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जानिए बिहार में सौर ऊर्जा का उपयोग कैसे पलायन घटा रहा है?

सौर पावर प्लांट


देश भर में बिजली की बढ़ती खपत और जीवाश्म ईंधन की सीमित उपलब्धता के कारण पिछले दो दशक से अक्षय ऊर्जा या रिन्यूएबल एनर्जी के स्रोतों (हवा, पानी, सूर्यताप आदि) को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ताकि दिन-ब-दिन बढ़ती ऊर्जा की मांग को पूरा किया जा सके। कई निजी एवं सरकारी कंपनियां इस दिशा में गंभीरता से काम कर रही है।

माइक्रो ग्रिड सोलर प्लांट

बिहार के तीन प्रमुख ज़िलों- मुजफ्फपुर, समस्तीपुर तथा वैशाली में टाटा पावर लिमिटेड द्वारा भी अपने रिन्यूएबल पावर ग्रिड (TPRMG) प्रोजेक्ट के तहत ऐसे ही माइक्रो ग्रिड सोलर प्लांट लगाये गये हैं, बिहार में इन प्लांट्स के संचालन और देखरेख की ज़िम्मेदारी स्मार्ट पावर लिमिटेड इनमें से प्रत्येक प्लांट की उत्पादन क्षमता 30 मेगावाट है। इन प्लांट को लगाने का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की खपत को बढ़ाना, प्रदूषणमुक्त बिजली उपलब्ध कराना तथा लोगों के जीवनस्तर को बेहतर बनाना है।

मुजफ्फरपुर के बखरी गाँव निवासी दुलचंद पासवान बताते हैं कि अक्टूबर 2020 में वह इस सौर परियोजना से जुड़े थे, उससे पहले वह डीजल इंजन का उपयोग कर रहे थे, जो कि मंहगा होने के साथ ही काफी भारी था साथ ही, उसका रख-रखाव भी काफी झंझट भरा था। अब वह इन परेशानियों से फ्री हो गये हैं और लागत की तुलना में प्रतिदिन की उनकी आमदनी में भी इज़ाफा हुआ है।

पलायन कम करने में मददगार

वहीं, पास में चाय-पकौड़े की दुकान चलाने वाली मीना देवी ने बताया कि पहले उन्होंने अपनी दुकान में सरकारी बिजली का बल्ब लगा रखा था, जिसके लिए उन्हें प्रतिदिन के हिसाब से 10 रुपये यानी महीने के 300 रुपये का भुगतान करना पड़ता था, पर अब वह सोलर बल्ब यूज करती हैं, जिसके लिए महीने में उन्हें 75-100 रुपये देने होते हैं।


पलायन को कम करने में हो रही मददगार  सोलर बिजली परियोजना ने न केवल लोगों की ज़िदगियां रोशन की हैं, बल्कि यह पलायन को कम करने में भी मददगार साबित हो रही हैं। कभी एल्युमिनियम ट्रंक के व्यवसाय तक सीमित रहनेवाले अनवर हुसैनी का कहते हैं- 

”पहले मैं सरकारी बिजली यूज करता था लेकिन उससे मैं कतई संतुष्ट नहीं था. कारण, उसमें वोल्टेज और उपलब्धता- दोनों ही काफी अनिश्चित थी। इस वजह से ग्राहकों को समय पर ऑर्डर डिलीवर करने मे देरी होती थी. अब 24 घंटे सोलर बिजली मिलती है, जिस कारण मुझे अपना बिजनेस तथा आमदनी, दोनों की बढ़ाने में मदद मिली है। इसका सकारात्मक परिणाम यह हुआ है कि मेरा बेटा, जो कि पहले कोलकाता की एक कंपनी में जॉब करता था, वह भी अपना काम छोड़ कर अब मेरे साथ बिजनेस में शामिल हो गया है।”

ग्राहकों की संख्या में बढ़ोत्तरी

सौर ऊर्जा प्लांट।

ग्राहकों के साथ-साथ आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई है।  सीएसपी सेंटर चलानेवाले राकेश कुमार की मानें, तो सोलर प्लांट लगने से उनके गाँव में बिजली की निर्बाध आपूर्ति संभव हुई है, हालांकि अभी माइक्रो ग्रिड प्लांट के आसपास रहने वाले आठ-दस दुकानदार ही इस बिजली का उपयोग कर पा रहे हैं लेकिन अन्य दुकानदार भी अब इच्छुक हो रहे हैं।

वह बताते हैं कि ”मैं खुद 2019 से सोलर बिजली यूज कर रहा हूं। पहले सरकारी सुविधा बमुश्किल चार-पांच घंटे ही मिल पाती थी, जिस कारण कई बार न चाहते हुए भी ग्राहकों को लौटाना पड़ता था. अब ग्राहक भी बढ़ गये हैं और आमदनी भी।”

प्रमिला का ब्यूटी पार्लर


 प्रमिला देवी मंसूरपुर, समस्तीपुर में अपना ब्यूटी पार्लर चलाती हैं। वह बताती हैं कि पहले उनकी आमदनी 12-15 हज़ार रुपए थी, जो कि अब बढ़ कर 20-22 हज़ार के करीब हो गई है। पहले कई बार बिजली के अभाव में कस्टमर को लौटाना पड़ता था पर अब नहीं। लगन के समय तो प्रतिदिन हज़ार-पंद्रह सौ की आमदनी भी हो जाती है।

बता दें कि प्रमिला देवी अपने इलाके की पहली महिला है, जिन्होंने सौर बिजली का उपयोग करना शुरू किया. इससे न सिर्फ़ उनकी आमदनी बढ़ी है, बल्कि बिजली की निर्बाध आपूर्ति के परिणामस्वरूप उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ाने में भी मदद मिली है. पार्लर के आगे उन्होनें एक छोटी-सी परचून की दुकान खोल ली है, जबकि उनके पति ने आटा चक्की मिल शुरू कर दिया है। उनकी सफलता को देखते हुए आसपास के अन्य कई व्यवसायियों ने भी इस बिजली का उपयोग करना शुरू कर दिया है और वे सभी बिजली का बिल बढ़ने के बावजूद बेहद खुश एवं संतुष्ट हैं, क्योंकि इसकी तुलना में उनकी आमदनी बढ़ गयी है।

परियोजना से संबंधित बातचीत के अंश

विगत दिनों TPRMG परियोजना के सीइओ श्री मनोज गुप्ता पटना आये हुए थे. उसी दौरान उनसे इस परियोजना के संबंध में हुई बातचीत के प्रमुख अंश

– बिजली के उपभोग के साथ ही महिला सशक्तिकरण को बढ़ाने पर है विशेष ज़ोर

TPRMG प्रोजेक्ट क्या है? कृप्या इसकी संक्षिप्त जानकारी दें

टाटा पावर रिन्यूएबल माइक्रो ग्रिड या TPRMG प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य है भारत के गाँव-गाँव में रिन्यूएबल एनर्जी की सुविधा को पहुंचाना और इसके माध्यम से ग्रामीणों को मिल रहे आधारभूत सुविधाओं को बेहतर बनाना, विशेष तौर से महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाना। यह परियोजना टाटा पावर लिमिटेड की स्वायत्त परियोजना है, जिसे कंपनी ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को ध्यान में रखते हुए लॉन्च किया गया है. इस परियोजना का मूल वाक्य है- ‘Sustainable is Attainable.’

 आप इस परियोजना से कब से और किस रूप में जुड़े हुए हैं?

मनोज गुप्ता- मैं वर्ष 2019 में इस परियोजना से बतौर चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर जुड़ा था। वर्तमान में मैं इसका चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर हूं। हमारा उद्देश्य रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं के पूरक के रूप में अपनी भूमिका निभाते हुए ग्रामीण क्षेत्रों की बिजली की समस्या को दूर करना है।

-अब तक यह प्रोजेक्ट देश कितने राज्यों में लागू की जा चुकी है?

इस प्रोजेक्ट के तहत टाटा पावर ने देश के दो राज्यों- उत्तर प्रदेश तथा बिहार में कुल मिला कर करीब 200 माइक्रो ग्रिड प्लांट अब तक लगा लिये गये है, जिसका लाभ करीब 17 हजार ग्रामीण उपभोक्ताओं को मिल रहा है.अगले छह-सात वर्षों में करीब 10 हजार प्लांट लगाने की योजना है.

– TPRM प्रोजेक्ट के तहत बिहार के कुल कितने जिले शामिल हैं और इसकी लागत कितनी है?
इस प्रोजेक्ट के तहत बिहार के तीन जिले शामिल है, जिनमें से प्रत्येक की लागत करीब 50 लाख रुपये के आसपास हैं.

कुल कितने राज्यों और जिलों में इस परियोजना को लागू किया जाना है?
फिलहाल हमने देश के दो राज्यों के कुल 10 जिलों (यूपी के सात और बिहार के तीन) में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस परियोजना को लागू किया है. आगे इससे मिलनेवाले फीडबैक के आधार पर इसे देश के अन्य राज्यों में भी लेकर जाने की योजना है. बहुत जल्द यह परियोजना को उड़ीसा में भी लॉन्च की जायेगी।

सौर ऊर्जा प्लांट।

इस प्रोजेक्ट की कुल लागत और पूर्ण होने की नियोजित अवधि कितनी तय की गयी है?
प्रत्येक जिले में स्थापित प्रत्येक माइक्रो ग्रिड पावर प्लांट को स्थापित करने के लिए कंपनी द्वारा 50 लाख रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।

इस प्रोजेक्ट के लागू होने के बाद से लेकर अब तक आपके अनुसार ग्रामीण जीवन में कितना और किस प्रकार का बदलाव आया है?

इस प्रोजेक्ट से जुड़ने के बाद न सिर्फ लोगों की आय बढ़ी है, बल्कि उनके जीवन स्तर में भी सुधार हुआ है. अब ग्रामीण स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण पर पहले से अधिक पैसे खर्च करने में समर्थ हुए हैं, जिसकी वजह से उनके जीवन स्तर में भी सुधार हुआ है. यही नहीं, कोरोना की वजह होने वाले पलायन को रोकने में भी यह परियोजना मददगार साबित हुई है।

-इस परियोजना की शुरुआत से लेकर अब तक किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, खास कर बिहार में?

बिहार और यूपी दोनों ही जगह जब हमने इस परियोजना के बारे में ग्रामीणों को बताना शुरू किया, तो उस वक्त लोगों को यह तो पता था कि सौर ऊर्जा से वे अपने घर में पंख,बल्ब आदि चला सकते हैं, लेकिन वे इस बात पर यकीन ही नहीं कर पा रहे थे कि सोलर एनर्जी से बड़ी उत्पादक इकाइयों का संचालन संभव नहीं, क्योंकि यह उतना लोड लेने में संभव नहीं है. इस चुनौती से निपटने के लिए टीपीआरएमजी टीम ने स्मार्ट पावर इंडिया की टीम के साथ मिल कर गांव-गांव में घूम कर लोगों से बातचीत करके उन्हें समझाना तथा डिमॉस्ट्रेशन देना शुरू किया. धीरे-धीरे कुछ लोग हमारे साथ जुड़े और अब हालात यह है कि हमारे पास मांग अधिक है, जिसकी तुलना में हम आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि मांग-आपूर्ति के इस गैप को कम करने के लिए कंपनी गंभीरता से काम कर रही है।

– इस परियोजना के सफल और सरल क्रियान्वयन हेतु सरकार से किस तरह के सहयोग की अपेक्षा रखते हैं?

हमारा मुख्य उद्देश्य है गांवों की उन्नति में सहयोग करना और ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार लाना. इस दिशा में सरकार से हम मांग आधारित सहयोग की अपेक्षा है.कहने का मतलब यह कि अगर इस परियोजना से जुड़ा कोई व्यक्ति अगर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए बैंक लोन लेना चाहता है या किसी सरकारी सुविधा का लाभ उठाना चाहता है, तो सरकार उस प्रक्रिया को आसान तथा तीव्र बनाये. साथ ही, सरकार चाहे तो इस परियोजना को बड़े जनसमूह तक पहुंचाने के लिए सरल नीति एवं नियम का निर्माण कर सकती है।

– इस परियोजना में शामिल कुछ प्रमुख स्कीम के बारे में बताएं?

TPRMG प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन हेतु हमने इसे कई छोटे-छोटे स्कीम में बांटा है, जैसे कि-

लेस इज मोर स्कीम- इस उद्देश्य है, घरों में इस्तेमाल की जानेवाली बिली एनर्जी एफिशिएंट हो।

डीजी टू एमजी कंवर्शन स्कीम – डीजल इंजन के उपयोग को सोलर माइक्रोग्रिड प्लांट से प्राप्त एनर्जी के उपयोग में बदलना।

वुमेन एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम – महिलाओं को अपना स्वरोजगार स्थापित करने में मदद करना तथा निर्बाध बिजली आपूर्ति की सुविधा देकर उनके काम के घंटों को बढ़ाने में सहयोग करना।

ग्रीन पावर सप्लाई स्कीम – यह स्कीम इसी साल 15 अगस्त को सिडबी के सहयोस से लॉन्च की गयी है. इसके तहत अगले एक साल में करीब एक हजार माइक्रो एंटरप्राइजेज को सोलर एनर्जी की सुविधा प्रदान करने की योजना है।

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