ख्वाहिशें तो बहुत हैं मेरी
चाँद और सितारों की तरह
मैं बन जाऊँ!
अपनी शीतलता और रोशनियों
को इस धरा में बिखेरता जाऊँ
ख्वाहिशें हैं मेरी
दर्द लोगों का बाँट लूँ!
कोई रोये नहीं इस दुनिया में
उसके आँसू पोंछ लूँ ।
विकास हो तो आखिरी छोर को ना भूलें
प्राकृतिक संपदा के संरक्षण की बात को ना छोड़ें
ख्वाहिशें पर्यावरण को दूषित रहित बनाने की भी है!
कार्बन उत्सर्जन के तांडव को रोकना भी है
ख्वाहिशें मेरी है
सब शांति के उपासक बनें
युद्ध की विभीषिका से सदा बचके रहें।
रंग -भेद ,असहिष्णुता और नफरत की दीवार को
जब तक इस धरा से नहीं मिटाएंगे
अपने सम्पूर्ण विश्व को शायद ही कभी
स्वर्ग बना पाएंगे !