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कुछ कर गुज़रने की हसरत अब दिल में है

एक हसरत है उड़ने की

कुछ कर गुज़रने की हसरत अब दिल में है

बन्द पिंजरे से निकलने की हसरत अब दिल में है।

खुल कर जी ले अपनी ज़िंदगी ऐ ‘नारी’

ज़िंदा जज़्बात हमारे भी तो दिल में हैं

खुले आसमानों में पंख फैलाए।

उड़ने की हसरत अब दिल में है।

बहुत मुस्कुरा लिया है दूसरों की खुशी के लिए

अब खुद के लिए मुस्कुराने की हसरत दिल में है,

अपने घर के रोशन दिए जलते हुए देख लिए हैं

खुद के अंदर दीया जलाने की हसरत दिल में है।

बहुत वक्त गुज़ारा अंधेरी रातों में

अब एक नई सुबह जीने की हसरत दिल में है।

फूल समझने की भूल न करे ज़माना।

कल्पवृक्ष बन जाने की हसरत अब दिल में है।।

तेरे अरमानों के कितने रंग हैं ‘नीलम’

इन रंगों में रंग जाने की हसरत अब दिल में है।

यह कविता चरखा की उत्तराखंड कोऑर्डिनेटर नीलम ग्रेंडी ने लिखा है

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