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प्रदूषण सिर्फ़ दिल्ली की समस्या नहीं है !

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ख़राब हवा को लेकर दिल्ली को ‘गैस चैंबर’ क़रार दे दिया है। पर सवाल ये है कि क्या पूरे भारत में सिर्फ़ दिल्ली कि हवा ख़राब है ? ‘द लैंसेट’ प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित पॉल्यूशन एंड हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार 2019 में सभी तरह के प्रदूषणों के कारण भारत में कुल मिलाकर 23 लाख से अधिक लोगों की अकाल मृत्यु हुई। यह दुनिया में सबसे ज़्यादा है। पर सवाल अब भी वही है। क्या ये मौतें सिर्फ़ दिल्ली में हुईं ?

इस समय पूरे उत्तर भारत की हवा प्रदूषित है, अस्थमा के रोगियों के लिए साँस लेना भी मुश्किल है, माहौल एकदम दमघोंटू हो गया है। पर ये समस्या केवल दिल्ली की नहीं है। रोहतक, भिवानी, गुड़गाँव, मानेसर, नोएडा, ग़ाज़ियाबाद और राजस्थान के भिवाड़ी इलाक़े में इस समय हवा उतनी ही ख़राब है जितनी दिल्ली में। साथ ही उत्तर प्रदेश और बिहार के ऐसे कई शहर हैं जहां प्रदूषण अपने चरम पर है।

आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के साथ एक प्रेस कॉन्फ़्रेस करी। यहाँ उन्होंने दिल्ली और पंजाब क्षेत्र में फैले विषैले प्रदूषण की पूरी ज़िम्मेदारी ली। एक बात जो मुझे पसंद आयी वो यह कि सीएम केजरीवाल ने कहा, “ ये वक़्त एक दूसरे पर इल्ज़ाम लगाने का नहीं है। ब्लेम गेम खेलने से कुछ नहीं होगा। इस गंभीर समस्या पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को मिलकर कदम उठाने चाहिए। “

बहरहाल पूरे मुद्दे का निचोड़ यह है कि प्रदूषण के लिए सिर्फ़ दिवाली के पटाखें ज़िम्मेदार नहीं है। दिल्ली की सड़कों पर बढ़ती तादाद में दौड़ती गाड़ियाँ और पंजाब इलाक़े से उड़ता हुआ आ रहा पराली का धुआँ भी बराबर के हिस्सेदार हैं। प्रेस कांफ्रेंस में केजरीवाल ने गाड़ियों के लिए एक बार फिर ऑड ईवन फार्मूले पर विचार करने का ज़िक्र किया। साथ ही अगले कुछ दिनों के लिए दिल्ली के प्राइमरी स्कूलों को बंद करने और सेकेंडरी स्कूलों में आउटडोर गेम्स पर रोक लगाने का फ़ैसला सुनाया।

भगवंत मान ने पराली की समस्या से निजात पाने के लिए जनता से 1 साल का समय माँगा है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि फ़ैसला जो भी होगा वो किसानों और जनता के हित में होगा। अब देखने लायक़ बात यह है कि अगले नवंबर तक स्थिति में कितना सुधार आता है…. 

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