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पंख काट दिए गए उसके

कविता पंख

उड़ने से पहले ही पंख काट दिए गए उसके

जन्म तो उसका उसी तरह हुआ जैसे एक बेटे का हुआ

बचपन में ही किताबों की जगह, झाडू पकड़ा दिया गया उसे

कहती पढ़ना है बाबा मुझे ,

सब कहते दहेज तो तुम ही लेकर जाओगी

कहकर चुप करा दिया गया उसे!

उसने अच्छे से दो अक्षर भी सीखे

और गोल रोटी बनाना सीख दिया गया

ख्वाहिश हज़ार थी उसकी लेकिन,

लड़की कह कर उन्हे भी कुचल दिया गया।

थोड़ी सयानी हुई , सुंदरता का मतलब समझा दिया गया

साँवली हो तुम , कद कम है, कैसे कोई पसंद करेगा?

दुनिया ने तो उसे यही कहा की पराई धन हो तुम, लेकिन किसी ने ये नही कहा की अनमोल हो तुम

शादी की बात चली , हृदय कांप गया उसका

अब वो समय भी पास था जब अपना घर अपना ना उसका,

उसके मन की खूबसूरती को देखा ही नहीं किसी ने

बस तौल दिया गया पैसे से

उड़ने से पहले ही पंख काट दिए गए उसके।

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