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महान बनना आपके लिए भी मुमकिन है, बस खुद को ऐसे बदलें

कोई नहीं जानता कि ‘कल क्या होगा’

किसी भी आदमी को यह पता नहीं होता कि उसका आने वाला समय कैसा होगा, लेकिन अगर किसी के मन में यह भाव उत्पन्न हो जाए कि वह भी उन्हीं लोगों में से एक है जो सफल और महान बने हैं तो एक साधारण सोच-समझ वाला आदमी भी अपनी शक्तियों का उपयोग करके कुछ नया और श्रेष्ठ कार्य करने के लिए तत्पर हो सकता है|

पिछली सदी तक आदमी यह नहीं जानता था कि यदि एक अणु विखंडित हो जाए तो अवसर आने पर विखंडित कणों के एकत्रित होने से वह पुनः पहले वाला रूप ले सकता है| एक सामान्य व्यक्ति यह नहीं जानता कि उसके अन्दर जो विभिन्न आकांक्षाएं छिपी हुई हैं, वह उसकी किसी मौलिक आकांक्षा के अलग-अलग अंश हैं| यदि वह उन्हें एकत्रित करके एक समेकित लक्ष्य बना ले और अपनी सारी शक्तियों को उसे सिद्ध करने हेतु नियोजित कर दे तो जीवन में ऐसा कोई कार्य नहीं जिसे वह संभव नहीं कर सकता|

संभावनाओं का खेल है हमारा जीवन

प्रश्न यह नहीं है कि आदमी कल क्या था अथवा आज क्या है| प्रश्न यह है कि उसके अन्दर क्या बनने की संभावना है| यह प्रश्न हर आदमी के लिए महत्वपूर्ण है| हर व्यक्ति का अपने जीवन के प्रति कुछ कर्तव्य है| हर आदमी यह तय करने के लिए सक्षम और स्वतंत्र है कि वह अपने बौद्धिक बल, समय और ऊर्जा का प्रयोग किस प्रकार करे| आदमी को चाहिए कि वह अपनी शक्तियों का उपयोग केवल उन कामों के लिए करे जिनसे उसका व्यक्तित्व सुदृढ़, आकर्षक और प्रभावशाली बन सकता है, जिससे कि उसके व्यवसाय में प्रगति हो, वह आर्थिक व सामाजिक रूप से उन्नति करे तथा संसार में उसे मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिले|

आदमी को जीवन में कभी भी किसी घटना, प्राकृतिक आपदा, किसी विचार या व्यक्ति के संपर्क में आने से एक नई दृष्टि मिलती है, उसके चिंतन को एक नई दिशा मिलती है जिससे उसकी आँखों से पर्दा उठ जाता है और वह अपने आप को पहचानने लगता है| मनुष्य की आत्मा को जागृत होने के लिए किसी घटना या विचार की आवश्यकता होती है|

अपनी खोज करना सबसे आवश्यक है

आज दुनिया में बड़ी संख्या में अच्छे डॉक्टर, वकील, इंजीनियर, राजनीतिज्ञ, प्रोफ़ेसर, धर्माचार्य, वैज्ञानिक, दार्शनिक और विशेषज्ञ हैं और दिन-प्रतिदिन इनकी संख्या बढ़ रही है| लेकिन आज इनकी अपेक्षा ऐसे लोगों की आवश्यकता अधिक है, जो लोगों में सत्पुरुष बनने प्रेरणा का संचार कर सकें, उनकी चेतना को जगा सकें तथा सफल और महान बनने का रास्ता दिखा सकें| इस प्रकार की जागृति आने के उपरांत मनुष्य स्वयं अपने मन को नकारात्मकता, निराशा, प्रमाद, उदासी, निष्क्रियता, उद्देश्यहीनता आदि से मुक्त करने में सक्षम हो जाता है, तथा स्वयं अपनी प्रचंड शक्ति से परिचित होकर अपने कर्तव्यपथ पर अग्रसर हो जाता है| उसमें नवजीवन का संचार होने लगता है और उसकी जीवन-मीमांसा बदलने लगती है|

मनुष्य जान चुका है कि उसकी शक्तियां अनन्त और असीम हैं

आधुनिक विज्ञान दशकों से मानव मस्तिष्क की शक्तियों पर शोध करने में लगा हुआ है, जिसके परिणामस्वरुप मनुष्य को यह पता लग चुका है कि उसकी आत्मिक शक्ति उसके भीतर ही निहित है| मनुष्य ने आदिकाल से आज तक निरंतर ऊपर और ऊपर उठने के लिए अपनी विकास-यात्रा को जारी रखा है| आधुनिक जीवन-दर्शन मनुष्य को जागृत होने, और स्वयं अपना मार्गदर्शक बनकर निरंतर क्रियाशील रहने के लिए प्रेरित करता है| फलस्वरूप मनुष्य अपने उद्देश्य की खोज में लग जाता है – अपनी आतंरिक महत्वाकांक्षा से परिचित होना उसकी खोज का परिणाम है|

यदि किसी व्यक्ति का मन अशांति और असंतुष्टि का अनुभव करता है तो इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि वह अपने वास्तविक लक्ष्य अर्थात् यथेष्ट प्रगति के मार्ग पर अग्रसर नहीं है| आज के जीवन-दर्शन से हमें स्पष्ट संकेत मिलता है कि अपनी आतंरिक शक्तियों के आधार पर ही हम अपनी इच्छाओं, आकांक्षाओं और कामनाओं की पूर्ति कर सकते हैं न कि बाहरी अर्थात् भौतिक शक्तियों के आधार पर|

शक्ति के विखंडित अंशों को एकत्रित करना होगा

निष्कर्ष यह है कि भौतिक साधनों, शक्ति और सफलता के पीछे दौड़ने की बजाए मनुष्य के लिए स्वयं को जानना परम आवश्यक है| साधन और साध्य, दोनों मनुष्य के भीतर ही विद्यमान हैं – जिस आदमी की आतंरिक शक्तियां, जो कि सामान्यतः विखंडित अवस्था में होती हैं, एकत्रित होंगी, तभी वह अपनी इच्छाओं, आकांक्षाओं और कामनाओं को सिद्ध करने के लिए सक्षम होगा तथा अपने साथ-साथ समाज और मानवता का कल्याण करते हुए दुनिया के सफल और महान लोगों की श्रेणी में शामिल हो सकेगा|

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