ये गरीबों की गरीबी भी कमाल की चीज़ है
रहने को छत नहीं
खाने को रोटी नहीं
तन ढकने को कपड़े नहीं
जीने को तो जी लेते
और गर्दिश में भी मुस्कुराना सीख लेते हैं।
ये गरीबों की गरीबी भी कमाल की चीज़ है
रहने को छत नहीं
खाने को रोटी नहीं
तन ढकने को कपड़े नहीं
जीने को तो जी लेते
और गर्दिश में भी मुस्कुराना सीख लेते हैं।