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माँ हर कोई तुमसा नहीं होता

कविता माँ

माँ  ,हर कोई तुमसा नहीं होता,

हर किसी के डांट मे वो प्यार नहीं होता,

मुश्किलों मे किसी और का साथ नहीं होता

बिन बोले सब समझ जाना

ये हुनर किसी और मे नहीं होता,

माँ , हर कोई तुमसा नहीं होता ।

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