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अपने कदम बढ़ाता है

poetry

अपनी मंजिल को पाने को

राही पल-पल चलता जाता है,

बिना रुके, बिना थमे

अपने कदम बढ़ाता है।

राह में पत्थर आएंगे

ठोकर का भी डर होगा

बाधाओं को देख कर भी पथ पे

 वीर कहां विचलित होगा?

नियत फल को पाने को

अखेटक तीर चलाता है,

बिना रुके बिना थमे

अपने कदम बढ़ाता है।

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