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भारत को बदलना है तो लड़ना सीखो, उस गरीबी से लड़ो जो गांव में

poverty in india

हम सभ्य है,क्योंकि हमारे पीछे हजारों साल की तपस्या है,संस्कृति है, जो गाय-गोबर में उलझती जा रही है। अगर हमारे आचरण में कही असभ्यता दिखती है,तो उसके पीछे हमारा वर्तमान है।क्योंकि वर्तमान में हमारे पास संसद, संविधान और सरकार है। जिसके पास अविश्सनीय जैसे शब्द है। कभी कहते है कि गरीबी हटाएंगे, कभी कहते है कि भ्र्ष्टाचार हटाएंगे, कभी कहते है कि जातिवाद हटाएंगे। सनद रहे साथियों, सन 47 से हटने के बजाय दिन दूना रात चौगुना बढ़ती गयी।

अतीत में पिता प्रदेश का अध्यक्ष था, तो वर्तमान में बेटा है। चंदे में मिली धन-राशि को नही बताएंगे, पर हम ईमानदार है। गाँव में गाड़ी नही, पर हाईवे चाहिए, यही विकास है,जाति तोडो का नारा देंगे, पर बायनाकुलर लेकर जाति खोंजेगे।

धर्म की आड़ में आडम्बर है, पर वोट बैंक सुरक्षित है तो वंदेमातरम् बोलेंगे। वंदेमातरम् का विरोध करना हमारा नैतिक कर्तव्य है, कहने वाला मौलाना भी मादरे-वतन के माथे को काटना चाह रहा है।

अतीत के भारत मे शास्त्रार्थ(बहस) था,तो वर्तमान के हिन्दोस्तान में बहस करने पर बलात्कार के फ़र्ज़ी जुर्म में जेल भी जाना पड़ सकता है।

जहां से हमने लोकतंत्र को लिया,वहाँ के नेताओं ने सन्यासी बनकर, सायकिल चलाकर, अपने को संचय से दूर रखा। वहीँ नकलची भारत सन्यासी से सम्भोग की तरफ बढ़ा, संचय को अपनाया, सत्य-नारायण की कथा कहते-कहते, असत्य को अपना धर्म मान लिया। अक्षर ज्ञान के आभाव में पशु-पक्षी तक अपनी आवादी को कंट्रोल में रखे हुए है, पर ज्ञान से परिपूर्ण आदमी अपनी आवादी को निरन्तर बढ़ाता जा रहा है।क्यों न बढ़ाये एक का सपना इस्लामिक राष्ट्र का है,तो दूसरे का हिन्दू राष्ट्र का।

गजब के देश मे अजब का खेल है

पढ़ा-लिखा आदमी पढ़ाता नही, वहीं अनपढ़ पढ़ाने को मज़बूर है।

नौजवान एक अदद नौकरी की तलाश में कही कांग्रेस तो कही भाजपा खेल रहा है।सक्षम लोग समानान्तर संस्थाये खड़ा कर अपना इलाज मेदांता और बच्चे को मॉडर्न स्कूल में पढ़ा रहे है,वही सरकारी संस्थाओं का हाल बद से बत्तर होता गया, अस्पतालों में ऑपरेशन होता नही, पाठशालाओं में पशुयें बंधी जा रही है, गरीबों के देश मे सिर्फ अमीर ही चुनाव लड़ता है, भूखे-नङ्गे देश मे रोटी की कीमत सरकार तय करती है और नहाने के पानी की कीमत ब्यापारी!

प्रिय दोस्तों भारत को बदलना है तो लड़ना सीखो, उस गरीबी से लड़ो जो गांव में स्थिर हो गयी है, उस शिक्षा से लड़ो जो कोरे कागद पर तो है,पर मन-मिज़ाज़ में मैला भर दिया,उस पूंजी के खिलाफ लड़ो जो प्रतिभाओं के हक़ और हक़ूक़ को मार रही है,उस बहन-बेटियों के सुहाग के लिए लड़ो जो भारत माँ की कोख से पैदा होने के पहले ही मार दी जा रही है,

उस भ्र्ष्टाचार से लड़ो जो रुपये में कम आचरण में ज्यादा हो, उस बच्चे के भविष्य के लिए लड़ो, जिसके पैदा होते ही मुँह में मिलावटी दूध दिया जा रहा हो,उस नैतिकता के लिए लड़ो जिसको स्थापित करने में हमारे पूर्वजों की पीढ़िया दर पीढ़िया चली गयी, भारत बदल रहा है कहने से अच्छा है, मानवता मनुष्य का धर्म है,इसे सबको कहना चाहिए।

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