध्याय – तीसरा: चिन्ह एवं संकेत (SIGNS AND SIGNALS)

यदि किसी स्त्रोत में एक से अधिक लेखकों के नाम हैं, तो पहले लेखक के नाम का उल्लेख करके उसके बाद “आदि” लिखकर दृष्टान्त (citation) लिख सकते हैं।

चिन्ह एवं संकेत को निम्नलिखित तरीके से प्रदर्शित करें-

I.     उपरोक्त (SUPRA)

जब किसी स्रोत का दृष्टान्त (citation) दस्तावेज़ में पहले कहीं दिया हो और उसके बाद उसी दृष्टान्त (citation) का सन्दर्भ देना हो तो ‘उपरोक्त’ शब्द का प्रयोग किया जा सकता है। सामान्यतः ‘उपरोक्त’ शब्द का प्रयोग करते समय लेखक का उपनाम लिखकर अल्पविराम का प्रयोग करें। उसके तत्पश्चात ‘उपरोक्त’ शब्द का प्रयोग किया जाता है, उसके बाद संस्करण, परिच्छेद, पृष्ठ संख्या आदि का उल्लेख किया जा सकता है। यदि किसी स्त्रोत में एक से अधिक लेखकों के नाम हैं, तो पहले लेखक के नाम का उल्लेख करके उसके बाद “आदि” लिखकर दृष्टान्त (citation) लिख सकते हैं।

चिन्ह एवं संकेत को निम्नलिखित तरीके से प्रदर्शित करें-

यदि आपने ऊपर मुंशी प्रेमचंद की गबन पुस्तक का दृष्टान्त (citation) दिया है उसके बाद अगर आप उसी पुस्तक के किसी अन्य पृष्ठ का दृष्टान्त (citation) देना चाहते हो तो उसे इस प्रकार से लिखें-

II.      देखें (SEE)

‘देखे’ शब्द का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई दृष्टान्त (citation), प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से आपके कथन का समर्थन करता है। जैसे-

यदि आपके कथन का समर्थन कोर्ट के किसी मामले में किया जाता है या अनुसरण किया जाता है तो आप उसका उल्लेख कर सकते है –

III.     पूर्वोक्त/गत (IBID)

पूर्वोक्त/गत का प्रयोग तुरंत पूर्ववर्ती दृष्टान्त (citation) का सन्दर्भ देने के लिए किया जाता है, इसे दो प्रकार से साईट (cite) किया जा सकता है जैसे पहला, या तो इसे बिल्कुल एक जैसा साईट (cite) जा सकता है, दूसरा, या फिर इसे अलग पृष्ठ संख्या के साथ साईट (cite) किया जा सकता है।

पहले की स्थिति में सीधे तौर से आप पूर्वोक्त/गत का प्रयोग कर सकते है। जैसे –

लेकिन दूसरी स्थिति में जब अन्य पृष्ठ के साथ साईट (cite) किया जाना है तो पूर्वोक्त/गत) के साथ उन पृष्ठों का भी उल्लेख करें। जैसे –

IV.     नीचे (INFRA)

नीचे (infra) शब्द का प्रयोग यह दर्शाने के लिए किया जाता है कि साईट (cite) की गई वस्तु का सन्दर्भ इस दस्तावेज़ में बाद में भी किया जायेगा या विस्तार रूप से चर्चा की जाएगी। यह शब्द ‘उपरोक्त’ (Supra) का विपरीत है।

सामान्यतः ‘नीचे’ (infra) शब्द का प्रयोग करते समय लेखक का उपनाम लिखकर अल्पविराम का प्रयोग करें। उसके तत्पश्चात ‘नीचे’ (infra) शब्द का प्रयोग किया जाता है, फिर संस्करण, परिच्छेद, पृष्ठ संख्या आदि का उल्लेख किया जा सकता है। जैसे-

यदि आपने नीचे  मुंशी प्रेमचंद की गबन पुस्तक का दृष्टान्त (citation) दिया है उसके बाद अगर आप उसी पुस्तक के किसी अन्य पृष्ठ का दृष्टान्त (citation देना चाहते हो तो इस प्रकार से लिखें –

V.     पूर्ण विराम (FULL STOP)

प्रत्येक फुटनोट के अंत में पूर्ण विराम का प्रयोग सबसे महत्वपूर्ण है।

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