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“स्टार प्लस किस तरह हमारे दिमाग में कचरा भर रहा है”

स्टार प्लस सीरीयल

वैसे तो मैं इतने फालतू चैनल पर कुछ लिखना नहीं चाहता था पर मेरे मम्मी ने भी कहा लिख़ने को क्यों कि उनको नहीं पता शिकायत कहां करनी है?

नये कॉन्सेप्ट की स्टोरी

मेरी बात से आपको इत्तफाक न हों तो आप कोई भी सीरियल उठा कर देख लीजिए मुख्य प्लाट मैं बता देता हूं, नए नए तरह की स्टोरी लाकर सीरियल शुरू करेंगे, पहले वो भी कोई नई नही होती अगर आपने कई सीरियल देखे है तो आपको पता चलेगा कि ऐसा एक सीरियल तो आया है ना फ़िर भी इसके इतर स्टार प्लस की घटिया मानसिकता मैं आपको बताता हूं।

इसमें लड़की की स्टोरी कहीं से भी शुरू हो जाए, कुछ ही एपिसोड बाद उसका मक़सद सिर्फ शादी करना हो जाएगा, उसमें भी कोई आम शादी नहीं ऐसी शादी जिसमे एक लड़के के साथ दो लड़कियां होना पक्का है।

क्या ये सिर्फ एक सीरियल की बात है?

ये एक नही सारे सीरियल में होना है, उसके भी इतर ऐसा नहीं कि दोनों लोग का प्यार सच्चा दिखाए एक को विलेन बनाना ही पड़ेगा।

कुल मिलाकर सिर्फ़ पैकिंग बदल रही है, अंदर आपको एक ही कंटेन्ट मिलेगा। पता नहीं कौन सी महिला सशक्तिकरण कर रहे हैं, जहां पर लड़कीयां बिना विरोध के अपने सपने छोड़ दे रही हैं औऱ उसका एक मात्र मकसद है अपनी शादी बचाना उसकी शादी बचाना।

स्टार प्लस सीरीयल इमली।

रिफ्रेनस दूं तो आप अनुपमा, एमली, बननी चाओ सारे देख लो यार सब में यही होना है, उसके अलावा एक औऱ कॉमन औऱ टॉक्सिक कांसेप्ट है, वो है दो लड़कियां होना ये आप एमली और ये रिश्ता क्या कहलाता है में देख सकते हैं।  

लड़की दो हैं पढ़ाई लिखाई करियर से ज्यादा फ़ोकस उनका एक ही लड़के से शादी करने पर है, यहां प्यार वैगरह नही सिर्फ शादी होती है उसमें नाच गाना बस और एक खास बात जिस पर शायद किसी का ध्यान गया या नहीं

जब भी दो लड़कियां होती है लीप के बाद तो विलेन सिर्फ उसको दिखाया जाता है है जिसकी माँ बाहर वाली होती हैं जिसकी माँ खानदानी होती हैं उनको अच्छा ही दिखाया जाता है।

यहां पर किस हद तक रैसिज़्म है, शायद अब आप समझ पाए। ऐसा क्यों किया जा रहा या कैसे दिखाया जा रहा पता नहीं औऱ ज़्यादातर महिला वर्ग जिनको ये अच्छा लग रहा या नहीं लग रहा वो चाहकर भी इसका विरोध नही कर पातीं क्योंकि उनको नहीं पता इसकी शिकायत कहां करे?

अनुपमा की बात करें

अब बात स्टार प्लस के सबसे फैमस शो अनुपमा की “अनुपमा सीरियल ने नई ऊंचाईयां प्राप्त की, सबसे ज़्यादा देखा जाने वाला शो भी बना लेकिन अब वो इतना ज़हर बन चुका है समझ नहीं आता कि वो समाज की सोच को ऊपर लेके जाना चाहते हैं या फिर नीचे?

हफ्ते-दर-हफ्ते एक को बुरा, फिर अच्छा, फिर बुरा प्रॉब्लम तो दिखा देते हैं पर सोल्यूशन नहीं दिखाते। हर शादी में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होना पक्का है लेकिन डिवोर्स के बाद सबको साथ रहना है।

अनुपमा डांसर बनना चाहती थी। कहते तो यही हैं पर वो अब बिजनिस में है जहां वो दिखती नहीं, अब स्कूल जाना है जहां पढ़ना नहीं। एक औरत को अच्छा दिखाने के लिए जबरजस्ती त्याग करवाते हैं अब तो फील भी नही होता दुख।

बाकी बहुत सी चीज़ें हैं, सबको दिमाग़ खोल कर सीरियल देखने चाहिए कि ये कर क्या रहे हैं?

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