धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव ने कल गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में सुबह 8:16 पर अंतिम सांस ली। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे और लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के साथ ही समाजवादी राजनीति के एक युग का अवसान हो गया।
लोगों के प्रिय ‘नेता जी’
बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर और राम मनोहर लोहिया के विचारों को आगे ले जाने और समाज के सभी वर्गों के हितो का ख्याल रखने का काम मुलायम सिंह यादव ने बखूबी किया। हालांकि बाद में उनपर जाति विशेष का संरक्षण, संप्रदाय विशेष का तुष्टिकरण करने का आरोप भी लगा और इस वक़्त राजनीति में मुलायम सिंह यादव का लगभग पूरा कुनबा सक्रिय है लेकिन बावजूद मुलायम सिंह यादव सर्वमान्य रूप से लोगों के लिए ‘नेता जी’ ही थे।
मुलायम सिंह यादव के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, आयुष मंत्री दया शंकर मिश्रा दयालु, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह सहित सत्ता पक्ष के लगभग सभी बड़े चेहरों ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की। सीएम योगी आदित्यनाथ ने श्री मुलायम सिंह यादव के निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा भी की है। भाजपा शासित पूरी उत्तर प्रदेश सरकार सैफई में है। वहीं, विपक्ष ने भी नेता जी के निधन पर शोक व्यक्त किया है जिसमें प्रमुख रूप से प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल गांधी, लालू यादव, तेजस्वी यादव, नितीश कुमार सहित सभी राज्यों के नेता सम्मिलित हैं।
समाजवाद की ज़मीन खाली
मुलायम सिंह यादव के निधन से समाजवाद की ज़मीन लगभग खाली हो गयी है और इसी शून्यता को भरने के लिए संवेदनाओं के आंसू से समाजवाद की ज़मीन को सींचने का प्रयास भारतीय जनता पार्टी के द्वारा शुरू कर दिया गया है। इसी कड़ी में भाजपा के सभी अग्रिम पंक्ति के नेता सैफई पहुंच रहे हैं। मुलायम सिंह यादव को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भावुक होना, अमित शाह का गुरुग्राम स्थित मेदान्ता अस्पताल पहुंचना, सीएम योगी आदित्यनाथ का नेताजी के साथ स्मृतियों की डायरी को श्रंखलाबद्ध ट्वीट करना यह सब अनायास नहीं है।
आप याद करिये, अटल जी की अस्थि कलश यात्रा पूरे देश में निकाली गयी थी, अंतिम यात्रा में उस वक़्त प्रधानमंत्री मोदी पांच किलोमीटर पैदल चले थे, हर राज्य में शोक सभाएं आयोजित की गयी थी। यह सबकुछ यूंही नहीं था ,बल्कि इसके पीछे सियासी हितों को साधने की सोची समझी कवायद थी।
आंसुओं का वोट बैंक
मैं समझता हूं, ऐसे मुश्किल समय में इस तरह की बातें न करनी चाहिए न सोचनी चाहिए लेकिन मैं लिख रहा हूं क्योंकि भारतीय जनता पार्टी का चरित्र क्या है वह सभी को पता है। हर नम आंखों के पीछे दुःख या दर्द नहीं होता और मुलायम सिंह यादव का कद जितना विराट था और जिस विचारधारा के वो अगुआ थे उसके समक्ष बाकी सभी बौने ही हैं, इसलिए स्वार्थवश मजबूरियों में ही सही सभी की आंखों से अश्रुधारा बह रही है।
जो कथित तौर पर दुखी हैं और रो रहे हैं यह वही लोग हैं जिन्होंने अपनी राजनीति के लिए दंगे भड़काकर कार सेवकों को आगे कर दिया और तोहमत मढ़ दी मुलायम सिंह यादव पर। ज़िन्दगी भर इस दाग का सियासी फायदा उठाते रहे और अब ‘नेता जी’ के नहीं रहने पर उनके नाम, कद और विचारधारा का फायदा उठाना चाहते हैं।
सियासत में संवेदनाओं और आंसुओं की कीमत पर वोटबैंक तैयार होते हैं। नेता जी ने समाजवादी विचारधारा के साथ जो जनाधार खड़ा किया है उसपर रणनीतिक रूप से डकैती डालने की कोशिश भारतीय जनता पार्टी द्वारा की जा रही है। नेता जी के देहांत पर सोशल मीडिया पर भाजपा से जुड़े लोगों का मिला जुला रिएक्शन है। मुझमें इतनी तहज़ीब है कि उनकी बातों को यहां नहीं लिख पा रहा लेकिन उनका घृणित रूप और घड़ियाली आंसू सब जनमानस के सामने है।