Site icon Youth Ki Awaaz

हल्ला बोल

व्यंग्य

बोलने की ही बात है, तो हम हल्ला बोल करेंगे, क्योंकि यह तो आम प्रचलन हो चुका है। कोई ऐसे तो सुनने को तैयार नहीं होता। हां, हल्ला बोल एक ऐसा प्रसाधन है, जिसके द्वारा आप किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर सकते है। हल्ला बोल एक ऐसी पद्धति है, जिसके द्वारा आप अपनी बात मनवा सकते है, किसी को भी सुनने को मजबूर कर सकते हैं।

भाई यहां सब अपनी ही तो सुनाना चाहता है। होता है यूं कि नफा-नुकसान का आकलन सभी को होता है। चाहे कोई बात हो, आप हल्ला बोल करो।

बस अपनी राजनीति चमक गई….समझो। हल्ला बोल की पद्धति का ईजाद आज ही तो नहीं हुआ है। यह तो सदियों से चली आ रही परंपरा है, जो अब-तक सुसंगत बना हुआ है। तो फिर भला मैं ही क्यों चुप रहूं।

फिर तो वैसे ही मुझे बोलने की आदत है, अपनी बातों को सुनाने की आदत है। भले ही इस बात को सुनने के लिए कोई राजी हो या नहीं! इतना ही नहीं, मुझे विश्वास है कि जब हल्ला बोल करूंगा, लोगों को सुनना ही होगा।

फिर तो नीति भी सही है हल्ला बोल करने की। आपको जब भी लगे कि हमें लाभ लेना है, बस हल्ला बोल शुरु कर दो। नफा- नुकसान का शुद्ध आकलन कर लो। आज- कल होता भी तो यही है कि लोगों की नीति बन गई है, हल्ला बोल करने की। वैसे भी आजकल तो दस को जुटा लो और खुद नेतृत्व करके हल्ला बोल शुरु कर दो।

लेकिन अपने बस का तो है नहीं कि दस को जुटा सकूं। दस को दस बातें सुना सकूं, इसलिये बस यही पर हल्ला बोल करूंगा।

जीवन को गुलजार करने के लिए हल्ला बोल करूंगा। अपने फायदे का आकलन करके हल्ला बोल करूंगा। भले ही आवाज में शक्ति नहीं हो, सत्य का महक नहीं हो, परन्तु करना ही है, तो हल्ला बोल क्यों नहीं करूंगा।

Exit mobile version