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“विकास दिव्यकीर्ति मुझे लगता है सबका अपना अपना नज़रिया है”

कक्षा 12 के बाद जब यूपीएससी का ख्वाब देखना थोड़ा थोड़ा शुरू किया था तो उस टाइम यूट्यूब पर विकास दिव्यकीर्ति सर की पहली झलक मिली और उनके तर्क के हम फैन बन गए फिर 2018 में यूपीएससी की कोचिंग करने के लिए दिल्ली गए सर से तो सेमिनार में फेस2फेस वाली झलक भी मिली।

उसके बाद जब सर को लगातार सुनने लगें तो सर के तर्क में तर्क गायब से दिखने लगे, किसी परिस्थिति के सकारात्मक पहलू को छोड़ उन्होंने उसके नकारात्मक पहलू को सामने रखना अपनी पहली चॉइस बना ली। आज कल सर श्री राम और माता सीता पर अपने नकारात्मक विचार व्यक्त कर रहे परंतु नजरिया जैसा होगा प्रसंग वैसा लगेगा,

जैसे की शबरी बोली श्री राम से,यदि रावण का अंत नहीं करना होता, तो राम तुम यहाँ कहाँ से आते?राम गंभीर हुए और कहा,भ्रम में न पड़ो माते !राम क्या रावण का वध करने आया है?अरे रावण का वध तो लक्ष्मण अपने पैर से बाण चला कर कर सकता है। राम हज़ारों कोस चल कर इस गहन वन में आया है तो केवल तुमसे मिलने आया है माते,ताकि हज़ारों वर्षों बाद जब कोई पाखण्डी भारत के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा करे तो इतिहास चिल्ला कर उत्तर दे कि इस राष्ट्र को क्षत्रिय राम और उसकी भीलनी माँ ने मिल कर गढ़ा था।

जब कोई कपटी भारत की परम्पराओं पर उँगली उठाये तो काल उसका गला पकड़ कर कहे कि नहीं!यह एकमात्र ऐसी सभ्यता है,जहाँ एक राजपुत्र वन में प्रतीक्षा करती एक दरिद्र वनवासिनी से भेंट करने के लिए चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार करता है।राम वन में बस इसलिए आया है ताकि जब युगों का इतिहास लिखा जाय तो उसमें अंकित हो कि सत्ता जब पैदल चल कर समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे,तभी वह रामराज्य है।

राम वन में इसलिए आया है ताकि भविष्य स्मरण रखे कि प्रतिक्षाएँ अवश्य पूरी होती हैं।सबरी एकटक राम को निहारती रहीं।राम ने फिर कहा-राम की वन यात्रा रावण युद्ध के लिए नहीं है माता।राम की यात्रा प्रारंभ हुई है भविष्य के लिए आदर्श की स्थापना के लिए।राम आया है ताकि भारत को बता सके कि अन्याय का अंत करना ही धर्म है।

राम आया है ताकि युगों को बता सके कि रावणों से युद्ध केवल राम की शक्ति से नहीं, बल्कि वन में बैठी शबरी के आशीर्वाद से जीते जाते हैं।सबरी की आँखों में जल भर आया था। उसने बात बदलकर कहा- कन्द खाओगे राम।राम मुस्कुराए,बिना खाये जाऊंगा भी नहीं माँ”

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