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“बिहार के मेरे गाँव में 9 साल के बच्चे नशे में बर्बाद हो रहे हैं”

नशे के शिकार बच्चे

मैं लंबे दिनों बाद हैदराबाद से अपने घर बिहार को गया हुआ था। एक शाम अपने दोस्त के साथ खेत की सैर के निकला हुआ था। हम दोनों बड़े आराम से गाना सुनते हुए गाँव की चहचहाते वादियों को पीछे छोड़ते अपने गंतव्य स्थान की ओर बढ़ रहे थे। मौसम भी बड़ा सुहाना था, कानों में चिड़ियों की चहचहाने की आवाज़ भी दिल को बाग-बाग कर रही थी।

हम दोनों के पैर तेज़ी के साथ आगे को बढ़ रहे थे. वो इसलिए क्योंकि शाम ढ़लने को था और सूरज की मनमोहन लाली भी अस्त होने को ही था। जिस रास्ते से हम दोनों खेत की सैर को जा रहे थे उसी बीच एक पोखर पड़ता है.जिसके बाँध पूरे तरह से जंगलों से भरे पड़े हैं। लेकिन रास्ता बना हुआ है जिससे लोग आसानी के साथ इस पार से उस पार को जा पाते हैं।

जैसे ही हम दोनों पोखर पर चढ़कर कुछ दूर चले ही थे कि थोड़ी दूर जंगल से बच्चे की आवाज़ सुनाई दी. जिससे हम दोनों अचानक से रुक गए। ऐसे में हमारे साथ चल रहे दोस्त ने आवाज़ लगा दी कौन हो? फ़िर वो हमे कहता है चलो छोड़ो कोई होगा जो नशा कर रहा होगा? मैंने कहा आवाज तो छोटे से बच्चे की आ रही है वो नशा करेंगे?

9-10 वर्ष की उम्र के बच्चे

यहां के लिए भी समान्य सी बात हो गई है। गाँव के बहुत से छोटे बच्चे तेजी के साथ नशा के शिकार हो रहे हैं, फिर क्या था हमने उनसे कहा चलो चलकर देखते हैं। जैसे ही हम दोनों उनके पास पहुंचे ही थे, वो दोनों मिलकर कुछ छिपा रहा था। नज़र पड़ते ही उनके पसीने आ रहे थे। दोनों बच्चे की उम्र करीब यही 9-10 वर्ष की रही होगी।

मैंने उनसे पूछा इस जंगल में देर शाम को क्या कर रहे हो? उनमें से एक तो पूरे डोल सा रहा था. जिनके आंखें पूरी तरह से लाल थी, जो ज़वाब देते हुए लड़खड़ा रहा था. ठीक ही वैसे जैसे कोई व्यक्ति शराब पीकर रोड पर हिलते-जुलते अपने आप को किसी देश का राजा बता रहे हों और सामने दिख रहे लोगों को अपने प्रजा के रूप में संबोधित कर रहे हों।

फिर किया था मेरे साथ चल रहे दोस्त ने कहा ये दोनों सुलेशन का नशा कर रहे थे, इतने में उनकी नज़र पॉलिथिन पर जा पड़ी जिसे देखकर उसने कहा सुलेशन का डिब्बा कहां है निकालो? मैं ये सुनकर और बच्चे की हालत देखकर पूरी तरह से स्तब्ध था। मैंने इस नशे के बारे में तो सुना था लेकिन सुलेशन का प्रयोग नशा के लिए कैसे किया जाता है ये कभी भी सामने से नहीं देखा था।

किसी को ना बताने के जिद्द पर वो बोल

मैं इस नशे के बारे जानने चाह रहा था इसलिए बार-बार इसी प्रश्न को उनसे दुहरा रहा था कि तुम दोनों इस जंगलों में क्या कर रहे हो? उनमें से एक को शायद हम दोनों के पहुंचने तक नशा करने का मौका नहीं मिल पाया था, जो नशे की हालत में नहीं था वो एक ही बात कहे जा रहा था हम दोनों ऐसे ही घूमने आए हैं।

इतने में गुस्से में आकर हमारे दोस्त ने उसे कसकर चांटा मार दिया, जिससे वो रोने लगा. फ़िर मैंने उसे किसी तरह चुप कराया। फ़िर उनसे मैंने कहा किसी को नहीं बताऊंगा, बताओ तुम दोनों किस चीज़ का नशा कर रहे थे। ऐसे मैं वो हमे बताने के लिए तैयार हो गया उसने कहा मैंने नहीं इसने सुलेशन का नशा किया है।

फ़िर मैंने उनसे पूछा ये बताओ तुम पीते हो या नहीं? उसने कहा मैं भी नशा करता हूं लेकिन आज़ मैंने नहीं किया है। आप किसी को मत बोलिएगा मैं आज के बाद कभी भी इसका सेवन नहीं करूंगा।

मैंने उनसे ऐसे ही पूछ लिया कौन सा सुलेशन? इतने में वो जंगल से फेंके सुलेशन के डिब्बों को निकालते हुए बोला यही जिनसे साईकिल पंचर बनाया जाता है। मैं यहीं तक नहीं रुका मैंने इनके बाद उनसे नशा से जुड़े कई तरह के सवाल किए, वो किसी को ना कहने के बदले में हमारे सारे सवालों के जवाब देते जा रहे थे।

क्या होता है सुलेशन?

उन्होंने कहा कि हम दुकान से सुलेशन के डिब्बे को खरीदकर लाते हैं जो 70 रुपये में आसानी के साथ मिल जाता है। उसको लाने के बाद हम सब पॉलिथीन पर डालकर अच्छे से रगड़ते हैं और गर्म होने के बाद तेज साँसों से उसे सूंघते हैं, जिनके बाद नशा चढ़ना शुरू हो जाता है। ये नशा दो तीन घंटों से ज्यादा तक रहता है। मैंने उनसे पूछा पीने के बाद तुम्हें कैसा लगता है?

उनका जवाब सुनकर मैं हैरान था उनका कहना था इसके नशा से सुख की अनुभूति सी प्राप्त होती है। अगर ये नहीं मिलता है तो हर चीज़ काटने को जैसे दौड़ती है। इसके बिना नहीं रहा जाता है।

फ़िर मैं उनसे और भी नशे के शिकार बच्चों के बारे में पूछने लगा जिसके बाद उनके नामों की संख्याओं को सुनकर मेरे पैरों तले ज़मीन सी खिसक गई। जिनके बारे अंदाज़ा नहीं था. इतने बड़े पैमाने पर हमारे गाँव के छोटे बच्चे भी नशे के शिकार हो सकते हैं.और वो अलग – अलग तरह के नशे कर रहे हैं।

इतने नशे मैंने सोचा भी नहीं था

फ़िर मैंने उनसे पूछा सुलेशन के नशे के अलावा कोई किसी चीज़ का नशा किए हो तो उनका जवाब था हाँ मैंने गांजा और भांग का नशा किया है। लेकिन अभी सिर्फ सुलेशन का करता हूँ और अब ये भी नहीं करूंगा। छोटे से उम्र के लड़के के पास कई तरह के नशीले पदार्थ के बारे जानकारी थी जैसे गांज़ा,भांग,स्मोक,ड्रग्स ना जाने और भी कई तरह के जिनके नाम मुझे याद भी नहीं है।

फ़िर इतने में मैंने दूसरे छोटे बच्चे जो अपने आप को देश का राजा बता रहे थे और हमे प्रजा के रूप में संबोधित कर रहे थे.उनसे बात करना शुरू कर दिया। तब तक उनके हालात थोड़े ठीक हो रहे थे.उनसे पूछा नशा क्यों करते हो?

उनका भी वही ज़वाब था ऐसा करने से आनंद आता है अगर ऐसा नहीं करेंगे तो शरीर में अड़कने आ जाती है। कुछ दिखता नहीं बस इसका सेवन करने के बारे में सोचने लगते हैं।

दोनों से मैंने नशा पर लंबी बातचीत की फिर मैंने दोनों को समझाने की कोशिश की इसके बहुत से दुष्परिणाम हैं, जो तुम्हारी जिंदगी को बर्बाद कर देगा। ये एक तरह से हमारे लिए समान्य सा बात नहीं थी, क्योंकि बड़े तेज़ी से गाँव के बच्चे नशे के शिकार हो रहे हैं, जिनके तरफ उनके परिजनों का भी ध्यान नहीं जा रहा है। बच्चे घर से दूर जंगल,नाली पिछवाड़ी जैसे जगहों पर छुपकर समुह में नशे कर रहे हैं।

नशा को छोड़ चुके बच्चे का अनुभव

फिर इसके बाद मैंने एक नशे को छोड़ चुके बच्चे से मुलाकात की, जिन्होंने हमारे साथ अपने अनुभव को साझा किया। उनका कहना था शराब की महफ़िल की तरह ही नशेड़ी भी समुह में नशा करना पसंद करते हैं।

ये मुख्यतः ऐसे जगहों के तलाश में रहते हैं जहां लोगों की ज़्यादा आवाजाही नहीं हो, जैसे नहर, नाली, झाड़ी, तालाब इत्यादि। नशे की पुड़िया ख़त्म होने से पहले ही दूसरी पुड़ियों के लिए रूपयों की जुगाड़ की वो प्लानिंग शुरू कर देते हैं। ताकि वो नशे से मिलने वाली सुख की अनुभूति को प्राप्त कर सकें।

परिजनों को भी चाहिए कि वो अपने बच्चे का ख़ासा खयाल रखें, आप देखें आपका बच्चा कहां जा रहा है? किनसे मिल रहा है? उनके संगत कैसे बच्चों से हैं? अगर आप ये सोचते हैं कि आप का बच्चा ऐसा नहीं कर सकता है तो आगे चलकर ये आपके उम्मीदों पर भी पानी फेर सकता है। इसलिए नजर बनाए रखें वर्ना आपका बच्चा भी नशेड़ी के समूह कभी भी शामिल हो सकता है।

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