आज आप सभी को जश्न-ए-ईद-मिलाद-उन-नबी मुबारक हो;
जानिए इस दिन का इतिहास और महत्व :- बन्टी खान (bunty khan-Afroz khan) social activist, jharkhand, ramgarh
इस्लाम को मानने वाले आज ईद–मिलाद-उन-नबी (eid milad 2022) का पर्व मना रहे हैं. यह दिन इस्लाम को मानने वालों के लिए काफी खास एहमियत रखता है. इस दिन इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद का जन्म हुआ था. वहीं इसी दिन उनकी मृत्यु भी हुई थी.
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी त्योहार को ईद-ए-मिलाद (Eid-e-Milad) या मालविद (Mawlid) के नाम से भी जाना जाता है. भारत के साथ ही दुनियाभर के कई देशों में इसे मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं. इस दिन मोहम्मद साहब के जन्मदिन के खास मौके पर जुलूस निकाले जाते हैं.
इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का त्योहार दुनिया भर में मनाया जाता है. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और उपमहाद्वीप के अन्य हिस्सों में आज ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाई जा रही है.
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का इतिहास
मुस्लिम समुदाय के लिए आज का दिन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने की 12 तारीख को पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था. इस्लामिक मान्यता के अनुसार पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म अरब के रेगिस्तान के शहर मक्का में 570 ईस्वी में हुआ था. पैगंबर साहब के जन्म से पहले ही उनके पिता का निधन हो चुका था. जब वह 6 वर्ष के थे तो उनकी मां की भी मृत्यु हो गई. मां के निधन के बाद पैगंबर मोहम्मद साहब अपने चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब के साथ रहने लगे.
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का महत्व
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के खास मौके पर कई जगहों पर जुलूस निकाले जाते हैं तो कहीं पर मस्जिदों में नमाज अता की जाती है. इस दिन खास तौर पर मस्जिदों को सजाया जाता है और पवित्र ग्रंथ कुरान को पढ़ा जाता है. वहीं मोहम्मद साहब के संदेशों का प्रसार किया जाता है. इस खास मौके पर पारंपरिक स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं और
गरीबों में बांटा जाता है. मान्यता है कि इस खास मौके पर दान और जकात करने से अल्लाह खुश होते हैं परिवार में बरकत होती है.
अल्लाह ताल्लाह हम सब को सीधी राह परचलने की तौफ़ीक़ अता फ़रमायें।
फिर से आप सभी को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मुबारक हो!