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“हमने परिवार नियोजन का समर्थन किया तो हमें गिरफ्तार कर लिया गया”

देश के सामने चुनौती क्या-क्या है? देश किसके प्रति संवेदनशील है, जनता या नेता? जनता को जागरूक करना छोड़िए, माल महाराज की होली खेले सब के सब ।

श्रीलंका, इराक तो जल ही रहा था कि बंग्लादेश में लाखों लोग प्रधानमंत्री के आवास पर धरना दे रहे है।वह भी शांति के साथ लोग पूछ रहे है कि गरीबी क्यो?पे ट्रोल और डीजल महंगा क्यो? नेता ऐश करे और जनता भुखमरी से संवाद करे। शेख मुजुबिर के घर में कोई चिराग को रोशन करने वाला बच गया था,जो आंखों के सामने गांधी को नंगा देख रहा है।

पहला कंडोम प्लांट

गांधी और नेहरू को गाली देने वालों सुन लो,जब देश की आबादी 40 करोड़ पहुंच गई तो नेहरू ने कंडोम बनाने की फैक्टरी को लगाया।वह नेहरू ही थे जो विधायक और सांसदों को परिवार नियोजन पर अमल करने को कहे थे।

आज भारत 130 करोड़ के ऊपर है। सत्ता पक्ष हो विपक्ष की लोग परिवार नियोजन पर बोलने से डरते है, जबकि परिवार नियोजन पर हम सभी आजमगढ़, वाराणसी और दिल्ली मे धरना दिए। तिरंगे के साथ दिल्ली में परिवार नियोजन के कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए हम लोग गिरफ्तार हुए। आज तिरंगा में सरकार गौरव दिखा रही है,तो हमलोग के साथ तिरंगा का अपमान क्यो हुआ?

देश मे वंशवाद है। लोकतंत्र उसी की औलाद है। कहीं कम तो कही ज्यादा है। हम सब क्या करें?यह सबसे बड़ी चुनौती है। राशन बाटो और पेट्रोल डीजल की कीमत उन्हीं से वसूल करो। यह बुद्धिमान सरकार का पहला लक्षण है।

मोदी जी के भाजपा कार्यालय

साथियों सवाल करो, भले उत्तर न मिले। गांधी और अम्बेडकर भारत के परम्परा है। उस पर अड़िग रहिये। अटल जी ने 1980 में गांधी का समाजवाद को स्वीकार किया और वही केजरीवाल ने गांधी की तस्वीर लगाई और पंजाब में छोड़ा। वन्देमातरम अटल जी के पास और केजरीवाल के पास है लेकिन केजरीवाल ने अण्णा हजारे और गांधी के साथ लोकपाल मांग रहे थे और सरकार बनाते ही सब भूल गए। शीला दीक्षित और मुकेश अंबानी पर जुबानी केस किये और जनता तमाशबीन बनी रही।

तमाम बड़े नेता थे जो जैन हवाले में लोकसभा से इस्तीफा दिए और कोर्ट से लड़े और विजयी बनकर आये। उसमे से प्रमुख लालकृष्ण आडवाणी और शरद यादव थे। मेरा तो कहना है कि स्वस्थ राजनीति के लिए राहुल गांधी और सोनिया गांधी को इस्तीफा देकर, एक मानक तय करना चाहिए।

बहुत अच्छे लोग है जो लोकतंत्र में धक्का खा रहे है और भारत उन्हीं का है,अन्यथा कामराज भी तमिलनाडु में हर ज़िले में पार्टी का कार्यलय बनाये और चुनाव स्वयं के साथ कॉंग्रेस भी हार गई। मोदी जी हर ज़िले में भाजपा का कार्यलय बनाये है,उनका देखना बाकी है।

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