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ज़िंदगी एक पहेली एक इम्तेहान है

किसी ने पूछा – ज़िंदगी क्या है?

कुछ ने कहा, ज़िंदगी एक समंदर है

बस सारी कहानी उसी के अंदर है।

तो कुछ ने जवाब दिया –

ज़िंदगी एक पत्थरीली और घुमावदार डगर है 

जिसने सच्चाई से उसे पार किया, वो अमर है

कुछ सफल व्यक्तियों से पूछा तो जवाब आया –

ज़िंदगी एक इम्तेहान है

जो उसमें सफल हुआ, वो महान है।

तो कुछ लोगों ने कहा –

कि ज़िंदगी एक पहेली है 

जिसने उसे सुलझा लिया, वो उसकी बेहद खास सहेली है।

उसने अपनी ज़िंदगी सब तरीकों से जिया

और अपनी आखिरी सांसों में,

ज़िंदगी को कुछ यूं बयां किया –

कि ज़िंदगी ना तो समंदर है और ना डगर 

ना ही ये कोई इम्तेहान है और ना ही पहेली

मगर ज़िंदगी है वो एक ‘पल’, जिसमें –

ना आज है और ना ही बीता हुआ कल, 

अगर कुछ है तो वो है ‘अब’!

सबको मिली है एक समान सी ज़िंदगीयां

बस फर्क है देखने का नज़रिया।।

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