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“क्यों सेक्स वर्कर का टैक्स देना सही लेकिन वोट देना नहीं?”

सेक्स वर्कर

गृहमंत्री अमित शाह का एक फोटो वायरल हुआ था, जिसमें उन्हें Red Light Area में वोट मांगते दिखाया गया था; कैप्शन ऐसे थे मानो कि सेक्स वर्कर्स से वोट मांगना गुनाह है । ( यहां स्पष्ट कर दे कि वो असली फ़ोटो नहीं था बल्कि फोटोशॉप था और हम Red Light Area कहने के खिलाफ है लेकिन अफसोस मेरे पास दूसरा विकल्प नहीं है )

हां, ठीक समझे आप; हम सेक्स वर्कर्स व सम्बंधित विषयो पर बात करने की कोशिश करेंगे। मैं काफी दिनों से इस विषय पर लिखना चाहता था, लेकिन लिखने के पहले पढ़ना ज़रूरी होता है और जब हम पढ़ने के लिए गूगल करना शुरू किया, तो हमे दिखा कि इस विषय पर कुछ लिखा ही नहीं गया है।

एक पुरानी खबर मिली कि महाराष्ट्र में सेक्स वर्कर पानी आदि बुनियादी सुविधाओं के लिए प्रदर्शन की थी और विभिन्न लोगो के कुछ बयान मिले, वो भी नकारात्मक रूप में ही। तमाम देशों में सेक्स वर्कर को कानूनी मान्यता है, क्योंकि इससे बलात्कार जैसी घटनाएं कम होती हैं।

नगर वधू और बदनाम गली

भारत में भी नगर-वधू जैसी चीज़ें प्रचलित रही हैं, आपने सुना ही होगा, तो फिर इन्हें बदनाम गली कहना कहां तक सही है? फिर इनके पास वोट मांगना कैसे गलत है? जब तक इनके वोट की कीमत नहीं होगी तब तक इन्हें बुनियादी सुविधाएं कैसे मिलेगी?

लोग क्यो भूल जाते है कि सेक्स वर्कर खुद बदनाम हो के ना जाने कितने लोगों की इज़्ज़त बचाते है और ना जाने कितने बलात्कार के मामले कम होते है। सेक्स वर्कर की संतानों को भी बहुत दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं।

सरकार को सेक्स वर्कर के बच्चों के लिए शिक्षा आदि की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए, जो लोग सेक्स वर्कर छोड़ के दूसरा काम करना चाहते है, उनके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। सिंगल मदर होना ऐसे ही बहुत कठिन काम है और ऊपर से सेक्स वर्कर हो के सिंगल माँ हो तो समाज रूपी भेड़िया निगल ही जाए।

अफसोस, ऐसे बहुत सारे ज़रूरी विषय है; जिन पर कोई भी नहीं लिखना चाहता है, मैं बस यह एक छोटी सी शुरुआत कर रहा हूं, आशा है कि लोग इन विषयों में सकारात्मक रूप से बिना किसी पूर्वाग्रह के विचार करेंगे।

क्या वो देश की नागरिक नहीं

नेताओ को नहीं भूलना चाहिए कि सेक्स वर्कर भी भारत के नागरिक है और वे भी टैक्स देते है । GST व अन्य टैक्स सबको देना पड़ता है तो फिर सुविधाएं भी सबको मिलनी चाहिए ना ! हर साल 2 जून को International Sex Workers’ Day मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय वेश्या दिवस या अंतर्राष्ट्रीय यौन श्रमिक दिवस प्रत्येक वर्ष 2 जून को मनाया जाता है, यौनकर्मियों को सम्मानित करता है और उनकी अक्सर शोषण की स्थिति को पहचानता है।

अब भारत में सेक्स वर्कर को कानूनी मान्यता देने व ना देने पर भी बहुत विवाद है; कोर्ट के कुछ फैसले भी है।

सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृत्ति को पेशा (Sex Work Legal) माना है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि पुलिस इसमें दखलंदाजी नहीं कर सकती और न ही सहमति से यह काम करने वाले सेक्स वर्करों के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकती है। कोर्ट ने सभी राज्यों की पुलिस को सेक्स वर्कर्स और उनके बच्चों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने का निर्देश दिया है। बेंच ने सेक्स वर्करों (Sex Workers) के अधिकारों की रक्षा के लिए दिशा निर्देश भी जारी किए हैं।

सेक्स वर्कर्स का काम भी काम ही है

एक धड़ा इसे कानूनी मान्यता देने के खिलाफ है – सेक्स-उद्योग-विरोधी नारीवाद आक्रोश का उत्कृष्ट उपयोग करता है। यह बिल्कुल सही है, सेक्स उद्योग में जीवित बचे लोगों के आघात के जवाब में उत्पन्न होता है लेकिन उत्तरजीवी की कहानियों का कहना एक ‘पिंप लॉबी’ के विचार के साथ मिलकर काम करता है, जो यौनकर्मियों और उनके सहयोगियों को बदनाम करता है।

यह रणनीति बहुत प्रभावी है: इसका मतलब है कि जो लोग गैर-अपराधीकरण का समर्थन करते हैं, जिनमें से कई यौनकर्मी और/या नारीवादी हैं, वे न केवल ‘पीड़ितों की बात सुनने’ में विफल हो रहे हैं बल्कि इसके बजाय ‘पिंपों’ का समर्थन कर रहे हैं।

हम केंद्र सरकार और सभी 36 राज्य सरकारों से इस सम्बंध में नीति बनाने की मांग करता है। नीतियां बनाते समय सेक्स वर्कर से भी विचार विमर्श किया जाना चाहिए। ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी को मजबूरी में या ज़बरदस्ती सेक्स वर्कर ना बनाना पड़े।

जो लोग सेक्स वर्कर का काम छोड़ करके दूसरा काम करना चाहते/ चाहती है; उन्हें इसके लिए सुविधा उपलब्ध करवाया जाना चाहिए। नीतियों को संवेदनशीलता के साथ धरातल पर भी लागू किया जाना चाहिए ।

जैसे इंद्रधनुष में सभी रंग एक समान होते हैं, ऐसे ही भारत में सभी जाति – धर्म, लिंग आदि को एक समान समझना चाहिए। कोई क्या काम करता है ? किस जाति धर्म का है ? उसका सेक्स ऑरिएंटेन्शन क्या है ? आदि आधार पर होने वाले भेदभावों को खत्म करने की ज़रूरत है।

सरकारों को बिना भेद भाव के सभी जगहों पर बिजली, पानी, सड़क व अन्य सुविधाओं का विकास करना चाहिए; किसी गली को “बदनाम गली” कहना बिल्कुल ही गलत है; यह एक प्रकार का भेदभाव (Discrimination) है और किसी भी प्रकार का , किसी भी रूप में भेदभाव मानवधिकारों का उल्लंघन है ।

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