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अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर शशि थरूर का क्यों छलक उठा दर्द

कॉंग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर हलचल तेज़ है। चुनाव प्राधिकरण कमेटी के स्क्रूटनी के बाद दो उम्मीदवार चुनावी मैदान में बचे हुए हैं। जिनमें मल्लिकार्जुन खरगे और शशि थरूर हैं। इसी 17 अक्टूबर को मतदान होने वाले हैं और नतीजे तय तिथि 19 अक्टूबर को आयेंगे। पार्टी आलाकमान के तरफ से अनाधिकृत रूप से मल्लिकार्जुन खरगे उम्मीदवार हैं वही दूसरी ओर शशि थरूर G -23 समुह के नेताओं में से हैं।

शशि थरूर और बिहार दौरा

अभी दोनों उम्मीदवार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का दौरा कर डेलिगेट्स में शामिल लोगों से मिलकर उनसे से समर्थन मांग रहे हैं लेकिन इस दौरान शशि थरूर के दर्द बार-बार छलक रहे हैं, उनका कहना है जिस तरह से उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खरगे का बड़े नेताओं के साथ प्रदेश कॉंग्रेस इकाई स्वागत कर रहे हैं उनके साथ ऐसा नहीं हो रहा है।

पिछले दिनों ही शशि थरूर का बिहार दौरा था। जहां उनको बिहार से शामिल 594 डेलिगेट्स से मिलकर अपने लिए समर्थन मांगना था, जो 17 अक्तूबर को अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव में मतदान करने वाले हैं, जिनकी जानकारी पहले बिहार कॉंग्रेस प्रदेश इकाई को दे दी गई थी। जब शशि थरूर पटना एयरपोर्ट पर पहुंचे तो चंद छोटे कार्यकर्ता ही उनके स्वागत के लिए खड़े थे। जब वो वहां से कार्यक्रम स्थल सदाकत आश्रम पहुंचे तो उनके कार्यक्रम में 594 में से सिर्फ़ 10 डेलिगेट्स ही दिखे, जिनमें एक भी प्रदेश के बड़े नेता नहीं दिखाई दिए।

दौरे पर बड़े नेताओं का साथ नहीं मिलने के मीडिया के सवालों पर शशि थरूर ने कहा कॉंग्रेस के कुछ बड़े नेता बदलाव नहीं चाहते हैं इसलिए उनसे भाग रहे हैं. 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के लिए कॉंग्रेस में परिवर्तन ज़रूरी है। इस दौरान उन्होंने आगे कहा कि वे कॉंग्रेस में परिवर्तन लाना चाहते हैं। अगला आम चुनाव जीतने के लिए बदलाव आवश्यक है. मगर कुछ बड़े नेता नहीं चाहते कि बदलाव हो इसलिए वे हम से भाग रहे हैं।

खड़गे और थरूर

इनसे पहले भी शशि थरूर सार्वजनिक रूप से अपने साथ होने वाले भेदभाव के बारे बोल चुके हैं जिनमें उन्होंने कहा था कि कई प्रदेश इकाइयों में उनके प्रतिद्वंद्वी मल्लिकार्जुन खरगे का स्वागत किया जाता है और बड़े-बड़े नेता उनसे मिलते हैं। लेकिन उनके साथ ऐसा व्यवहार नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि वह कोई शिकायत नहीं कर रहे हैं,लेकिन व्यवस्था में कमियां हैं क्योंकि 22 वर्ष से पार्टी में चुनाव नहीं हुआ है।

वही पिछले ही दिनों मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण कमेटी के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री को लेकर शशि थरूर ने कहा कि मैं मिस्त्री साहब के खिलाफ कुछ भी नहीं बोलना चाहता हूं। सिस्टम में कुछ कमियां हैं वह हम सबको पता है 22 साल से चुनाव नहीं हुआ। पहली सूची 30 तारीख को मिली थी और बुधवार को एक और सूची मिली।

पहली सूची में किसी का भी फोन नंबर नहीं है। पहली सूची में सिर्फ ब्लॉक,आधा पता था तो लोगों से संपर्क करना मुश्किल हैं और दोनों सूची में अंतर है। मेरी यह शिकायत नहीं है कि यह जानबूझकर हो रहा है। 22 साल से चुनाव नहीं हुए हैं हमारी पार्टी में इसलिए इस तरह की कुछ गलतियां हुई हैं। मैं जानता हूं कि मिस्त्री साहब निष्पक्ष चुनाव कराने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव के दिन तक उम्मीद नहीं है कि सभी डेलिगेट्स तक पहुँच पाऊँगा बस कोशिश है कि आप(मीडिया) के जरिए अपनी बातों को उन तक पहुंचा सकूं।

दरअसल जिस बिहार में शशि थरूर के कार्यक्रम और उनके स्वागत के लिए चंद कॉंग्रेसी कार्यकर्ता शामिल थे। वहीं पर पिछले ही दिनों 11 अक्टूबर को मल्लिकार्जुन खरगे समर्थन माँगने के लिए पटना पहुँचे हुए थे। जिनके कार्यक्रम में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा समेत प्रदेश के बड़े सभी कॉंग्रेस के नेता शामिल थे। पूरा सदाकत आश्रम उस दिन कॉंग्रेस के नेताओं से खचाखच भड़ा हुआ था।

शशि थरूर के दर्द के मायने

जब कॉंग्रेस के अंदर अध्यक्ष पद के चुनाव के तारीख़ों का ऐलान किया गया तो शशि थरूर बड़े ही उत्साहित नजर आए थे। क्योंकि लंबे समय से वो पार्टी के अंदर संगठन में बदलाव की बात माँग करते रहे थे। इनको लगा कि पार्टी में बदलाव के लिए अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचना होगा ताकि ख़ुद ही बदलाव के लिए बड़े फैसले ले सकें,

इसलिए इन्होंने नामांकन के शुरुआती तारीख़ में पार्टी द्वारा बनाए गए चुनावी प्राधिकरण कमेटी के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री से मिलकर चुनावी प्रक्रिया के बारे में बातचीत कर अपने उम्मीदवारी का ऐलान कर दिया था। इसे लगा था ऐसे तमाम कॉंग्रेस के नेताओं का उन्हें साथ मिलेगा जो लंबे समय से पार्टी में बदलाव की माँग करते रहे हैं लेकिन थरूर के उम्मीदों को उसी वक़्त धक्का लग गया जब इनके नामांकन में कॉंग्रेस के कोई भी बड़े और वरिष्ठ चेहरा शामिल नहीं हुए थे।

शशि थरूर को G-23 समुह के नेताओं का भी साथ नहीं 

यहां तक कि G-23 समुह के नेताओं का भी शशि थरूर को समर्थन नहीं मिल रहा है।जबकि सच्चाई ये है कि इस समुह का गठन थरूर के घर पर ही एक डिनर के पार्टी में हुआ था। जिसमें पार्टी के 23 नेताओं ने एक साथ आलाकमान को पत्र लिखकर पार्टी में बड़े पैमाने पर बदलाव की मांग की थी, जिनमें सभी 23 नेताओं के हस्ताक्षर मौजूद थे, जिनमें उन्होंने कॉंग्रेस में स्थायी अध्यक्ष के लिए चुनाव कराने की भी बात कहीं थी और समय-समय पर पार्टी के हार पर ये समुह पार्टी आलाकमान से अपने मांगों को दुहराती रही थी।

शशि थरूर को इस समुह से खास उम्मीद थी लेकिन इनके सभी नेताओं का साथ मल्लिकार्जुन खरगे को मिलता दिख रहा है। जिनमें से तो कई मल्लिकार्जुन खरगे के नामांकन में भी शामिल होकर प्रस्तावक बने हैं। जिनमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण,आनंद शर्मा जैसे शामिल थे।

वही G-23 समुह के सदस्य रहे मनीष तिवारी ने कहा क‍ि यदि सभी तथ्यों पर विचार और निष्पक्ष मूल्यांकन किया जाता है तो मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस की सेवा में समर्पि‍त नेताओं में से एक हैं। उन्‍होंने अपने जीवन के 50 साल से अधिक कांग्रेस पार्टी की सेवा में लगाए हैं।इन सभी मामलों में मेरा मानना ​​​​है कि कांग्रेस पार्टी को खड़गे के रूप में ‘सुरक्षित हाथों’ की ज़रूरत है, उन्‍होंने कहा क‍ि खड़गे बेहद ही शांत व्यक्तित्व वाले नेता हैं जो‍ क‍ि पार्टी में सबसे निचले पदों पर रहकर आगे बढ़े हैं। उन्‍होंने यह भी आशा व्‍यक्‍त की क‍ि ज‍िस कांग्रेस को स्‍थिरता की ज़रूरत है वो न‍िश्‍च‍ित तौर पर उसको प्रदान कर सकते हैं।

शशि थरूर अलग थलग पड़ गए

पार्टी के अध्यक्ष पद की तारीख़ जैसे- जैसे ही नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे ही खुलकर नेता अब उम्मीदवारों के पक्ष में समर्थन का ऐलान कर रहे हैं। इनसे भी शशि थरूर के दर्द समय – समय पर और छलक रहे हैं क्योंकि सभी का समर्थन मल्लिकार्जुन खरगे के ओर ही जा रहा है जिनसे शशि थरूर और भी अलग-थलग से पड़े दिख रहे हैं।

दरसल जिस मल्लिकार्जुन खरगे को सभी पार्टी नेताओं का समर्थन मिल रहा है। यही पार्टी आलाकमान के अनाधिकारिक उम्मीदवार हैं। इनको अच्छे से समझा जा सकता है उनके नामांकन में शामिल कद्दावर नेताओं को देखकर जो उनके प्रस्तावक बने थे। जिनमें कई कद्दावर चेहरे थे जैसे अशोक गहलोत,अंबिका सोनी, एके एंटनी,मुकुल वासनिक,अभिषेक सिंघवी, अजय माकन,भूपिंदर सिंह हुड्डा,दिग्विजय सिंह,ताlरिक अनवर,सलमान खुर्शीद, अखिलेश प्रसाद सिंह,दीपेंद्र सिंह हुड्डा,वी नारायणसामी जैसे शामिल थे, जो सभी पार्टी आलाकमान के ख़ासम-खास हैं। दूसरी ओर नामांकन से लेकर समर्थन माँगने तक में शशि थरूर के साथ पार्टी का कोई भी बड़ा चेहरा नहीं दिख रहा है।

मल्लिकार्जुन खरगे के नामांकन में बड़े नेताओं के हुजुम को इकठ्ठा करवाकर पूरे पार्टी के भीतर ये संदेश दे दी गई कि थी कि आलाकमान के तरफ से खरगे ही उम्मीदवार बनाए गए हैं। जिनमें पार्टी हद तक पूरी तरह से क़ामयाब हो गई यही वज़ह हैं कि कोई भी पार्टी का बड़ा चेहरा शशि थरूर के साथ नहीं दिख रहा है और ना ही किसी प्रदेश में मल्लिकार्जुन खरगे के तरह शशि थरूर का स्वागत और उनके पक्ष में समर्थन देखने को मिल रहा है।

लेकिन वही दूसरी ओर चुनाव प्राधिकरण कमेटी के तरफ से कहा जा रहा है कि कोई भी उम्मीदवार पार्टी आलाकमान के तरफ से अधिकृत उम्मीदवार नहीं हैं। इसलिए प्रदेश कॉंग्रेस इकाई दोनों के साथ एक तरह से पेश आए लेकिन सच तो ये है मल्लिकार्जुन खरगे आलाकमान के अनाधिकारिक उम्मीदवार हैं। जिनके बारे में पहले ही पूरी पार्टी के अंदर संदेश दे दी गई है, पहले नामांकन में प्रस्तावकों की भीड़ और अब सभी नेता खुलकर खरगे का समर्थन करते दिख रहे हैं। यही वज़ह है कि शशि थरूर के दर्द बार – बार छलक रहे हैं। ना मिल रहे समर्थन के बारे ऐसी उम्मीद तो शशि थरूर को कतई भी नहीं रही होगी।

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