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राजनीति में फैलती भ्रष्टाचार की जकड़

निरंतर बढ़ती भ्रष्ट लोगों के राजनीति में वृद्धि के कारण कई ऐसे नेताओं की छवि खराब होती जा रही है जो राजनीति को इस लिए चुनते है , जिस से वे जन सेवा कर सके पर उन पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है , क्या वे वाकई इस मंशा से आए है या नहीं।

क्योंकि कई ऐसे दल आते है और दावा करते है पर बाद में उन्ही के दलों से भ्रष्ट नेता उभर कर सामने आ जाते है। जैसे वर्तमान मे आम आदमी पार्टी आने से पूर्व का मुख्य ध्येय यह रहा कि राजनीति से कैसे भ्रष्टाचार को मिटाया जाए , पर आप के सदस्य स्वास्थय मंत्री विजय सिंगला भ्रष्टाचार के आरोप मे बर्ख्यास्त किया गया और यह दिखाने का प्रयास किया गया कि आज भी आप की दल का रूख वही है,जो सत्ता में आने के पूर्व थी पर क्या इस से लोगो के मन में व्याप्त संशय और अविश्वास को दूर कर पाएगी।

कैसे दूर हो राजनीति से भ्रष्टाचार

जिस तरह पंजाब सरकार ने कार्यवाही की उस से आम जनता में यह उम्मीद तो जगाती है कि आप की दल का रूख क्या होगा ? पर यह सोचना चाहिए की सरकार उस समस्या से लड़ रही है जो ज्यादातर नागरिको को किसी न किसी रूप से प्रभावित करती है। लेकिन यह प्रश्न बना रहेगा कि ऐसी कौन सी मजबूरियाँ है जो इसे दूर नहीं होने देती , दलों के भीतर जब उम्मीदवारों को चुनाव के लिए घोषित किया जाता है तो उनकी पृष्ठभूमि की जानकारी को पूरी तरह जाँच -परख कर क्यों नहीं शामिल किया जाता।

आपराधिक भूमि से संबंधि आकड़े

पंजाब इलेक्शन वाच एसोसिएसन फॉर डेमोक्रेसिक रिफॉम्स की ताजा रिपोट के मुताबिक राज्य की निर्वाचित विधानसभा मे 117 में से पच्चास फीसदी आपराधिक पृष्ठभूमि से आते है। यदि आप के दल उम्मीदवार सुथरे छवि के होते तो आप की पार्टी दूसरों पर उँगली उठा सकती थी पर उसी के दल के सबसे अधिक 92 में से संत्तावन फीसदी नेता बलात्कार , अपहरण, हत्या , भ्रष्टता के किसी न किसी आरोप में संलिप्त है।

सिर्फ यही बात कही जा सकती है कि यदि चुनाव आयोग मे इच्छा , निष्ठा , समाज से चुनाव मे मौजूद भ्रष्टाचार को आधुनिक तकनीको का प्रयोग कर इसे समाप्त कर सकती है।

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