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राष्ट्र और देश में फर्क है और ये हमें समझने की ज़रूरत है

राष्ट्र और देश मे क्या फर्क है?राष्ट्र की विवेचना इस देश मे बौद्धिक करता है,उसके अपने-अपने तर्क होते है।देश एक भौगोलिक सच है,जो ईरान से चलकर अफगानिस्तान होते हुए पाकिस्तान पहुंचा, आज वहीं देश पुनः पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से आवाज़ दे रहा है।

ऐसा क्यों हो रहा है?कौन लोग है जो इसमें रुचि रख रहे है? महात्मा गांधी ने कहा था,कि अंग्रेज़ी हटा दो तो लगभग सारी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। सन 47 में महात्मा गांधी ने कहा कि 15 साल में ऐसा क्यों हो रहा है?

कौन लोग है जो इसमें रुचि रख रहे है? महात्मा गांधी ने कहा था,कि अंग्रेज़ी हटा दो तो लगभग सारी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है । सन 47 में महात्मा गांधी ने कहा कि 15 साल में अंग्रेज़ी स्वतः हट जाएगी। सारे कामकाज हिंदी में होने लगेंगे लेकिन सन 47 से आज अंग्रेज़ी ज़्यादा महत्वपूर्ण और मजबूत है।

देश और राष्ट्र के नाम से प्रथम संसद में बतौर सांसद टी ए रामलिंगम शेट्टीयार ने कहा कि पूरे भारत मे भाषा का विकास संस्कृत से हुआ, जो आज लुप्तप्रायः है। हो सकता है कि हिंदी बोलने की संख्या ज़्यादा हो,पर हमारी भाषा ज़्यादा ताकतवर है। इसी संस्कृत से मलयालम, कन्नड़, तमिल आदि निकले है। देश के हर प्राइमरी स्कूल में उत्तर में दक्षिण और दक्षिण में उत्तर की हर भाषाओं को लागू कर दिया जाय तो बहुत से विवादों का जन्म नही होगा।

सम्भवतः यही देश और राष्ट्र के पक्ष में 1952 में दिया गया भाषण कांग्रेस में उत्कृष्ट समझ है।आज अगर शेट्टीयार की बात को संसद मान लेती तो सम्भवतः पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का जन्म नही होता। हर भाषा अपना देश और अपना राष्ट्र चाहती है।

यह वही लोग है जो देश को धर्म के नाम पर बाटना चाहते है। ईरान में हो रहे आंदोलन में खासकर भारत लगभग चुप है।अतः साथियों भारत एक राष्ट्र आज है।कल देश भी रहेगा या नही,उसपर वौद्धिक विचार करें।

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