चल दिये हम गलियारो से,
ना दिन देखा न रात
बस अपने बस्तो को कंधो पर लाद,
कुछ अपने सपने, तो कुछ लोगो के
कुछ लोगों की उम्मीद, तो कहीं किसी की शान,
उनको पूरा करने में लगी है पूरी आन और बान!
तो क्या हुआ जो मैं पास नही होता
और गिरता हूं पर न संभालता हूं
फिर यही सोचकर वापस लग जाता हूं कि हां करना है पूरा वो सपना
जो नाम नहीं बस काम का है
प्यारा, हां काम का है प्यारा।
यूपीएससी परीक्षा की यही हैं कहानी सबकी हम हारते नही लड़ते हैं बस कोई जीत जाता तो कोई अपने घर वापस लौट जाता है ।