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“मोदी जी बेरोज़गारी देश के युवाओं का मुकद्दर बन गई है”

कविता पकोड़ा भी नहीं बिक रहा

22 अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मेगा रिक्रूटमेंट ड्राइव की लॉन्चिंग की गयी, जिसके तहत अलग अलग जगह पर केंद्रीय मंत्रियों द्वारा 75000 युवाओं को सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र दिया गया है, इस ड्राइव के ज़रिए अगले डेढ़ साल, यानी दिसंबर 2023 तक 10 लाख युवाओं को नौकरी देने का टारगेट है।

जैसे ही रोज़गार के मामले में सरकार ने घोषणा की है पूरा विपक्ष सत्तापक्ष पर हमलावर हो गया है. लोगों द्वारा कहा गया है कि यह भी घोषणा भी पिछले ऐलानों की तरह केवल जुमला ही साबित होगी. जो बेरोज़गारी के इस सबसे बुरे दौर में बेरोजगार युवाओं के साथ एक भद्दा मज़ाक होगा।

इंडिया टीवी की 22 सितंबर 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त में देश में बेरोज़गारी दर एक साल के उच्चस्तर 8.3 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। इस दौरान रोज़गार पिछले महीने की तुलना में 20 लाख घटकर 39.46 करोड़ रह गया था, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) ने इसको लेकर आंकड़े जारी किए हैं।

राज्यवार बेरोज़गारी के आंकड़े-

आंकड़ों के अनुसार, अगस्त के दौरान हरियाणा में सबसे ज़्यादा 37.3 प्रतिशत बेरोज़गारी थी।

इसके बाद जम्मू-कश्मीर में बेरोज़गारी दर 32.8 प्रतिशत

राजस्थान में 31.4 प्रतिशत

झारखंड में 17.3 प्रतिशत

त्रिपुरा में 16.3 प्रतिशत

छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी दर सबसे कम 0.4 प्रतिशत

मेघालय में 2 प्रतिशत

महाराष्ट्र में 2.2 प्रतिशत

गुजरात और ओडिशा में 2.6 प्रतिशत

आज तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2021 तक भारत में बेरोज़गार लोगों की संख्या 5.3 करोड़ रही, इनमें महिलाओं की संख्या 1.7 करोड़ है। घर बैठे लोगों में उनकी संख्या अधिक है, जो लगातार काम खोजने का प्रयास कर रहे हैं। सीएमआईई के अनुसार, लगातार काम की तलाश करने के बाद भी बेरोज़गार बैठे लोगों का बड़ा आंकड़ा चिंताजनक है, रिपोर्ट के अनुसार, कुल 5.3 करोड़ बेरोजगार लोगों में से 3.5 करोड़ लोग लगातार काम खोज रहे हैं. इनमें करीब 80 लाख महिलाएं शामिल हैं

नरेंद्र मोदी द्वारा किये गए वादे:

भाजपा नेताओं ने इस कदम को “क्रांतिकारी” बताते हुये सराहना की और कहा कि यह घोषणा “नई आशा और आत्मविश्वास” के साथ युवाओं को प्रेरित करेगी। वहीं विपक्षी दलों ने घोषणा को एक और “जुमले-बाजी” कहते हुये खारिज़ कर दिया।

कॉंग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि “जैसे 8 साल पहले युवाओं को हर साल 2 करोड़ नौकरियों का झांसा दिया था, वैसे ही अब 10 लाख सरकारी नौकरियों की बारी है। ये जुमलों की नहीं, ‘महा जुमलों’ की सरकार है। प्रधानमंत्री जी नौकरियां बनाने में नहीं नौकरियों पर न्यूज़ बनाने में एक्सपर्ट हैं।”

बेरोज़गारी का सच क्या?

यह बात सत्य है कि पिछले कुछ सालों में देश में बेरोज़गारी का आलम अपनी चरमसीमा पर पहुंच चुका है. जिसकी वजह से देश के युवाओं में हताशा और निराशा हद से ज्यादा बढ़ चुकी है,

मौजूदा सरकार को केवल घोषणाओं से बाहर निकल कर देश के बेरोजगारों की इस तकलीफ को समझते हुये हकीकत में रोजगार और नौकरियों के मामले में पुख्ता कदम उठाने की जरूरत है वर्ना नेता नगरी द्वारा जनता को वादा करना अब देश की जनता का मुकद्दर बन चुका है

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