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ब्राह्मणों भारत छोड़ो…J N U

जी ये मैं नहीं कह रहा है ! ये है हमारे देश की सबसे चर्चित विश्वविद्यालय के युवाओं के विचार( माफ़ी चाहूँगा लिख़ने के बंधनों की वज़ह से )कुछ युवाओं के विचार सही रहेगा। वैसे सुन कर मुझे गुस्सा आया लाज़मी था । क्यों कि मैं इस समाज से आता हूँ ,आपमें से बहुत से लोगों को फ़र्क नहीं पड़ेगा ये भी लाज़मी हैं । अब फ़र्क क्यों नहीं पड़ता इसका ज़बाब तो आपको पता है पर बता दूं ।कि इस देश मे ब्राह्मणों को सिर्फ़ गाली देकर सम्माज सुधारक दिखने या फ़िर वोट मांगने के लिए किया जाता हैं ।

क्या ब्राह्मणों के समान अधिकार नहीं है

मुझे ये नही समझ आता समानता औऱ भेदभाव की बात करने वालो के आदर्श समाज की परिकल्पना है क्या ,कैसी समानता चाहिए जिसमें एक सम्माज को खत्म कर दिया जाय । मुझे तो ये समानता समझ ही नही आती जिसमे सभी समाज के लोग न हो । फ़िर तो वो क्रांति आएगी ही नहीं जिसके पीछे आपको भागना था पर आप क्या बन के रह गए हैं ये आपको देखना होगा । जिस शिद्धान्तो की दुहाई देकर आप अपने कामों को सही बताते हो आप उस भी दूर आ चुके हो । या तो शायद हार मान चुके हो औऱ सोचते हो कि ब्राह्मण न होंगे तो आपके जीवन की औऱ समाज की सारी समस्याओं का अंत हो जायगा।

घटना पर करना क्या चाहिए…

मेरे विचार से तो ब्राह्मणों की सुरक्षा व्यवस्था प्रदान करने के बाद इन दिवालो को सदियों तक ऐसा ही रहने देना चाहिए ,जब तक ऐसे विचारों वाले लोगों को इन्हें पढ़ शर्म न आने लगे । आने वाली पीढ़ियों को भी पता चले या कैसे लोग पढ़ कर गए हैं यहाँ कैसे कैसे विचारों वाले लोग हैं । इनके समाज की कल्पना क्या है जिस पर ये आपको अपने समूहों पर जोड़ना चाहते हैं

ये दीवाल इतिहास में दर्ज हो जाय तो अच्छा है कम से कम 50 साल बाद कोई इन सब बातों को प्रोपगैंडा औऱ वल्गर नही बता पायेगा।

समाज में सभी को सम्मान देने की जिम्मेदारी ब्राह्मणों की अकेले क्यों?

आज कुछ स्वघोसित बुद्धिजीवियों के अनुसार समाज मे भेदभाव सिर्फ़ ब्राह्मणों के कारण हैं ।जोकि बिल्कुल ग़लत हैं आप आज किसी भी कास्ट के व्यक्ति से बात कर लीजिये वो अपने से नीची जाति कौन सी हैं ये आपको बता देगा।

आज  हर कोई अपने आप को उच्च दिखाना चाहता है जिसके लिए वो किसी न किसी तरह से अपने से किसी छोटे को ढूढ़ ही लेता है ।

यही नही इसका दबाब ब्राह्मणों को भी झेलना पड़ता है ।कहा जाता है कि कैसे ब्राह्मण हो इसके साथ घूम लिये ये खाते हो ये करते हो ,ऐसे सब बातें मेरे दूसरी जाति के दोस्तो ने ही मेरे से कही हैं ।

अग़र आप चाहते हैं कि ब्राह्मण आपके साथ न पड़े ,आपका उनका कोई संबंध न हो ,दोस्ती यारी न हो आप जहा रहे वहा पर कोई ब्राह्मण न हो ।

तो ख़ुश हो जाइए या बहत दुःखी क्यों कि शायद आप पुराने समय मे पहुँच चुके हैं जहाँ से लड़ाई लड़ अम्बेडकर ने आपको यहाँ लाकर खड़ा किया है आप सबको धकलेकर वही शून्य में पहुँचा देंगे।

ब्राह्मणों औऱ बनियो से आपको दिक्कत है उनका क्या है वो फ़िर से एक शिश्रा व्यवस्था बना लेंगे नया विद्यालय, विश्विद्यालय आपके बिना पढ़ लेंगे लेक़िन क्या आप भी यही चाहते हैं जहाँ पर ब्राह्मणों को औऱ आपको अलग अलग शिक्षा दी जाय ।

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