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वो कह गए हमसे ‘इंतज़ार’ करना

 वो कह गए हमसे की मेरा इंतज़ार करना

कोई फोन ना ही ईमेल करना! 

मैं आऊँगा यहीं,

इसी जगह बस मेरी यादों को संभाल के रखना,

हो सके तो कभी कभी माफ भी करना

पर किसी के सामने मुझे रुसवा ना  करना।

हां मैं बेवफा हूं ,वादों को निभाना नहीं आता,

ऐस ख्याल आएगा आपको

पर सच मानना आपके सिवा न कोई था और न होगा इन बातों को ध्यान रखना

बस मेरा इंतज़ार करना!

और ये कह कर चले गए मुझे 

उसी गली छोड़कर जहां अक्सर हम मिला करते थे

और मैं वही खड़ी रोज़ उन सभी गाड़ियों को ताकती-झांकती

हां थोड़ी झुरिया आंखो के नीचे आ गईं

बालों में सफेदी सी भी छा गयी 

पर क्या हुआ जो रोशनी भी कम दिखने लगी थी आंखो से ,

पैरों में थरथराहट भी होने लगी थी बुढ़ापे से,

पर वो आएंगे मुझसे कह गए थे बस वही सोचकर खड़ी रहती,

मुसकुराती और वापस घर को लौट आती

तेरा इंतज़ार करती बस तेरा इंतज़ार करती।

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