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पश्चिम बंगाल के बारे में 5 दिलचस्प बातें जो सबको मालूम होने चाहिए

interesting facts about west bengal in hindi

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पश्चिम बंगाल का इतिहास बड़ा ही अनोखा है। आज हम आपको पश्चिम बंगाल के बारे में वो 5 दिलचस्प बातें (Interesting Facts About West Bengal) बताएंगे जो आपने शायद सुनी ना हो। हां यह ज़रूर है कि इस राज्य की सभ्यता, पहनावा, संस्कृति भाषा और खान-पान के बारे में समय-समय पर आपको जानकारी मिलती ही होगी।

वैसे, बंगाल में सफर की बात आती है तो बगैर कोलकाता भ्रमण किए यात्रा अधूरी सी लगती है। कोलकाता की पीली टैक्सी, ट्राम सेवा, ठेलारुपी रिक्शा और पुराने स्ट्रिट्स सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित ज़रूर करते हैं। आइए जानते हैं पश्चिम बंगाल के बारे में 5 सबसे रोचक बातें।

देश का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल में

पश्चिम बंगाल के नाम पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित हावड़ा रेलवे स्टेशन देश का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है। साथ ही यह देश के सबसे पुराने स्टेशनों में भी शुमार है। यह दुनिया के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक है। हावड़ा रेलवे स्टेशन में कुल 23 प्लेटफॉर्म्स हैं, जहां से रोज़ाना 600 पैसेंजर ट्रेनें गुज़रती हैं।

वहीं, बंगाल का हावड़ा ब्रिज वर्ल्ड का सबसे व्यस्त कैंटिलीवर ब्रिज है। इस ब्रिज से हर दिन लगभग 1 लाख गाड़ियां गुज़रती हैं। इस ब्रिज को रोज़ाना लगभग 1.5 लाख लोग पार करते हैं।

नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर, अमर्त्य सेन और मदर टेरेसा की कर्मभूमि के रूप में भी बंगाल को जाना जाता है। आज़ादी से पहले अंग्रेज़ी शासनकाल के दौरान साल 1911 तक कलकत्ता भारत की राजधानी रही थी। इसके बाद अंग्रेज़ों ने दिल्ली को देश की राजधानी बना दिया था।

देश का सबसे पुराना बंदरगाह कोलकाता में

कोलकाता बंदरगाह देश का सबसे पुराना बंदरगाह है। इसका निर्माण साल 1870 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने किया था। मुगल बादशाह औरंगज़ेब द्वारा ब्रिटिश उपनिवेशकों को पूर्वी भारत में व्यापार करने का अधिकार दिए जाने के वक्त से यह भारत का प्रमुख बंदरगाह रहा है। इस बंदरगाह के साथ कोलकाता शहर का बड़ा ही पुराना रिश्ता है।

समय के साथ इस देश पर शासन करने का अधिकार ब्रिटिश शासकों के पास चला गया, जो कि पहले ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में था। सन् 1870 में बंदरगाह आयोग की नियुक्ति के साथ कोलकाता बंदरगाह को सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत लाया गया। प्रारंभ में कोलकाता बंदरगाह की स्थापना ब्रिटिश उपनिवेशों की रक्षा को बढ़ावा देने के लिए की गई थी लेकिन सन् 1947 में इस बंदरगाह को राष्ट्रीय हित में अपना योगदान देने के लिए आमंत्रित किया गया। बंदरगाह ने सेकेन्ड वर्ल्ड वॉर और देश के विभाजन के बाद अपनी ज़िम्मेदारी संभाली।

चाय के बागानों के लिए भी है मशहूर

यह राज्य चाय का भी एक प्रमुख उत्पादक है। चाय के बागानों के लिए मशहूर हिल स्टेशन दार्जिलिंग बंगाल में स्थित है।

पश्चिम बंगाल में स्थित दार्जिलिंग शहर चाय के बागान के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। भारत में 25% चाय का उत्पादन यहां से किया जाता है। हसीन वादियों से घिरा यह शहर लोगों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। हर साल यहां लाखों पर्यटक चाय के बागान की सैर करने आते हैं। चाय के बागानों के तो क्या ही कहने! हर तरफ हरियाली और चाय की पत्तियों की महक आपको एहसास दिला रही होती है कि आप प्रकृति की गोद में हैं।

एक से बढ़कर एक टूरिस्ट प्लेस यहां मौजूद हैं

बंगाल की खाड़ी से लेकर हिमालय तक पश्चिम बंगाल में बहुत सारे टूरिस्ट प्लेसेज़ हैं, जहां की तारीफ करते सैलानी नहीं थकते हैं। विश्व का सबसे बड़ा ‘Mangrove Forest’ सुंदरवन भी इसी राज्य में स्थित है। सुंदरवन में लोग रॉयल बंगाल टाइगर देखने के लिए भी आते हैं। कोलकाता में घूमने के लिए बहुत सारी जगहें हैं। जैसे- साइंस सिटी, निक्को पार्क, फन सिटी, विक्टोरिया मेमोरियल, तारामंडल, दक्षिणेश्वर काली मंदिर, हावड़ा ब्रिज आदि। कलिम्पोंग और कुर्सेओंग जैसे हिल स्टेशन भी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

कोलकाता का ‘रॉयल कैलकटा गोल्फ क्लब’ (Royal Calcutta Golf Club), यूनाइटेड किंगडम (UK) से बाहर दुनिया में बना सबसे पहला गोल्फ क्लब है।

रसगुल्ले का अविष्कार भी बंगाल में ही हुआ था

बता दें कि रसगुल्ले का अविष्कार 1868 में हुआ था। रसगुल्ले को छेना से बनी मिठाइयों का राजा भी कहा जाता है। नबीन चंद्र दास नामक एक हलवाई ने सबसे पहले रसगुल्ला बनाया था। उन्होंने किया यह कि छेना को सूजी से साथ मिलाकर गोला बनाया और उसे खौलती चाशनी में डाल दिया।

बंगाल का रसगुल्ला केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में मशहूर है। बात तब की है जब एक बार एक सेठ रायबहादुर भगवानदास बागला अपने परिवार के साथ कहीं जा रहे थे। इसी दौरान अचानक बग्‍गी में बैठे उनके एक बेटे को प्यास लगी। उन्होंने नबीन दास की दुकान के पास बग्गी रुकवा ली।

नबीन ने बच्चे को पानी के साथ रसगुल्ले भी दिए जिन्हें काफी पसंद किया गया। आलम यह हुआ कि उसने अपने पिता को कहा, “इसे खाकर देखिए ना।” सेठ जी को भी रसगुल्ला बेहद पसंद आया और उन्होंने अपने परिवार और दोस्तों के लिए भी इसे खरीद लिया। कहा जाता है कि इसी के बाद धीरे-धीरे रसगुल्ला देश और दुनिया में मशहूर हो गया।

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