चांद और सूरज की अच्छी वफादारी है
तुम और तुम्हारा रूप दोनों किरदारी है
किरदार तो अच्छा निभा लेते हो तुम
मगर तुम्हें नही पता हार कर भी ये जीत हमारी है।
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कई साल बाद एक जाने पहचाने नंबर से मैसेज आया
वो बोली उस समय कहा था तुम्हारा शायर
मैने कहा शायर तो तब भी मुझमें ही था
बस वो तेरी दगा के इंतजार में था
अब मैं शायरी के प्यार में हूं जैसे
उस समय तेरे प्यार में था ।
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मेरे जनाज़े में शामिल तू जरूर होना
मगर इक फासला बनाए रहना
बचा न था जिंदगी में मेरे लिए कुछ
मगर तू समझ को मजबूरी बनाए रखना।