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हमारे जीवन में आयुर्वेद कितना ज़रूरी है

आयुर्वेद एक संस्कृत शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ होता है “जीवन का विज्ञान” (संस्कृत मे मूल शब्द आयुर का अर्थ होता है “दीर्घ आयु” या आयु और वेद का अर्थ होता हैं “विज्ञान”)।

आयुर्वेद का आधार है शरीर और मन का संतुलन। स्वास्थ्य भी इस नाज़ुक संतुलन पर निर्भर करता है। इसका मुख्य लक्ष्य अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है, न कि केवल बीमारी से लड़ना।

आयुर्वेद और हमारा शरीर

जिन पांच तत्वों से हमारा शरीर बनता है, उन्हीं तत्वों के आधार पर इससे जुड़े दोष और रोग दूर किए जा सकते हैं। ऐसे में एक स्वस्थ्य शरीर के लिए आयुर्वेदिक जीवन शैली का पालन करना जरूरी हो जाता है। इस जीनवशैली को अपनाते हुए हम ऐसे खाने का सेवन करते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होता है और उससे किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता। ऐसे में एक आयुर्वेदिक जीवन शैली वही मानी जाती है, जिसमें ऐसी चीजें इस्तेमाल हो जो प्राकृतिक उत्पादों से बनाई जाती हैं और जिन में कम से कम मात्रा में केमिकल होते हैं।

एक आयुर्वेदिक जीवन शैली में समय पर सोना, अनुकूलित भोजन करना, प्रतिदिन व्यायाम करना और नशे जैसी बुरी आदतों से दूर रहना शामिल है। हमारे रोज़मर्रा के दौड़ भाग में, हम जीवन के इस आधार को भूलते चले गयें। हम भूल गयें हैं के खाना शरीर का ज़रूरत है, कोई मनोरंजन नहीं।

आयुर्वेदिक में कुछ बातों का ध्यान

स्वादिष्ट भोजन और अभिनव भोजन के पीछे हम सुस्वस्थ को अक्सर नज़रअंदाज़ करते हैं ।आयुर्वेदिक जीवन शैली के माध्यम से ऐसे रोगों से दूर रहा जा सकता हैं। ऐसी ही कुछ आयुर्वेदिक बातों का ध्यान रखें जो इस प्रकार हैं:

.. शरीर के अनुकूलित भोजन

..समय पर नींद

..शारीरिक आराम और पक्की नींद

..व्यायाम

..बुरी आदतों का नाश और नशा से परहेज़ आदि।

आयुर्वेदिक विज्ञान कोई चमत्कार तो नही है की पर आयुर्वेद के चमत्कारों का उदहारण कुछ कम भी नही हैं।

भारत के मसाले और सर्वोत्तम खाना

जब तक आप अपने शरीर के प्रकार या तत्वों के अनुसार भोजन कर रहे हैं और उसके अनुसार अभ्यास कर रहे हैं, आयुर्वेद दावा करता है कि आप रोग मुक्त रहेंगे। भारतीय खानों में जो मसाले इस्तेमाल होते हैं,वे आयुर्वेदिक गुणों वाले होते हैं इसलिए भारतीय खाने में पोषण तत्वों की कमी नहीं होती चाहे हम मांसाहार न खाते हो तब भी।

हमारे भारत में , सुबह की चाय से लेकर,रात के खाने के मसाले तक में अनेक पौष्टिक मसालों का मिश्रण होता है,इसलिए घर का खाना सर्वोत्तम माना जाता है।

योग और व्यायाम के अपने अलग महत्व हैं, जैसे की यह कई शारीरिक व मानसिक रोगों के लिए भी लाभप्रद है।आयुर्वेद की दवाइयों ने जटिल रोगों के इलाज को भी संभव किया है। बचपन में चोट लगने पर मां द्वारा लगाई गई हल्दी ज्यादा लाभप्रद होती थी,बजाय की महंगी दवाओं के।

यदि रोज़ आयुर्वेद को अपने दिनचर्या में शामिल करके उसका पालन अच्छी तरह से हो तो न केवल हम बल्कि हमारे आस-पास के लोगो को भी स्वस्थ रख सकते हैं,वह भी बिना किसी नुकसान के।

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