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” अनफोलो …अनफ्रेंड ..और …ब्लाक “

” अनफोलो …अनफ्रेंड ..और …ब्लाक “

          डॉ लक्ष्मण झा“परिमल “

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हमें हमारी भाषा विन्यास और शब्दावलिओं के प्रयोगों से हमारी व्यक्तित्व की मानसिक दशा प्रतिबिंबित होती है ! हम कभी -कभी अपने उग्र रूप को छुपाने की नाटकीय प्रक्रिया में लग जाते हैं ..पर हमारी भंगिमाओं को परखने की कला सब में होती है ! सर्विस सिलेक्शन बोर्डओं में मनोविज्ञानिकों की एक टोली होती है ! कैंडिडेट्स को उनके साइकोलॉजिकल टेस्ट के पेपरों से ही उनका आंकलन हो जाता हैं !…… आखिर इन्हीं लोगों के हाथों में देश का नेतृत्व सौंपा जायेगा !…… थीमेटिक एप्रिसिसन टेस्ट ,…..सेल्फ डिस्क्रिप्शन टेस्ट ,…..सिचुएशन रिएक्शन टेस्ट …और ….वर्ड्स एसोसिएशन टेस्ट के कापिओं से वे जान जाते हैं !….जब वहाँ से बच निकलना मुश्किल है तो हम अपने मित्रों से कैसे बचेंगे ?…हाँ ..यदि किसी ने गौर नहीं किया ..या उन्होंने बारिकियों से उसका अध्ययन नहीं किया….. तो हमारे बारे न्यारे हो गए …नहीं तो शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसे यह ग्राह्य हो !….. बहु शंखक मित्र इन विवादों से दूर किनारा कर लेते हैं !….और तो और ..फेसबुक के शस्त्रागार से तीन शस्त्रओं का उपयोग करते हैं …..अनफोलो …अनफ्रेंड ..और …ब्लाक !…हम कितने सौभाग्य शाली हैं ..विश्व के तमाम लोगों से जुड़ रहें हैं ! हमें ऐसी भंगिमाओं से दूर ही रहना चाहिए जो हमारे व्यक्तिगत पहचान को डगमगाने का कार्य करता हो …

“हमें सूरज की तरह चमकना है,

सब लोगों के दिलों में रहना है,

प्यार….,मृदुलता को फैला कर

हमें सबके.. ह्रदय में बसना है !!”@लक्ष्मण

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डॉ लक्ष्मण झा”परिमल “

साउंड हेल्थ क्लिनिक

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