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“हाथियों के झुंड ने हम आदिवासी किसानों की फसल बर्बाद कर दीं”

छत्तीसगढ़ आदिवासी किसान

इस साल छत्तीसगढ़ में वर्षा की शुरूआत देरी से हुई, जिसकी वजह से लोग काफी लेट फसल लगा पाए और जब फसल लगा लिये उसके बाद भारी बरसात हुई, जिससे आदिवासी किसानों को भारी नुकसान हुआ, उनकी काफी फसल मिट्टी से दब गई।

पानी और हाथियों के झुंड

इन सबसे बचने के बाद जैसे ही फसल हरी भरा हुआ। हाथी का झुंड आ पहुंचा और हमारे कई आदिवासी किसान भाइयों की फसल को पैरों से पूरा कुचलकर और खाकर बर्बाद कर दिया। इस तरह की परेशानियों से इस साल सभी किसान अपने फसल से काफी असन्तुष्ट नजर आ रहे हैं।

ग्राम पंचायत बांझीबन के आश्रित ग्राम सिरकी कला कई आदिवासी भाइयों से मिला, जिनका नाम फूल सिंह ,देव सिंह, महेश्वर सिंह, चंदन सिंह, सुंदर दास, सुशील दास और झोरा निवासी भुवन सिंह, करम साय, बरन साय, हुलास राम आदि से बातचीत हुई। इन सब का कहना है कि पिछले साल इन सभी किसानों को खेती करने में ज़्यादा दिक्कत नहीं हुई थी।

पिछले वर्ष आमदनी हुई थी

हाथियों ने रौंद डाले धान के खेत।

ग्राम पंचायत बांझीबन के आश्रित ग्राम सिरकी कला कई आदिवासी भाइयों से मिला, जिनका नाम फूल सिंह ,देव सिंह, महेश्वर सिंह, चंदन सिंह, सुंदर दास, सुशील दास और झोरा निवासी भुवन सिंह, करम साय, बरन साय, हुलास राम आदि से बातचीत हुई। इन सब का कहना है कि पिछले साल इन सभी किसानों को खेती करने में ज़्यादा दिक्कत नहीं हुई थी।

फसल लगाने के सही समय पर पानी गिर गया था, जिसकी वजह पिछले साल हरेली त्यौहार तक गाँव की सारी फसलें लग चुकी थीं, मात्र कुछ ही लोगों की बची हुई थी और पिछले साल सही समय में सही मात्रा में पानी गिरा था। जिससे लोगों का फसल नुकसान नहीं हुआ और न ही हाथी का झुंड भी इस गाँव में पहुंच पाया था। पिछले साल सारी चीज़ें अच्छी रही जिससे किसान भाई अच्छी फसल उपजाए और उनको काफी आमदनी भी हुई।

मेड़ टूटी नुकसान ही नुकसान

इन सभी किसान भाइयों का मानना है कि इस साल 2022 में पिछले साल के अपेक्षा इस साल खेती करने में बहुत समस्या आई है, जैसे कि बरसात के शुरुआती दौर में बिल्कुल पानी नहीं गिरा था और जब पानी गिरा तो एक महीना लेट हो चुका था, जिसके वजह से खेती पिछड़ गई और रोपा लगाने के लास्ट समय में मूसल धार पानी गिरने के वजह से खेत के मेड़ फूटने लगे, जिससे फसल मिट्टी से दबकर काफी नुकसान हुआ।

साथ ही फसल लेट लगने की वजह से फसल में अत्यधिक कीड़े लगने लगे, कीड़े से बचने के लिये लोग कीटनाशक दवाइयों का उपयोग करने लगे, जिससे काफी खर्चे भी हो रहें है, इतना सब कुछ होने के बाद सिरकी कला गाँव के ऊपर साइड बांगो, चरर्रा, कोड़ा, हथमार से होते हुए लगभग 15-16 हाथियो का झुंड सिरकी कला आ पहुंचा। सिरकी कला के पहाड़ी जंगल मे एक दिन रुकने के बाद दूसरे दिन रात यहां के आदिवासी किसान भाइयों के फसल को पैरों से कुचलते और खाते हुए भारी नुकसान पहुंचाए जिससे किसान भाइयों को भारी नुकसान हुआ।

हालांकि ग्राम के सरपंच और पटवारी के द्वारा इन फसलों की नुकसान पर किसानों को सरकार से भुगतान राशि दिलाने के लिए उनकी फोटो खींचकर, मुआवजा फॉर्म भरकर डॉक्यूमेंट सबमिट कर दिए है, उन्होंने किसान भाइयों को मुआवजा की आशा दिलाते हुए कहा कि नुकसान राशि मुआवजा रूप मे जल्द दिलाने का प्रयास करेंगे।

नोट: यह लेख सबसे पहले आदिवासी लाइव्स मैटर द्वारा प्रकाशित किया गया था  https://www.adivasilivesmatter.com/post/tribal-farmers-of-chhattisgarh-are-facing-huge-problem-in-growing-crops

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