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टुकड़े प्यार के

कविता टुकड़े

देश की एक दुलारी बिटिया हो तुम,

एक अबला नहीं सबला हो तुम

सजा देना हक है तुम्हारा

जो भी अस्मिता से करता खेल

उस हाथ को उखाड़ फेकना फर्ज है तुम्हारा!

जो हाथ बढ़े चुनर तक तुम्हारा

प्यार एक पवित्र रिश्ता है ना

इसे बदनाम न होने देना!

माता पिता से पवित्र रिश्ता इस जहां में नहीं

उनसे विश्वासघात कभी करना नहीं

है सच्चा प्यार तो साबित उसे करने देना

पैतिस टुकड़े कर जाए कोई जिस्म के ऐसा प्यार कभी ना करना।

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