विश्व इतिहास के पन्ने इस बात के साक्षी हैं कि दुनिया में फ्रांस की क्रांति ,रूस की क्रांति जैसी कई बड़ी- बड़ी क्रांतियां हुई लेकिन सबसे बड़ी क्रांति बिना किसी रक्तपात के भारत में हुई ,वह बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर की धम्म क्रान्ति थी जो 1956 में अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को हुई ,संयोग से उस दिन तारीख़ 14 अक्टूबर थी।
ध्यान रहे कि बाबासाहेब ने इतिहास से अपने आप को जोड़ते हुए यह धम्म क्रांति उस दिन किया, जिस दिन महान सम्राट अशोक भी बुद्ध की शरण गए थे । बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर ने अनवरत 21 वर्षों तक विश्व के सभी धर्मों का विस्तृत व गहन अध्ययन किया।
ऐतिहासिक शोध के उपरांत अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को अपने दस लाख अनुयायियों के साथ बुद्ध धम्म में दीक्षित हुए। समता- स्वतंत्रता- बंधुता -न्याय- मैत्री -करुणा आदि धर्म के सभी आवश्यक तत्व बाबासाहेब को बुद्ध के ही धम्म में मिला, जो भारत भूमि पर पैदा हुआ, बाबासाहेब डॉ.अंबेडकर ने बुद्ध धम्म में दीक्षित होकर जहां एक ओर भारत को पुनः अंतरराष्ट्रीय फलक पर स्थापित किया, वहीं दूसरी तरफ पशुवत जिंदगी जी रहे करोड़ों शूद्रों, अछूतों को जाति और वर्ण मुक्त मानव बना दिया।हम ऐसे युग परिवर्तक महापुरुष के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए शत शत नमन करते हैं।